PATNA: बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव इन दिनों सांसत में हैं. रेलवे में जमीन लेकर नौकरी देने के मामले में तेजस्वी पर सीबीआई से लेकर ईडी का शिकंजा कसता जा रहा है. तेजस्वी कह रहे हैं कि उन्हें राजनीतिक साजिश के तहत इस मामले में फंसाया जा रहा है. आज बीजेपी नेता सुशील मोदी ने प्रेस कांफ्रेस कर कई कागजात पेश किये. सुशील मोदी ने कहा कि कागजात ये बताते हैं कि तेजस्वी यादव सिर्फ एक लाख रूपये में ऐसी कंपनी के मालिक बन गये जिसके पास अरबों की संपत्ति थी. दिलचस्प बात ये भी है कि इस कंपनी ने एक चवन्नी का भी कोई बिजनेस या कारोबार नहीं किया सिर्फ जमीन खरीदी. कंपनी के नाम पर 21 बेशकीमती जमीन की रजिस्ट्री करायी गयी. सारी जमीन के मालिक तेजस्वी यादव बन गये.
बिना व्यापार किये खरबों के मालिक बन गये तेजस्वी
बीजेपी नेता सुशील मोदी ने आज प्रेस कांफ्रेंस कर कागजात जारी किये. मोदी ने कहा कि ये कागजात बताने को काफी हैं कि कैसे तेजस्वी यादव बड़े पैमाने पर हेराफेरी कर सिर्फ एक लाख रूपये में अरबों की संपत्ति की मालिक बन गये. तेजस्वी ने कोई कारोबार नहीं किया. लेकिन उनकी कंपनी ने ताबड़तोड़ बेशकीमती जमीन खरीदी. लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते जिन्हें रेलवे में नौकरी मिली उनके परिजनों ने इसी कंपनी के नाम अपनी जमीन रजिस्ट्री की. तेजस्वी यादव की इस कंपनी ने पटना और दानापुर के चितकोहरा, सलेमपुर, चितनावां, बभनगावां, पानापुर में 21 बेहद कीमती भूखंड खरीदा जिसका क्षेत्रफल 221 डिसमिल है.
एके इंफोसिस्टम का खेल
दरअसल, 12 मार्च को ईडी ने दिल्ली में तेजस्वी यादव के बंगले पर रेड की थी. तेजस्वी का ये बंगला दिल्ली के सबसे पॉश इलाका माने जाने वाले इलाके न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में है. सुशील मोदी ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि रेलवे नौकरी के बदले जमीन घोटाला मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, नई दिल्ली के जिस चार मंजिला आलीशान मकान में पूछताछ की गयी, उसकी कीमत करीब 150 करोड़ रूपये है. न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी का D-1088 नंबर का ये बंगला सारी कहानी खुद बयान करता है.
सुशील मोदी ने कहा कि ये आलीशान बंगला एक कपंनी ए.के.इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड का रजिस्टर्ड कार्यालय है. इस ए.के. इंफोसिस्टम नाम की कंपनी का इतिहास बेहद दिलचस्प है. कहानी 2000 से 2005 के बीच शुरू हुई थी, जब बिहार में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थी. उनके मुख्यमंत्री रहते अमित कत्याल नाम के एक कारोबारी को पटना के पास बिहटा में बीयर की फैक्ट्री लगाने की मंजूरी मिली. अमित कात्याल की कंपनी आइसबर्ग इंडस्ट्रीज ने बिहटा में शराब की फैक्ट्री लगाई. अमित कात्याल ने बीयर बनाने की अपनी कंपनी आइसबर्ग इंडस्ट्री में लालू परिवार के लोगों को भी डायरेक्टर बना लिया.
सुशील मोदी ने बताया कि अमित कात्याल नाम के इसी कारोबारी ने अपने नाम पर ए.के. इंफोसिस्टम नाम की कंपनी बनायी. ए मतलब अमित के मतलब कात्याल. शुरू में ए.के. इंफोसिस्टम नाम की इस कंपनी के शेयर दो लोगों के पास थे. अमित कात्याल और उनके भाई राजेश कात्याल के पास. लेकिन अमित कात्याल और उनके भाई राजेश कात्याल ने इस कंपनी के सारे शेयर सिर्फ 1 लाख रूपये में राबड़ी देवी और तेजस्वी को बेच दिया.
वैसे लालू परिवार के चंदा यादव और तेज प्रताप के साथ साथ तेजस्वी यादव लंबे समय तक इस कंपनी के डायरेक्टर रहे. लेकिन मालिकाना शेयर अमित कात्याल और राजेश कात्याल के पास थे, जिसे राबडी देवी और तेजस्वी यादव को एक लाख रूपये में बेच दिया गया. सुशील मोदी ने कहा कि अब इस कंपनी के सारे शेयर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम है. कुल 10 हजार शेयर में से 8,500 शेयर राबड़ी देवी और 1,500 शेयर तेजस्वी यादव के पास है.
अमित कात्याल ने तेजस्वी को ताबडतोड़ तोहफे दिये
सुशील मोदी ने कहा कि बात सिर्फ इतनी नहीं है कि शराब और बीयर कारोबारी अमित कात्याल ने अपनी कंपनी एक लाख रूपये में लालू परिवार को सुपुर्द कर दिया. बल्कि लालू परिवार परिवार पर ताबडतोड़ तोहफे बरसाये. अमित कात्याल की एक दूसरी कंपनी Triangle Trading Ltd. ने 2010 में तेजस्वी यादव को साढ़े नौ लाख रूपये की गाड़ी दे दी. अमित कात्याल ने तेजस्वी यादव को 30 लाख 26 हजार रूपये और तेजप्रताप यादव को 55 लाख 51 हजार रूपये कर्ज के तौर पर दिया. बाद में इस कर्ज को माफ कर दिया गया.
