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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 20 Mar 2024 07:05:14 AM IST
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NAWADA : देश के अंदर सात चरणों में हो रहे लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण की अधिसूचना बुधवार को जारी हो जाएगी। अधिसूचना जारी होने के बाद प्रत्याशी नामांकन कर सकेंगे। पहले चरण में 19 अप्रैल को कुल 21 राज्यों की 102 सीटों के लिए मतदान होंगे। इस चरण में कुल दस राज्यों में मतदान संपन्न हो जाएंगे। इस चरण के लिए नामांकन करने की आखिरी तारीख 27 मार्च है, हालांकि बिहार के लिए यह तारीख 28 मार्च है। जबकि नामांकन वापस लेने की तारीख 30 मार्च है, लेकिन बिहार में दो अप्रैल तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे।
दरअसल, बिहार के अंदर पहले चरण में चार लोकसभा सीट पर चुनाव होने वाला है। जिसमें औरंगाबाद, नवादा, गया और जमुई शामिल है। इससे पहले के लोकसभा चुनाव में ये चारों सीट एनडीए के खाते में आई थी। हालांकि, उस समय दो सीट लोजपा के पास थी और एक सीट जदयू और भाजपा के पास और एनडीए ने इस चारों सीट पर बहुमत हासिल किया था। लेकिन, इस बार दो सीट भाजपा के पास हैं तो एक सीट लोजपा और एक सीट जीतन राम मांझी के खाते में दिया गया है।
मालूम हो कि, नवादा लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इनमें रजौली, हिसुआ, नवादा, गोविन्दपुर, वारिसलीगंज और शेखपुरा जिले का बरबीघा विधानसभा क्षेत्र शामिल है। इन छह विधानसभा में नवादा, रजौली और गोविंदपुर में राजद, हिसुआ में कांग्रेस, वारिसलीगंज में भाजपा और बरबीघा में जदयू के विधायक हैं। यानी एनडीए के पास दो विधायक और महागठबंधन के पास चार विधायक हैं।
नवादा से विभा देवी, रजौली प्रकाशवीर और गोविंदपुर से मो. कामरान, हिसुआ से नीतू कुमारी, वारिसलीगंज से अरुणा देवी और बरबीघा से सुदर्शन कुमार विधायक हैं। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में एनडीए उम्मीदवार लोजपा (अब रालोजपा) के चंदन सिंह ने जीत का परचम लहराया था। उन्होंने राजद की विभा देवी को करारी शिकस्त दी थी।
वहीं, औरंगाबाद की देश व बिहार की सियासत में धाक रही है। अनुग्रह नारायण सिंह आजादी की लड़ाई के योद्धा रहे थे, जिन्हें बिहार विभूति की संज्ञा दी गई। आजादी के बाद वह बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री रहे। उनके पुत्र सत्येंद्र नारायण सिन्हा मुख्यमंत्री और छह बार सांसद रहे। यहां से दल भले ही कोई हो, राजपूत जाति के ही सांसद चुने जाते रहे हैं। इस गढ़ में पिछले एक दशक में सेंध लगाने की दो बार असफल कोशिश हुई। औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र शुरू में कांग्रेस का गढ़ रहा। हालांकि,2019 में यह सीट भाजपा के खाते में गई थी। महागठबंधन से हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम), सेक्युलर से उपेंद्र प्रसाद चुनाव लड़े थे। भाजपा की सीटिंग सीट होने की वजह से सांसद सुशील कुमार सिंह की दावेदारी है।