किंग मेकर बनेंगे लालू यादव? : 1 जून को दिल्ली में होगी इंडी अलायंस की बैठक ; इस बात की चर्चा तेज

किंग मेकर बनेंगे लालू यादव? : 1 जून को दिल्ली में होगी इंडी अलायंस की बैठक ; इस बात की चर्चा तेज

PATNA : बिहार को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है। ऐसे इस बार लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों को एकजुट करने की नींव भी बिहार से ही पड़ी थी और इसके अगुआ नीतीश कुमार बने थे। लेकिन, अब नीतीश कुमार इस गठबंधन से अलग हैं और ऐसे में बिहार में ड्राइविंग सीट पर लालू यादव बैठे हुए हैं। वैसे भी लालू यादव की गिनती  सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सबसे विश्वस्त सहयोगियों में होती है। ऐसे में अब सवाल उठता है कि लालू का मतलब विपक्ष की मजबूती या फिर मजबूरी है?


दरअसल, विपक्षी दलों को एक साथ लाने के लिए पहली बैठक राजधानी पटना में पिछले साल 23 जून को हुई थी और उसमें 15 दल शामिल हुए थे।  उसके बाद दूसरी बैठक बेंगलुरु में 17-18 जून हुई थी और बेंगलुरु में 26 दलों के नेता उस बैठक में शामिल हुए थे। इसके बाद तीसरी बैठक मुंबई में 31- 01 सितंबर को आयोजित की गई और इस बैठक में 28 दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।


इसके बाद अंतिम बैठक दिल्ली में 19 दिसंबर आयोजित हुई थी। उसके बाद बिहार की राजनीति में बड़ा खेल हुआ और यहां सत्ता परिवर्तन हो गया। इसके कुछ महीनें बाद लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई। लिहाजा अब विपक्षी दलों की एक बैठक सातवें चरण के मतदान के दिन यानी 1 जून को दिल्ली में होनी है। ऐसे में इस रैली में सबसे बड़ा सवाल लालू यादव बने हुए हैं? 


मालूम हो कि लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आने वाले हैं, लेकिन उससे पहले 1 जून को ही इंडिया गठबंधन की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई है। दिल्ली में तमाम दलों के दिग्गज नेता गठबंधन की बैठक में जुट रहे हैं। लेकिन, इस बैठक में सबकी नजरें लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर टिकी है। इसकी वजह यह है कि बिहार में तेजस्वी या यूं कहें कि लालू ने अकेले मोर्चा संभाल रखा है। लिहाजा लालू प्रसाद यादव की भूमिका इसलिए अहम हो जाती है क्योंकि कांग्रेस की छतरी के नीचे कैसे तमाम दलों को लाया जाए और अगर सरकार बनने की स्थिति आती है तो इसका नेतृत्व कौन करे, इन सबके लिए लालू का होना जरूरी है। 


जानकारी हो कि हिंदी पट्टी में लालू प्रसाद यादव पुराने और अनुभवी नेताओं में गिने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि विपक्षी दलों में एक मात्र लालू यादव की वजह से जहां अखिलेश यादव हैं, वहीं हेमंत सोरेन और ममता बनर्जी भी खुलकर कुछ बोलने से पहले एक बार विचार जरूर करती हैं। दूसरी तरफ लालू प्रसाद यादव और सोनिया गांधी के परिवार के बीच अच्छे रिश्ते हैं। तेजस्वी और राहुल गांधी चुनाव प्रचार में भी साथ-साथ दिखे। 


वहीं, लालू प्रसाद यादव को बिहार में अगर अधिक सीटें मिलती हैं तो ऐसी स्थिति में लालू प्रसाद यादव निर्णय लेने की भूमिका में होंगे और बहुत सारे फैसलों को भी वह प्रभावित कर सकते हैं। अगर राष्ट्रीय जनता दल को अधिक सीट नहीं आती है तो ऐसी स्थिति में लालू प्रसाद यादव की भूमिका सलाहकार की हो सकती है। उधर, चर्चा यह भी है कि आमतौर पर चुनावी नतीजे के बाद बैठक होती है लेकिन इस बार नतीजे से पहले बैठक बुलाई गई है। इसकी वजह क्या है? जब इसके जवाब तलाशे जाते हैं और जो बातें सामने आती हैं, उसके मुताबिक संभवत: नेता नतीजे को लेकर आगे की रणनीति बनाएंगे। अगर बहुमत आता है तो इंडिया गठबंधन का मूव क्या होना चाहिए और अगर बहुमत नहीं आता है तब इंडिया गठबंधन की भूमिका क्या होनी चाहिए, इसपर चर्चा हो सकती है