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10-Jul-2019 08:35 AM
By 9
PATNA: बिहार विधानसभा में आज नीतीश कुमार की सरकार राजद और कांग्रेस की कृपा से बाल-बाल बच गयी. सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों ने अपनी सरकार को गिराने का पूरा इंतजाम कर लिया था. राजद-कांग्रेस के विधायक सभी विधायक आज सदन में मौजूद होते तो आज सरकार का गिरना तय था. नीतीश-सुशील मोदी की सांसें अटक गयीं थी दरअसल, विधानसभा में आज विपक्ष के कटौती प्रस्ताव पर वोटिंग हो गयी. सरकार ने सदन में सहकारिता विभाग का बजट पेश किया था. राजद के विधायक ललित यादव ने कटौती प्रस्ताव पेश किया था. प्रस्ताव पर चर्चा के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने ध्वनि मत यानि मौखिक वोटिंग से इसे पास कराना चाहा लेकिन विपक्षी विधायक अड़ गये. उन्होंने वोटिंग की मांग कर दी. सदन में उस वक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी मौजूद थे. दोनों ने जब सत्ता पक्ष के बेंच पर नजरें दौड़ायी तो चेहरा उड़ गया. सत्तापक्ष के तकरीबन आधे विधायक सदन से नदारद थे. उधर राजद वोटिंग की मांग पर अड़ गया. वोटिंग में जैसे तैसे बची सरकार बिहार विधानसभा में दलीय आधार पर विधायकों की संख्या को देखिये. जदयू के 69 विधायक हैं तो बीजेपी के 54. वहीं लोजपा के 2 विधायक हैं. सरकार को चार निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है. यानि सत्ता पक्ष में 129 विधायक हैं. अध्यक्ष ने जब वोटिंग के लिए घंटी बजवायी तो सदन में इसके आधे विधायक भी मौजूद नहीं थे. पांच मिनट की घंटी के दौरान कुछ और विधायक तेजी से भागते हुए सदन में पहुंचे. विधानसभा में जब सरकार के पक्ष में वोटों की गिनती हुई तो सिर्फ 85 विधायक के वोट मिले. यानि 44 विधायक सदन से गायब थे. राजद-कांग्रेस की कृपा से बच गयी सरकार विधानसभा में विपक्ष का कटौती प्रस्ताव पारित होने का मतलब होता है सरकार का गिरना. सरकार को सिर्फ 85 वोट मिले. अब विपक्षी विधायकों की संख्या को जानिये. राजद के 79 विधायक हैं, कांग्रेस के 26. भाकपा माले के 3 तो हम के एक विधायक हैं. यानि विपक्षी विधायकों की कुल संख्या होती है 109. ये तो सरकार की किस्मत थी कि विपक्ष के भी ज्यादातर विधायक गायब थे. सदन में जब वोटिंग हुई तो विपक्ष के सिर्फ 52 विधायक मौजूद थे. अगर राजद-कांग्रेस के ही विधायक आज सदन में मौजूद होते तो सरकार का गिरना तय था. लेकिन उनकी गैरहाजिरी ने सरकार को बचा लिया. व्हीप की कोई परवाह नहीं सत्र की शुरूआत से पहले ही जेडीयू और बीजेपी ने अपने विधायकों को व्हीप जारी किया था. इसमें उन्हें सदन में मौजूद रहने और वोटिंग के दौरान सरकार के पक्ष में मतदान करने का निर्देश दिया गया था. व्हीप के उल्लंघन पर उन्हें विधानसभा की सदस्यता से हाथ धोना पड़ सकता है. लेकिन सत्तापक्ष के विधायकों ने व्हीप की कोई परवाह नहीं की. गुस्से में नीतीश अपने विधायकों की गैरहाजिरी से नाराज नीतीश कुमार सदन से बाहर आने के बाद जमकर बरसे. विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार की क्लास लगी. इसके बाद श्रवण कुमार ने सदन से गायब सभी विधायकों को नोटिस भेजने का एलान किया है.