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1st Bihar Published by: Updated Mon, 04 May 2020 09:08:43 AM IST
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PATNA : बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के संयुक्त सचिव सह ललित नारायण मिथिला और कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय के सीनेटर डॉ सुरेश प्रसाद राय ने सरकार के अधिकारियों पर हड़ताली शिक्षकों के धमकाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ शिक्षा मंत्री हड़ताल खत्म करने की अपील करते हैं तो वहीं दूसरी तरफ मातहत अधिकारी झूठा FIR दर्ज कराकर उनकों धमका रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सरकार लगातार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए मीडिया के माध्यम से हड़ताली शिक्षकों को मानवता का हवाला देते हुए वर्तमान वैश्विक महामारी में हड़ताल से वापस लौटने की अपील कर रही है।.साथ ही आश्वासन भी मीडिया के द्वारा ही दे रही है कि सामान्य परिस्थितियों होने पर शिक्षक संगठनों के साथ वार्ता की जाएगी. मगर सरकार या शिक्षा विभाग की संवेदनशीलता 70 शिक्षकों के मौत के बाद भी अब तक नहीं जगी. आखिर किस मुंह से शिक्षा मंत्री और शिक्षा विभाग शिक्षकों को मानवता का पाठ पढ़ा रहे हैं. एक तरफ तो शिक्षा मंत्री अपील जारी करते हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके मातहत अधिकारी शिक्षकों को लगातार पत्र जारी कर डरा धमका रहे हैं. साथ ही साथ आंदोलन से घबराकर शिक्षक नेताओं की सूची मांगी जा रही है तथा उन पर झूठा एफ आई आर भी दर्ज की जा रही है. आखिर यह दोहरा चरित्र शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग का क्या मतलब है.
सुरेश प्रसाद राय ने कहा कि शिक्षा विभाग या शिक्षा मंत्री के आश्वासन पर आखिर कैसे भरोसा किया जाए. सरकार ने ही 3 महीने के अंदर सेवा शर्त लागू करने और साथ ही माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा को पंचायती राज व्यवस्था से अलग करने का वादा किया था. मगर 5 वर्षों से अधिक हो जाने के बावजूद भी ना तो सेवा शर्त लागू हुई और ना ही पंचायती राज व्यवस्था से माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षा की अलग हुई. ऐसे में सरकार पर कितना भरोसा किया जा सकता है. वर्तमान समय में वैश्विक महामारी में भी सरकार के आंखों में जरा भी हड़ताली शिक्षकों के प्रति नरमी नहीं दिख रही है और विभाग निलंबित सहित सभी शिक्षकों को योगदान कर कोरोना महामारी से पीड़ित की सेवा की बात कह रही है. आखिर किस नियम के तहत निलंबित शिक्षक और दंड भोग रहे शिक्षक योगदान करेंगे और सरकार उनकी सेवा लेगी. उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है.
उन्होंने कहा कि एक बार पुनः सरकार से अपील है कि हड़ताल जनित समस्या का सम्मानजनक तरीके से हल निकाले तथा तत्काल गैर वित्तीय मामले यथा सारी दंडात्मक कार्रवाई (निलंबन एफ आई आर, बर्खास्तगी आदि) को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने, हड़ताल अवधि का सामंजन के साथ वेतन भुगतान का आदेश जारी करते हुए लिखित आश्वासन के साथ कि सरकार सामान्य स्थिति होने पर सभी न्यायोचित मांगों को तथा अपने से घोषित सभी वादों को पूर्ण करेंगी. यदि सरकार सिर्फ दिखावे कर शिक्षकों को हड़ताल से वापस कराना चाहती है तो यह भ्रम में ना रहे कि शिक्षक हड़ताल से वापस लौटेंगे. जब तक की सम्मानजनक ढंग से हड़ताल समाप्त नहीं कराती है.