DELHI : निर्भया के दोषियों को फांसी से पहले पूरी रात हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा. फांसी से पहले के 24 घंटे में दोषियों को बचाने के लिए दायर की सात याचिकायें खारिज कर दी गयी. दोषियों के वकीलों ने लोअर कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में ताबड़तोड़ याचिकायें दायर कीं. लेकिन सारे तिकड़म बेकार हो गये.
24 घंटे में 7 याचिकायें खारिज कर दी गयीं
1. फांसी से पहले यानि 19 मार्च को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास दो दोषियों पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर ने दूसरी दया याचिका लगायी. लेकिन राष्ट्रपति ने गुरुवार को पवन गुप्ता और अक्षय ठाकुर की दूसरी दया याचिका नामंजूर कर दी.
2. राष्ट्रपति की ओर से दूसरी दया याचिका खारिज किये जाने के बाद दोषी अक्षय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगा दी. याचिका में राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती दी. सप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया.
3. इस बीच दोषी मुकेश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगायी. मुकेश सिंह ने दावा किया कि गैंगरेप के वक्त वह दिल्ली में था ही नहीं. उसे गलत फंसाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका भी खारिज कर दी.
4. सुप्रीम कोर्ट में दोषी पवन गुप्ता क्यूरेटिव पिटीशन लेकर पहुंच गया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसके पिटीशन के आधार पर फांसी की सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया.
5. गुरूवार को ही निर्भया के दोषियों के वकील दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पहुंच गये. उन्होंने फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की. लेकिन पटियाला हाउस कोर्ट ने उनकी अर्जी को खारिज कर दिया.
6. पटियाला हाउस कोर्ट के फैसले के खिलाफ निर्भया के दोषियों के वकील रात में दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गये. रात के दस बजे दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच बैठी और लगभग दो घंटे की सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया.
7. आखिरी कोशिश में निर्भया के दोषियों के वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. रात के ढ़ाई बजे सुप्रीम कोर्ट की बेंच बैठी और फांसी के लिए तय समय से दो घंटे पहले उस याचिका को भी खारिज कर दी गयी.
यानि फांसी के दो घंटे पहले ये तय हो पाया कि निर्भया के दोषियों को सजा मिलेगी ही.