PATNA : कोरोना का संकट बिहार में तेजी से बढ़ते ही जा रहा है. लॉक डाउन के दूसरे चरण में 20 अप्रैल के बाद कोरोना के मामले में काफी इजाफा हुआ है. लॉक डाउन में 20 अप्रैल के बाद कि ढील देने से मात्र 7 दिनों में सूबे के कोरोना संक्रमित की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. कोरोना से लड़ने की राज्य सरकार की कार्यवाहियों की मॉनिटरिंग करने की पटना हाई कोर्ट से लगाई गुहार लगाई गई है. पटना के रेड ज़ोन इलाकों में भी राज्य सरकार द्वारा लॉक डाउन में ढिलाई देने के खिलाफ हाई कोर्ट में पीआईएल दायर किया गया है.
राज्य में आपात सेवा के साथ केंद्र सरकार से मंज़ूर हुई अतिरिक्त सेवाओं को पटना के रेड ज़ोन इलाकों में भी राज्य सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने और उससे कोरोना संक्रमित मरीजों के अचानक इजाफा होने की ओर पटना हाई कोर्ट का ध्यान आकर्षित करते हुए पटना हाई कोर्ट के एक वकील ने चीफ जस्टिस सहित सभी जजों को एक पत्र लिखकर पटना सहित पूरे बिहार को कोरोना महामारी से बचाने की गुहार लगाया है.
एडवोकेट विकास कुमार ने 26 अप्रैल को व्हाट्सएप्प पर लिखे पत्र के जरिये मीडिया के ख़बरों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट को बताया कि पटना में कोरोना संक्रमित की संख्या एकाएक बढ़कर 33 और पूरे सूबे में बढ़कर 277 तक आ पहुंची है. वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्रालय के 15 अप्रैल के रिवाइज़्ड गाइडलाइन में साफ तौर पर मना किया गया है कि किसी राज्य या यूनियन टेरिटरी के घोषित हुए कोरोना के अतिसंवेदनशील इलाकों, कॉंटेन्मेंट ज़ोन, रेड ज़ोन में 20 अप्रैल से होने वाली लॉक डाउन की ढिलाई लागू नहीं होगी. इसके बावजूद राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के गाइडलाइन के उल्लंघन में पटना में रेड जोन इलाकों में भी अतिरिक्त सेवाओं को शुरू करने की ढील 20 अप्रैल के बाद से दे दी है. नतीजा यह है कि कोरोना के अति संवेदनशील इलाकों के आसपास सरकारी के साथ-साथ अन्य दफ्तर और दुकाने खुल गईं. वहीं दूसरी ओर कोरोना संक्रमित की संख्या में एकाएक बहुत इजाफा हुआ.
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का ध्यान एक और सरकारी लापरवाही की तरफ आकर्षित किया है. एडवोकेट विकास ने बताया कि सरकारी महकमे में गैर आवश्यक सेवाओं वाले विभाग के मुख्यालयों में तृतीय, चतुर्थ श्रेणी कर्मी और संविदा पर बहाल अफसर और कर्मियों को हफ्ते में सिर्फ दो दिन (रोटेशन पर ) काम करने का केंद्र और राज्य सरकार का निर्देश है. लेकिन इसका अनुपालन में सम्बन्धित वर्क रोस्टर को, राज्य सरकार के गैर आवश्यक सेवाओं वाले कई विभाग मसलन, वन एवं पर्यावरण विभाग अपने मुख्यालय स्तर पर अब तक लागू नही कर पाए हैं. नतीजतन इन महकमो के अफसर और कर्मियों को पटना में रेड ज़ोन होते हुए भी रोज़ाना दफ्तर आना पड़ता है. इस तरह से राज्य सरकार की लापरवाही से कोरोना फैलने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है.
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इस पत्र को पीआईएल में तब्दील कर मामले पर फौरन संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के कोरोना से निपटने संबंधित कार्य कलापों की मॉनिटरिंग की गुहार लगाई है. एडवोकेट विकास के हवाले से जानकारी मिली कि उनके ऑनलाइन पत्र पर मुख्य न्यायाधीश और पटना हाई कोर्ट प्रशासन के प्रतिक्रिया के बारे में सोमवार शाम तक महानिबंधक कार्यालय से मिलेगी.