KATIHAR: बिहार में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का दावा सरकार आए दिन करती है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आती है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था का खामियाजा आम जनता को भुगतन पड़ रहा है। यह तस्वीर बिहार के कटिहार जिले से आई है जो सरकार के दावों को पोल खोलने का काम कर रही है। सरकारी अस्पताल में एम्बुलेंस की सुविधा नहीं है जिसके कारण लोग अपने जुगाड़ से अस्पताल तक मरीज को लेकर पहुंच रहे हैं। कोई ठेला तो कोई रिक्शा या ऑटो से मरीज को कटिहार सदर अस्पताल लेकर पहुंचते नजर आते हैं।
सदर अस्पताल में एम्बुलेंस की सुविधा नहीं रहने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कटिहार की दो तस्वीर हम आपकों दिखा रहे हैं। एक तस्वीर में मुफस्सिल थाना क्षेत्र के हफलागंज निवासी मोहम्मद आलम हैं जो अपनी बीमार मां को ठेले पर लादकर खुद चलाते हुए सदर अस्पताल इलाज कराने पहुंचा।
जब आलम से बात की गयी तो पता चला कि एंबुलेंस नहीं मिली तब मजबूरन उसे ठेले से अपनी मां को अस्पताल लाना पड़ा। वही दूसरी तस्वीर भी सदर अस्पताल कटिहार की है जहां आजमनगर से आए मरीज को एम्बुलेंस नहीं मिला। मरीज को सदर अस्पताल से दूसरे अस्पताल में रेफर किया गया था लेकिन एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण मरीज के परिजन अस्पताल परिसर में भटकते रहे। स्टेचर पर परिजन मरीज को लेकर एम्बुेलेंस का इंतजार करते दिखे। इसे लेकर परिजनों में आक्रोश भी देखने को मिला।
बता दें कि कटिहार में कुल 33 एम्बुलेंस है जिसमें 9 खराब है बाकी 24 एम्बुलेंस चालु हालत में है इसके बावजूद लोग इसकी सेवा से वंचित हैं। कटिहार सदर अस्पताल की लचर व्यवस्था से मरीज के परिजन परेशान हैं इनकी सुध तक लेने वाला कोई नहीं है। बता दें कि भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक यानि CAG की रिपोर्ट ने बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई सामने लाकर रख दी है।
CAG ने बिहार के जिस भी सरकारी अस्पताल का निरीक्षण किया वहां सिर्फ और सिर्फ बदहाली नजर आयी। ना डाक्टर-नर्स हैं, ना ही दवा और जांच की व्यवस्था. सरकारी अस्पताल में अवैध ब्लड बैंक चल रहे हैं। जिलों के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में ऑपरेशन थियेटर तक नहीं है। CAG की टीम ने देखा कि सरकारी अस्पतालों में आवारा कुत्ते और सुअर घूम रहे हैं। CAG की टीम ने पटना, बिहारशरीफ यानि नालंदा, हाजीपुर यानि वैशाली, मधेपुरा और जहानाबाद के सदर अस्पतालों का निरीक्षण किया था