जातीय जनगणना पर नीतीश को लिखे लेटर से तेजस्वी की मंशा उजागर, केंद्र के सामने मुख्यमंत्री को खड़ा करना चाहते हैं

जातीय जनगणना पर नीतीश को लिखे लेटर से तेजस्वी की मंशा उजागर, केंद्र के सामने मुख्यमंत्री को खड़ा करना चाहते हैं

PATNA : बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। दोनों नेताओं की वन टू वन बातचीत में जातीय जनगणना का मसला सबसे ऊपर था लेकिन अकेले में हुई इस मुलाकात के दौरान तेजस्वी और नीतीश के बीच और किन मुद्दों पर बात हुई यह अपने आप में सस्पेंस बना हुआ है लेकिन अब तेजस्वी यादव ने वह पत्र साझा किया है जो उन्होंने मुख्यमंत्री को जातीय जनगणना पर लिखा था।


जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी यादव ने 11 मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे गए पत्र में ज्यादातर पुरानी बातें ही कहीं हैं। जातीय जनगणना कराए जाने को लेकर अपनी मांग रखी है लेकिन साथ ही साथ नीतीश कुमार को यह भी कह दिया है कि उनके नेतृत्व में एक बार फिर विपक्षी दलों के प्रतिनिधि मंडल को केंद्र सरकार से मिलना चाहिए। केंद्र के सामने फरियाद लगानी चाहिए और अगर केंद्र इनकार करता है तो राज्य सरकार को अपने संसाधन से जातीय जनगणना करानी चाहिए।


अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट करते हुए तेजस्वी ने लिखा है कि"जातिगत जनगणना की माँग को लेकर राजद द्वारा आंदोलन की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री जी को पत्र सौंप इस संबंध में बिहार सरकार द्वारा निर्णय लेने और स्थिति स्पष्ट करने की माँग की।मुख्यमंत्री जी ने आश्वस्त किया है कि यथाशीघ्र फिर से सर्वदलीय बैठक बुलाकर जातिगत गणना कराने का एलान किया जाएगाअगर इस आश्वासन के बाद भी सरकार इस पर शीघ्र ही कोई निर्णय नहीं लेती है तो हमारा संघर्ष जारी रहेगा। फिर इस पर सड़क पर आंदोलन होगा ही होगा।"


तेजस्वी के लेटर से यह साफ है कि वह कहीं न कहीं नीतीश कुमार को जातीय जनगणना के मसले पर केंद्र सरकार के सामने खड़ा करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि जातीय जनगणना के मसले पर अगर नीतीश कुमार बीजेपी से अलग स्टैंड ले रहे हैं तो यह काम वह केंद्र को बताकर करें। ऐसे में बीजेपी के साथ उनके संबंधों को लेकर नई परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं। तेजस्वी की इस कदम को लेकर राजनीतिक जानकार यह मानते हैं कि तेजस्वी यादव नीतीश के लिए गुड़ खाएं गुलगुले से परहेज वाली स्थिति नहीं रखना चाहते। अगर वह जातीय जनगणना के मसले पर केंद्र के फैसले से अलग जा रहे हैं तो बीजेपी के साथ उनके संबंध पर इसका असर भी दिखना चाहिए।