PATNA : पटना हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि ड्यूटी के दौरान मौत होने पर अनुग्रह राशि प्रदान करनी होगी। कोर्ट ने यह निर्णय ड्यूटी के दौरान हुई मौत पर पुलिस इंस्पेक्टर की विधवा को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि के भुगतान का आदेश दिया है। इसके साथ ही मृत्यु की तारीख से 9 फीसदी ब्याज भी देने का निर्देश दिया और बेवजह केस दायर करने के लिए बाध्य किए जाने पर 25 हजार रुपये का खर्च भी देने के निर्देश दिए हैं।
दरअसल, हाई कोर्ट के एक अहम फैसले ने दिवंगत पुलिस इंस्पेक्टर जयप्रकाश की विधवा को बड़ी राहत प्रदान की है। पटना हाई कोर्ट ने विधि व्यवस्था कायम रखने के लिए तैनात पुलिस इंस्पेक्टर की मृत्यु पर उनकी विधवा को अनुग्रह राशि के रूप में दस लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। जस्टिस संदीप कुमार ने मधु भारती की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद ये आदेश दिया।
वहीं, इस मामले पर आवेदिका मधु भारती के वकील ने बताया कि आवेदिका के पति जयप्रकाश गोपालगंज के सदर अंचल में पुलिस निरीक्षक के पद पर तैनात थे। सरस्वती पूजा के दौरान मूर्ति विसर्जन को लेकर उठे विवाद में विधि व्यवस्था बनाये रखने के लिए जयप्रकाश को हथुआ के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के साथ तैनात किया गया था। ड्यूटी के दौरान ही पुलिस इंस्पेक्टर जयप्रकाश की तबीयत बिगड़ गयी, जिसके बाद उन्हें सरकारी वाहन से डॉक्टर के पास ले जाया गया /डॉक्टर ने जयप्रकाश को मृत घोषित कर दिया और हार्ट अटैक को मौत की वजह बताया। इसके बाद मृतक की विधवा ने विभाग से अनुग्रह राशि की मांग की थी।
उधर, अनुग्रह राशि नहीं मिलने पर मधु ने हाई कोर्ट का रुख किया. वहीं सरकारी वकील ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि "ड्यूटी के दौरान उग्रवादी या अन्य हिंसक गतिविधियों में हुईं मौत पर सरकारी कर्मियों को अनुग्रह राशि देने का प्रावधान है, जबकि आवेदिका के पति की मृत्यु विधि-व्यवस्था बनाये रखने के लिए तैनाती के दौरान हृदयगति रुकने से हुई है. ऐसे में अनुग्रह राशि नहीं दी जा सकती है।"
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने और सुप्रीम कोर्ट के साथ ही दूसरे राज्यों के हाई कोर्ट के फैसलों के आधार पर पटना हाई कोर्ट ने आवेदिका को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का आदेश दिया.इसके साथ ही कोर्ट ने मृत्यु तिथि से लेकर फैसले के दिन तक 9 फीसदी की दर से ब्याज देने के भी निर्देश दिये. इतना ही नहीं बेवजह केस दायर करने के लिए बाध्य किये जाने पर 25 हजार रुपया बतौर खर्च देने का भी आदेश।