1st Bihar Published by: Updated Mon, 27 Apr 2020 11:36:36 AM IST
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PATNA : कोटा पर बिहार में सियासत जारी है। बिहार सरकार को कोटा से बच्चों को वापस लाने के मसले पर विपक्ष बार-बार घेर रहा है। इस बीच बिहार सरकार ने राजस्थान सरकार को नसीहत दी है। मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि कोटा की इकोनामी बिहारी बच्चों से चलती है, छात्रों को सुविधा नहीं मुहैया कराना राजस्थान सरकार की नाकामी है।
बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कोरोना संकट के बीच बिहार सरकार प्राणरक्षा के मंत्र लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग पर कायम है। कोटा में फंसे बिहार के बच्चों की जवाबदेही वहां के सरकार की बनती है। कोटा की इकोनामी ही इन बिहारी बच्चों से चलती है। ऐसे में सरकार को उन बच्चों का ख्याल रखना ही होगा। उन बच्चों का एक महीने भी ख्याल राजस्थान सरकार नहीं रख सकती है क्या ? उन्होनें कहा कि बिहार सरकार चिंतित है। लगातार उन बच्चों के संपर्क में है, वहां के डीएम से भी लगातार बात हो रही है। स्थानीय प्रशासन बच्चों की खबर ले रहा है। लेकिन उन्हें वापस ला पाने में असमर्थ है। मंत्री ने कहा कि बिहार में कोरोना के जो भी मामले सामने आए हैं उनमें 38 फीसदी मामले ऐसे हैं जिसमें बाहर से आए लोगों के चलते संक्रमण हुआ है। ऐसे में इस संवेदनशील मामले में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन को तोड़कर बच्चों को बाहर से लाना कितना उचित होगा।
नीरज कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हवाला देते हुए कहा कि उन्होनें जब जहानाबाद में एक जनप्रतिनिधि के साथ बातचीत की तो उन्होनें साफ किया कि बाहर रह रहे अपने लोगों से संपर्क में रहिए इससे बाहर फंसे लोगों की हौसलाअफजायी होगी। उन्होनें कहा कि वे देश के पीएम है देश के हालात को जानते हैं वे जानते हैं कि अभी इस मुश्किल वक्त में बाहर से लोगों को लाना कितना खतरनाक है। मंत्री ने कहा कि पचास किलोमीटर दूर तो हम अपने घरों को नहीं पा रहे हैं फिर हजारों किलोमीटर दूर रह रहे बच्चों को लाना कितना कितना खतरनाक है। बच्चों पर भी संक्रमण का खतरा बना रहेगा।
मंत्री ने कहा कि बिहार कोरोना संकट के साथ-साथ कई मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। बिहार में वज्रपात ने भी कहर बरपाया है। 16 लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में सबकी चिंता करनी है। उन्होनें कहा कि बिहार शायद ऐसा पहला राज्य है जिसने सीधे बिहार के बाहर फंसे लोगों को सीधे उनके अकाउंट में पैसा भेजा है। 5869 करोड़ रुपया जरूरतमंद लोगों को दिया गया है।