कौन हैं अबू दोजाना जिनके घर पड़ी है ED की रेड: तेजस्वी के लिए बनवा रहे थे बिहार का सबसे बड़ा मॉल, लालू परिवार के हैं बड़े राजदार

कौन हैं अबू दोजाना जिनके घर पड़ी है ED की रेड: तेजस्वी के लिए बनवा रहे थे बिहार का सबसे बड़ा मॉल, लालू परिवार के हैं बड़े राजदार

PATNA : प्रवर्तन निदेशालय यानि ED  ने शुक्रवार को दिल्ली, मुंबई, नोएडा और पटना में 15 जगहों पर छापेमारी की है. पटना में लालू परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले बिल्डर और पूर्व विधायक अबू दोजाना के कई ठिकानों पर ED ने एक साथ छापेमारी की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ED ने दिल्ली में लालू यादव की बेटियों के घर पर भी रेड की है. पटना में अबू दोजाना के घऱ पर अहले सुबह 6 बजे ईडी की टीम ने धावा बोला. ईडी के एक दर्जन से ज्यादा अधिकारी अबू दोजाना के घर पहुंचे औऱ छानबीन शुरू की है.



 कौन हैं अबू दोजाना

अबू दोजाना पेशे से बिल्डर हैं. 2015 में उन्हें अचानक से सीतामढी जिले के सुरसंड से राजद का टिकट मिला तो लोग चौंक गये थे. उनकी कोई राजनीतिक सक्रियता नहीं थी लेकिन फिर भी राजद का टिकट ले आये. महागठबंधन के वोट बैंक के सहारे वे चुनाव जीत कर विधायक भी बन गये. राजद ने 2020 में उन्हें फिर से सुरसंड से टिकट दिया था. लेकिन वे चुनाव हार गये. उनका मूल पेशा बिल्डर का ही रहा है, राजद के कार्यक्रमों में भी वे बेहद कम नजर आते रहे हैं. वैसे आज जब ईडी की छापेमारी हुई तो उसी दौरा अबू दुजाना घर की बालकनी में आए और वहां से चिल्ला कर नीचे खड़े मीडिया वालों को कहा कि उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश के तहत रेड की जा रही है.


तेजस्वी के लिए बनवा रहे थे बिहार का सबसे बड़ा मॉल

अबू दोजाना बिहार या देश के कोई बड़े बिल्डर नहीं रहे हैं. लेकिन अचानक से 2017 में उनका नाम सबसे ज्यादा चर्चा में तब आया जब उन्होंने पटना के बेली रोड में बिहार का सबसे बड़ा मॉल बनाने का एलान किया. 750 करोड़ की लागत से बनने वाले इस मॉल की बडी बात ये थी कि जमीन के मालिक डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव औऱ उऩके परिवार के लोग थे. इस जमीन की कहानी एक और घोटाले से जुड़ी हुई है, जिसमें लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव औऱ उनके परिवार के अन्य लोगों पर मुकदमा दर्ज है. आरोप ये है कि लालू प्रसाद यादव ने इस जमीन को लेने के लिए रेल मंत्री रहते बड़ी गड़बड़ी थी.

ईडी ने सीज कर ली थी जमीन

2018 में ही लालू परिवार के निर्माणाधान मॉल को ईडी सीज कर लिया था. ईडी इस जमीन के खेल की जांच कर रही थी. प्रारंभिक सबूत मिलने के बाद ईडी ने जमीन को जब्त कर लिया था. इसके बाद बिहार के सबसे बडे मॉल के निर्माण का काम बंद हो गया था. ईडी का आरोप है कि रेलवे टेंडर में घोटाला कर लालू प्रसाद यादव ने पटना की इस बेशकीमती जमीन को अपने परिवार के नाम करा लिया था. उसी पर मॉल बनाया जा रहा था. ईडी द्वारा जब्त किये गये जमीन को हासिल करने के लिए लालू परिवार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी.


ये थी मॉल की जमीन की कहानी

केंद्रीय जांच एजेंसियों यानि ईडी और सीबीआई का आरोप है कि 2006 में केंद्र की यूपीए सरकार में रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद यादव ने रांची और पुरी में रेलवे के दो होटलों के टेंडर में घोटाला किया. रेलवे के होटलों को गलत तरीके से एक कारोबारी कारोबारी हर्ष कोचर को सौंप दिये गये थे. इसके बदले में लालू परिवार ने पटना में 200 करोड़ रुपए कीमत की 2 एकड़ से ज्यादा जमीन ले ली. इस जमीन को पहले बेनामी तरीके से डिलाइट मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी के नाम कराई गयी. तब इस कंपनी की मालकिन लालू यादव के सबसे करीबी माने जाने वाले राजद सांसद प्रेम चंद्र गुप्ता की पत्नी थी. इसी जमीन पर पटना में मॉल बनाया जा रहा है.

उन्होंने मिट्टी घोटाले का आरोप लगाया। मोदी ने दावा किया कि मॉल बनाने के लिए खोदी गई मिट्टी गलत तरीके से संजय गांधी जैविक उद्यान (चिड़ियाघर) को 90 लाख में बेची गई। इसके लिए सौंदर्यीकरण की गैरजरूरी योजना तैयार हुई।

 

लालू के परिवार तक कैसे पहुंची थी जमीन

केंद्रीय जांच एजेंसियों यानि ईडी और सीबीआई का आरोप है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते इस जमीन को प्रेम गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता की कंपनी के नाम करवाया. फिर बाद में 2014 में लालू यादव के बेटे तेजप्रताप, तेजस्वी, बेटी चंदा और रागिनी को डिलाइट मार्केटिंग में डायरेक्टर बनाया गया. प्रेम गुप्ता की पत्नी कंपनी से बाहर हो गयी. यानि ये जमीन लालू परिवार की कंपनी के नाम हो गया.


2016 के नवंबर में लालू परिवार ने डिलाइट मार्केटिंग कंपनी का नाम बदलकर लारा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया. ला मतलब लालू, रा यानी राबड़ी. केंद्रीय जांच एजेंसियों के मुताबिक लारा प्रोजेक्ट्स से लालू यादव की बेटियां यानि चंदा औऱ रागिनी भी बाहर हो गयीं थी. 14 फरवरी, 2017 से राबड़ी देवी, तेज प्रताप और तेजस्वी को इसका डायरेक्टर बनाया गया था. यानि इस जमीन के मालिक यही तीनों हो गये.

 

इसी घोटाले के आरोप में नीतीश ने तोड़ा था गठबंधन

 दिलचस्प बात ये भी है कि ये वही घोटाला है जिसके आधार पर नीतीश कुमार ने 2017 में राजद से गठबंधन तोड़ लिया था. दरअसल इस मामले में 2017 के जून में सीबीआई और ईडी ने पूर्व रेलमंत्री लालू यादव, राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी, मेसर्स लारा प्रोजेक्ट्स, विजय कोचर, विनय कोचर और आईआरसीटीसी के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर के खिलाफ केस दर्ज किया था. उसके बाद इन सबों के ठिकानों पर छापेमारी भी हुई थी. नीतीश कुमार ने तब भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करने का एलान करते हुए राजद से गठबंधन तोड़ लिया था.