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IOCL में प्रबंधन की तानाशाही के खिलाफ आमरण अनशन, पूर्वी क्षेत्र के सभी लोकेशनों पर विरोध प्रदर्शन जारी

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन पाइपलाइन्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष कॉ. राजकिशोर सिंह ने 16 जून 2025 से प्रयागराज स्थित IOCL पूर्वी क्षेत्र कार्यालय में आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यह आंदोलन प्रबंधन की तानाशाही नीतियों के खिलाफ है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 16 Jun 2025 06:02:01 PM IST

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आमरण अनशन - फ़ोटो google

DESK: इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) के पूर्वी क्षेत्र पाइपलाइन्स कार्यालय में श्रमिकों और यूनियन के बीच संघर्ष एक नए मोड़ पर पहुंच गया है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन पाइपलाइन्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष कॉ. राजकिशोर सिंह ने आज यानी 16 जून से प्रयागराज स्थित IOCL कार्यालय परिसर में आमरण अनशन शुरू कर दिया है। साथ ही बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के सभी लोकेशनों पर जोरदार प्रदर्शन और नारेबाजी की जा रही है।


इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन पाइपलाइन्स वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष कॉ. राजकिशोर सिंह ने 16 जून 2025 से प्रयागराज स्थित IOCL पूर्वी क्षेत्र कार्यालय में आमरण अनशन शुरू कर दिया है। यह आंदोलन प्रबंधन की तानाशाही नीतियों और बरौनी से पटना कार्यालय स्थानांतरण, वर्षों से काम कर रहे ठेका श्रमिकों की बर्खास्तगी, तथा कर्मचारियों की सुविधाओं में कटौती के खिलाफ किया जा रहा है। यूनियन की अनदेखी और त्रिपक्षीय समझौते को बिना संवाद समाप्त किए जाने के विरोध में बिहार, यूपी और झारखंड के IOCL लोकेशनों पर विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी की जा रही है।


आंदोलन की मुख्य वजहें:

बरौनी से पटना स्थानांतरण का एकतरफा निर्णय:

यूनियन का आरोप है कि प्रबंधन ने यूनियन से किसी भी प्रकार की बातचीत किए बिना पूर्वी क्षेत्र के पाइपलाइन कार्यालय को बरौनी से पटना स्थानांतरित कर दिया। इस फैसले से न केवल संगठनात्मक असंतुलन उत्पन्न हुआ है, बल्कि इससे कंपनी को करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति भी हुई है।


वर्षों से कार्यरत ठेका श्रमिकों की बेरोजगारी:

कॉस्ट कटिंग के नाम पर पिछले 20–25 वर्षों से सेवा दे रहे ठेका श्रमिकों को अचानक कार्य से हटा दिया गया है। इसके चलते सैकड़ों परिवारों की आजीविका पर संकट आ गया है। यूनियन का कहना है कि इन श्रमिकों के परिवार अब भूखमरी की कगार पर हैं।


यूनियन के साथ हुए समझौतों का उल्लंघन:

प्रबंधन पर यह भी आरोप है कि उसने पूर्व में यूनियन के साथ हुए द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय समझौतों को बिना किसी पूर्व सूचना या संवाद के एकतरफा तरीके से समाप्त कर दिया है, जो श्रमिक अधिकारों का सीधा हनन है।


कर्मचारी सुविधाओं में कटौती:

वर्षों से कर्मचारियों को मिलने वाली बुनियादी सुविधाओं को बंद किया जा रहा है।

बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए उपलब्ध कराई जा रही स्कूल बस सेवा को भी अचानक बंद कर दिया गया है।

क्रेडिट पर मिलने वाली दवा और चिकित्सा सेवाओं को भी रोका गया है।

अन्य कई लाभकारी योजनाओं में कटौती या बंदी की गई है जिससे कर्मचारियों और उनके परिवारों में भारी असंतोष है।


यूनियन का आरोप:

कॉ. राजकिशोर सिंह ने बताया कि यूनियन ने इन सभी मुद्दों को लेकर बार-बार पत्राचार किया, लेकिन प्रबंधन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। बातचीत करने के बजाय यूनियन की मांगों और प्रस्तावों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया।अंततः यूनियन के अध्यक्ष ने आमरण अनशन शुरू करने का कठोर निर्णय लिया और साथ ही पूरे पूर्वी क्षेत्र—बिहार, यूपी और झारखंड—के सभी IOCL लोकेशनों में प्रदर्शन और नारेबाजी की शुरुआत कर दी गई है।


यूनियन की मांगें:

बरौनी से पटना स्थानांतरण के निर्णय पर पुनर्विचार किया जाए।

सेवा से हटाए गए ठेका श्रमिकों को पुनः बहाल किया जाए।

यूनियन से संवाद कर पूर्व के समझौतों का पालन किया जाए।

सभी बंद की गई कर्मचारी सुविधाओं को तत्काल बहाल किया जाए।