बिहार विधानसभा चुनाव 2025: इस दिन जारी होगी जन सुराज पार्टी के प्रत्याशियों की पहली लिस्ट, प्रशांत किशोर करेंगे नाम की घोषणा बिहार विधानसभा चुनाव 2025: इस दिन जारी होगी जन सुराज पार्टी के प्रत्याशियों की पहली लिस्ट, प्रशांत किशोर करेंगे नाम की घोषणा Bihar Election 2025: बिहार चुनाव को लेकर एक्टिव मोड में अरवल जिला प्रशासन, डीएम-एसपी ने लिया तैयारियों का जायजा Bihar Politics: ‘महागठबंधन में सबकुछ तय, जल्द होगी सीटों की घोषणा’ सीट शेयरिंग पर मुकेश सहनी का बड़ा दावा Bihar Politics: ‘महागठबंधन में सबकुछ तय, जल्द होगी सीटों की घोषणा’ सीट शेयरिंग पर मुकेश सहनी का बड़ा दावा BIHAR NEWS : बस की छत पर सवार दो यात्री करंट से झुलसे, हालत गंभीर कैमूर में भीषण जाम से लोग परेशान: मोहनिया से टोल प्लाजा तक NH-19 पर घंटों फंसे वाहन चालक Bihar Crime News: बिहार में नाबालिग लड़के ने चाकू मारकर की लड़की की हत्या, एकतरफा प्यार में वारदात को दिया अंजाम Bihar Crime News: बिहार में नाबालिग लड़के ने चाकू मारकर की लड़की की हत्या, एकतरफा प्यार में वारदात को दिया अंजाम Navi Mumbai Airport : प्रधानमंत्री मोदी ने किया नवी मुंबई एयरपोर्ट का उद्घाटन , जानें कब और कहां के लिए शुरू होंगी फ्लाइट?
1st Bihar Published by: Prashant Updated Mon, 20 Apr 2020 03:20:07 PM IST
- फ़ोटो
DARBHANGA : बिहार के दरभंगा में एक मां की चीख,वेदना और मदद की गुहार ने जहां मानवता को शर्मसार किया है वहीं करुणा और दया के सारे मर्म को दफन भी किया है ।एक ऐसी घटना जो इंसानियत के सारे मूल्यों को चाक कर रही है ।
जबतक मासूम जिंदा थी,यह मां अपने बच्चे के इलाज के लिए डॉक्टरों की तलाश में सड़कों पर बिलखती और विलाप करती हुई,दौड़ती और भागती रही ।दरअसल, दरभंगा के हॉस्पिटल रोड के रहने वाले छनु सहनी लॉकडॉन में दिल्ली में फंसे है ।दिल्ली के स्टील फैक्ट्री में काम करने वाले छन्नू सहनी एवं अंजू देवी की 9 वर्षीय बच्ची को घर मे खेलते हुए पीठ में गहरी चोट आई थी ।बदकिस्मती देखिए कि ना तो इस महिला को एक भी ऑर्थोपेडिक सर्जन मिले और ना ही सरकारी एम्बुलेंस ।ममता और बच्चे की जिंदगी के मोह के आँचल में,अपने मासूम बच्चे को लपेटे,यह मां बस मदद के लिए दौड लगाती रही ।लेकिन मां की ममता हार गई और यमराज ने इस बच्ची की इहलीला खत्म कर डाली ।बच्चे की मौत से महिला पूरी तरह से टूट गयी ।
दर्द,पीड़ा,बेबसी और दुर्भाग्य का दौर,यहीं खत्म नहीं हुआ ।बच्ची की मौत के सदमे में डूबी,इस मां को बच्चे के कफन के लिए भी कई जगहों पर हाथ फैलाने पड़े लेकिन कफन भी मयस्सर नहीं हो रहा था ।थक-हार कर यह बेबस माँ, पुलिस वालों के पास पहुंची और एक कफ़न दिला दो,की गुहार लगाई लेकिन पुलिस वालों से भी उसे निराशा ही हाथ लगी ।पुलिस वालों ने कहा कि हम कहाँ से कफन लाकर देंगे ।जाओ किसी सामाजिक संगठन वालों से कफन मांगों ।पुलिस वालों का यह रवैया,बेदर्दी से भरा और मदद की जगह,एक बला को टरकाने वाला रहा ।
आखिरकार यह महिला ढूंढ़ते-ढूंढते एक समाजेसेवी संगठन के पास पहुंची,जहां मृतक बच्चे के कफन का इंतजाम हो सका ।बच्चे की मौत के बाद कफन के लिए तरसती इस मां को कफन तो मिल गया लेकिन लॉक डाउन में किसी की मौत पर कोई दुःखी हो रहा है,इस भ्रम पर से पर्दा उठ गया है ।लॉकडाउन के दौरान भी गरीबी और अमीरी, प्रभाव और बेबसी का असर,साफ तौर पर दिख रहा है ।एक बेबस मां ने अपने विलाप से सिस्टम के लिए कई सवाल छोड़े हैं ।लेकिन इसका जबाब मिलना नामुमकिन है ।