PATNA : राजस्थान के कोटा में रहकर मेडिकल और इंजीनियरिंग की तैयारी करने वाले बच्चों तो देश के सभी राज्यों ने वापस बुला लिया है. आज पंजाब सरकार की बस से वहां के बच्चे भी अपने घर पहुंच गये. लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज फिर से बिहारी बच्चों को वापस बुलाने से साफ इंकार कर दिया है. नीतीश इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेवार करार दे रहे हैं. इस मसले पर बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन की दो पार्टियों जेडीयू और बीजेपी के बीच चूहे-बिल्ली का खेल शुरू हो चुका है.
प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में नीतीश का इंकार
दरअसल प्रधानमंत्री ने आज देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की थी. नीतीश कुमार के ऑफिस से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने उसमें कोटा में फंसे बिहार के बच्चों पर चर्चा की. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मौजूदा हालात में कोटा समेत देश के दूसरे हिस्सों में फंसे बिहार के लोगों को वापस लाना संभव नहीं है. बिहार सरकार उन्हें वापस नहीं ला सकती है.
नीतीश ने बीजेपी को फंसाया
दरअसल नीतीश कुमार ने कहा कि लॉकडाउन को लेकर केंद्र सरकार ने दिशा निर्देश जारी किये हैं. वे उन निर्देशों का पालन कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने जो दिशा निर्देश दिये हैं उसमें एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने की मनाही है.केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के आदेश के कारण ही वे बिहार के बच्चों को वापस नहीं बुला रहे हैं. केंद्र सरकार जब अपना आदेश वापस लेगी तो बिहार सरकार अपने राज्य के लोगों को वापस बुलाने पर विचार करेगी.
बीजेपी को फंसाने की नीतीश की पॉलिटिक्स
दरअसल कोटा से बच्चों को वापस लाने को लेकर बिहार सरकार पर लगातार दबाव बढता जा रहा है. कोटा में फंसे बच्चों का वीडियो हर रोज वायरल हो रहा है. वे किस हालत में जी रहे हैं और क्या क्या परेशानियां उन्हें झेलनी पड़ रही है. लिहाजा हर रोज नीतीश सरकार की फजीहत हो रही है. उधर इस मामले में पटना हाईकोर्ट में भी याचिका दायर हो चुकी है जिस पर कल सुनवाई होनी है.
लेकिन नीतीश को सबसे ज्यादा परेशानी बीजेपी शासित राज्यों के फैसले से हो रही है. बीजेपी शासित राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश से लेकर असम ने कोटा में फंसे अपने बच्चों को वापस बुला लिया है. गैर बीजेपी शासित राज्य भी अपने बच्चों को वापस बुला रहे हैं. पंजाब ने कल ही अपनी बसों को भेजकर पंजाबी बच्चों को कोटा से अपने घऱ वापस बुलाया. ऐसे में नीतीश कुमार की आलोचना सबसे ज्यादा हो रही है.
सत्ता के गलियारे में हो रही चर्चाओं के मुताबिक नीतीश कुमार इस मामले में दोष बीजेपी के मत्थे मढ़ना चाहते हैं. लिहाजा वे बार-बार ये कहने में लगे हैं कि केंद्र सरकार के दिशा निर्देश के कारण ही वे बिहार के बच्चों को वापस नहीं ला रहे हैं. केंद्र सरकार यानि नरेंद्र मोदी सरकार. नीतीश लोगों के बीच ये मैसेज देना चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी और बीजेपी ने उन्हें बिहारियों को वापस लाने से रोक रखा है.
वैसे नीतीश कुमार ने आज फिर दावा किया कि बिहार के बाहर फंसे किसी बिहारी को कोई परेशानी नहीं हो रही है. उनकी सरकार ने सभी अप्रवासी बिहारी को मदद करने का पूरा इंतजाम कर दिया है. प्रधानमंत्री के सामने भी नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार सरकार के पास सूबे से बाहर फंसे लोगों के एक लाख फोन कॉल्स आये और सरकार ने सब की मदद की है. 15 लाख से ज्यादा लोगों को एक-एक हजार रूपये की मदद की जा चुकी है.
कहीं न कहीं नीतीश ये मैसेज देना चाहते हैं कि वे अपने बूते बिहारियों की हरसंभव मदद कर रहे हैं. अगर किसी की मदद नहीं कर पा रहे हैं तो उसके लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जिम्मेवार है.