इंस्वेटर्स के सामने नीतीश ने क्यों नहीं खोली जुबान? क्या डर था कि अंड-बंड बोलने लगेंगे, इसलिए सलाहकारों ने लगा दी थी रोक

इंस्वेटर्स के सामने नीतीश ने क्यों नहीं खोली जुबान? क्या डर था कि अंड-बंड बोलने लगेंगे, इसलिए सलाहकारों ने लगा दी थी रोक

PATNA: बिहार सरकार ने पटना में दो दिनों तक इंवेस्टर्स मीट का आयोजन किया. दावा किया गया कि इसमें देश भर के उद्योगपति जुटेंगे, जिन्हें बिहार में पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया जायेगा. लेकिन उद्योगपतियों के साथ बैठक में मुख्यमंत्री ने ही एक शब्द नहीं बोला. देश के हर छोटे बड़े राज्य इनवेस्टर्स मीट जैसे आयोजन करते रहते हैं. लेकिन, किसी राज्य में ऐसा पहला आयोजन था, जिसमें वहां मौजूद मुख्यमंत्री ने ही एक शब्द नहीं बोला. नीतीश की खामोशी पर सवाल उठने लगे हैं. सवाल ये पूछा जा रहा है कि क्या नीतीश कुमार को डर था कि जुबान खोली तो मुंह से उलटी-सीधी बातें निकल जायेंगी, जिससे और ज्यादा फजीहत हो जायेगी.


क्या नीतीश के सलाहकारों ने बंद करा रखी थी जुबान

पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने आज ये सवाल पूछा है. उन्होंने कहा है कि दो दिनों के इन्वेस्टर मीट कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने भाषण क्यों नहीं किया ? वे कार्यक्रम में 2 घंटे रहे परंतु एक शब्द नहीं कहा. किसी राज्य में निवेशक तभी पैसा लगाता है जब उसे सारी सुविधा देने की गारंटी दी जाती है. ये गारंटी तो सिर्फ मुख्यमंत्री दे सकते थे. फिर नीतीश कुमार ने निवेशकों का भरोसा जीतने की कोशिश क्यों नहीं की. सुशील मोदी ने कहा है कि नीतीश कुमार के सलाहकारों ने उन्हें बोलने से रोक दिया था. क्योंकि फिर कहीं विधानसभा औऱ विधान परिषद  में भाषण जैसा मुंह से कुछ न निकल जाए जिससे सरकार की भारी फजीहत हो जाए.


तेजस्वी को जानबूझ कर रोका गया

सुशील मोदी ने कहा कि बिहार सरकार के इन्वेस्टर्स मीट में मुख्यमंत्री खामोश रहे तो डिप्टी सीएम गायब. जबकि कार्ड से लेकर विज्ञापन में तेजस्वी यादव का नाम छापा गया था. लेकिन तेजस्वी यादव इस कार्यक्रम में पहुंचे ही नहीं. सुशील मोदी ने कहा है कि तेजस्वी यादव को इस कार्यक्रम में आने से रोका गया था. अगर तेजस्वी उस कार्यक्रम में पहुंचते तो वहां मौजूद निवेशकों को लालू यादव के राज की याद आ जाती.


5 हजार का भी निवेश नहीं होगा

सुशील मोदी ने कहा कि इन्वेस्टर्स मीट में सरकार ने अपनी इज्जत बचाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाये. वहां पहुंचे निवेशकों को दबाव डालकर MOU हस्ताक्षर करवाया गया ताकि कहने को हो जाये कि 50 हजार करोड़ का निवेश होने जा रहा है. जिन उद्यमियों ने पहले ही बिहार में निवेश करने का फैसला लिया था और आवेदन दिया था. जिनका प्रस्ताव पहले ही सरकार के उद्योग विभाग से पास हो चुका था, जो अपने मौजूदा इंडस्ट्री का विस्तार कर रहे हैं, वैसे सभी लोगों को MOU में शामिल कर लिया गया. निवेशकों से कहा गया कि निवेश करना हो या न करना हो लेकिन कागज पर कुछ भी भर दीजिए.


सुशील मोदी ने कहा है कि इंवेस्टर्स मीट में 5 हजार करोड़ के भी गंभीर प्रस्ताव नहीं दिखे. वैसे भी बिहार सरकार के इस कार्यक्रम में अडाणी ग्रुप को छोड़कर टाटा, बिरला, अंबानी, मित्तल जैसा कोई बड़ा समूह नहीं आया. बिहार के निवासी और वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल भी नहीं आए. बिहार के स्थानीय उद्योग संगठन की घोर उपेक्षा की गई. बिहार सरकार ने दावा किया कि विदेशों से भी निवेशक आये. लेकिन विदेशों से आए प्रतिनिधियों में दो प्रकार के लोग थे. एक तो वे लोग थे जो जाड़े में छुट्टियां मनाने बिहार आते हैं. दूसरा राजनयिक थे जो हर राज्य के बुलावे पर पहुंच जाते हैं.


सुशील मोदी ने कहा कि निवेशकों का भरोसा नीतीश, लालू, राहुल पर से समाप्त हो चुका है. भाजपा की सरकार बनेगी तभी गंभीर निवेशक बिहार आएंगे. उन्होंने कहा है कि बिहार सरकार ने 2011 और 2016 में औद्योगिक नीति बनायी थी. उन नीतियों के तहत निवेश करने वालों को सब्सिडी से लेकर दूसरी सहायता देनी थी. लेकिन सरकार के वादे में आकर पैसा लगाने वालों के साथ धोखा किया गया. अभी भी वैसे निवेशकों का करीब 800 करोड़ बकाया है. अपने पैसे की वसूली के लिए निवेशकों को कोर्ट में केस करना पड़ रहा है, तब भी भुगतान नहीं मिल रहा है.