PATNA : राष्ट्रीय जनता दल में पूर्व सांसद रामा सिंह की एंट्री को लेकर नाराज हुए रघुवंश प्रसाद सिंह ने तेजस्वी यादव को बैकफुट पर धकेल दिया है. रामा सिंह की आरजेडी में एंट्री फिलहाल टल गई है. रामा सिंह 29 जून को आरजेडी में शामिल होने वाले थे. लेकिन उसके पहले ही रघुवंश प्रसाद सिंह ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा देते हुए अपनी नाराजगी जगजाहिर कर दी.
लालू भी हो गए थे परेशान
रघुवंश प्रसाद सिंह फिलहाल कोरोना से पीड़ित हैं और पटना एम्स में अपना इलाज करा रहे हैं. राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से अपने इस्तीफे के बाद रघुवंश सिंह ने केवल इतना कहा था कि वह स्वस्थ होने के बाद आगे की रणनीति का खुलासा करेंगे. रघुवंश के इस फैसले के बाद रांची रिम्स में इलाज करा रहे हैं लालू यादव भी रघुवंश के फैसले से परेशान हो गए थे. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर इस बात के लिए दबाव बढ़ने लगा था कि वह रघुवंश की नाराजगी को खत्म करें और रामा सिंह की एंट्री पर तत्काल रोक लगाएं.
तेजस्वी की सफाई
रामा सिंह की पार्टी में इंट्री की खबरों के बीच पार्टी के सीनियर लीडर रघुवंश प्रसाद की नाराजगी के बीच तेजस्वी यादव ने सफाई पेश करते हुए कहा है कि हम पॉलिटिकल लोग हैं एक दूसरे से मिलते-जुलते रहते हैं. रामा सिंह की ज्वायनिंग पार्टी के अंदर नहीं हुई है. रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी को सींचा है, वे हमारे अभिभावक है बिना उनसे बात किए या फिर सर्वसम्मति के बिना कोई भी फैसला नहीं होगा. उन्होनें कहा कि अभी तो उनके स्वास्थ्य की चिंता है वे ठीक होकर आएंगे तो उनसे मिल बैठकर बात करेंगे.
रामा की एंट्री पर रोक
अब आरजेडी के अंदर खाने से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक के रामा सिंह की एंट्री पर फिलहाल रोक लगा दी गई है. पार्टी नहीं चाहती कि रघुवंश प्रसाद सिंह की नाराजगी और बड़े खास तौर पर ऐसे वक्त में जब पांच विधान पार्षदों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है. रामा सिंह अगर कोई कड़ा फैसला उठाते हैं तो लालू और तेजस्वी के लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
रामा सिंह और रघुवंश प्रसाद थे आमने सामने
रामा सिंह ने वैशाली से लोकसभा चुनाव 2014 लोजपा से टिकट पर लड़ा था. इस दौरान उन्होंने राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह को शिकस्त दी थी, लेकिन इसके बाद 2019 के चुनाव के दौरान पार्टी ने उनकी जगह वीणा देवी की टिकट दे दिया. जिसके बाद नाराज रामा सिंह ने तेजस्वी यादव से मुलाकात किए थे. वह 29 जून को आरजेडी में शामिल होने वाले थे. जिसका रघुवंश प्रसाद सिंह विरोध कर रहे थे.