पहले करोड़ों की जमीन लिखवायी फिर लालू परिवार के नाम हुई कंपनी
सुशील मोदी ने कहा कि ए.के. इंफोसिस्टम नाम की ये कंपनी 2007 से ही खेल कर रही थी. हजारी राय नाम के एक व्यक्ति ने इसी ए.के.इंफोसिस्टम कंपनी को 2007 में पटना के महुआ बाग में 21 फ़रवरी, 2007 को लगभग सात कट्ठा जमीन बेच दिया. कागज पर कहा गया कि एके इंफोसिस्टम को 10 लाख 83 हजार में जमीन बेची गयी है. सुशील मोदी ने कहा कि सबसे दिलचस्प बात ये है कि जिस हजारी राय ने एके इंफोसिस्टम को ये जमीन बेची उनके दो भतीजों दिल चंद्र कुमार और प्रेम चंद्र कुमार को रेलवे में नौकरी दी दयी थी. दिलचंद्र कुमार को जबलपुर और प्रेमचंद्र कुमार को कोलकाता में रेलवे में 2006 ग्रुप डी की नौकरी दी गई थी. उस समय लालू प्रसाद यादव केंद्र में रेल मंत्री थे.
सुशील मोदी ने कहा कि 2007 से 2010 तक ए.के. इंफोसिस्टम नाम की इस कंपनी ने पटना और दानापुर के चितकोहरा, सलेमपुर, चितनावां, बभनगावां, पानापुर में 21 भूखंड खरीदा. इनका कुल क्षेत्रफल 221 डिसमिल है. कागज पर बताया गया कि 2 करोड़ 16 लाख रूपये में जमीन खरीदी गयी है. कागज पर बताया गया कि इस कंपनी को जमीन खरीदने के लिए अमित कात्याल ने 45 लाख 50 हजार का लोन दिया है. वहीं, राबड़ी देवी ने भी 1 करोड़ 54 लाख का 2018 लोन दिया. जब इन सारे जमीन की खरीद हो गयी तो कंपनी लालू परिवार के नाम कर दी गयी. 2014 में तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी इस कंपनी के मालिक बन गए. फिलहाल कंपनी के मालिक तो यही दोनों हैं लेकिन कंपनी के डायरेक्टर पद पर लालू-राबडी की बेटी रागिनी लालू को बिठाया गया है.
सुशील मोदी ने कहा कि राजनीतिक साजिश के तहत खुद को फंसाने की बात कह रहे तेजस्वी यादव का सारा पोल खोलने के लिए यही कंपनी काफी है. इसी कंपनी के नाम पर रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लिखवाई गई और अब इस जमीन के मालिक राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव हैं. ए.के. इंफोसिस्टम नाम की इस कंपनी ने एक चवन्नी का भी कारोबार नहीं किया गये.
सुशील मोदी ने कहा कि सवाल ये उठता है कि बीयर और शराब के कारोबारी अमित कत्याल ने लालू के बेटे-बेटियों को क्यों अपनी बीयर की कंपनी का डायरेक्टर बनाया ? क्यों कात्याल परिवार ने सिर्फ एक लाख में अपने सारे शेयर राबड़ी देवी और तेजस्वी को बेच दिया ? अमित कात्याल ने 45 लाख का कर्ज दिया जो माफ क्यों कर दिया गया. ए.के.इंफोसिस्टम ने रेलवे में नौकरी लेने वालों की जमीन कैसे अपने नाम लिखवायी. क्यों इस कंपनी ने पटना में बेशकीमती 21 भूखंड खरीदे. जबकि इस कंपनी ने अपनी स्थापना से लेकर आज तक एक चवन्नी का कोई व्यवसाय नहीं किया. जिस कंपनी का एक हजार रूपये का टर्न ओवर नहीं हो उसने सिर्फ जमीन खरीदने का काम किया. इस कंपनी ने एक लाख रूपये में सारे शेयर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को बेच दिया. उसमें से भी तेजस्वी यादव को सिर्फ 15 हजार रूपये देने पड़े.
सुशील मोदी ने पूछा कि कैसे तेजस्वी यादव मात्र 15 हजार खर्च कर करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन गए ? अमित कात्याल नाम के शराब कारोबारी ने राबडी देवी के मुख्यमंत्री रहते बिहार में बीयर की फैक्ट्री लगायी और फिर बीयर की उस कंपनी में लालू यादव के बेटे-बेटियों को डायेक्टर क्यों बना लिया. क्या कारण रहा कि इस एके इंफोसिस्टम नाम की कंपनी ने ज्यादातर जमीन उसी समय खरीदी जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे.
नीतीश-ललन सिंह को धन्यवाद
सुशील मोदी ने कहा कि ये सारे डिटेल इसलिए सामने आ पाये हैं क्योंकि इसे जेडीयू के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने उजागर किया था. 2008 में ही ललन सिंह और शरद यादव तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिले थे. उन्होंने ज्ञापन देकर लालू यादव पर रेलवे में जमीन के बदले नौकरी देने का आरोप लगाया था. ललन सिंह ने उस वक्त कागजात भी सौंपे थे. लेकिन उस वक्त की यूपीए सरकार लालू यादव के इशारों पर नाचती थी. लिहाजा सारे कागजात गायब हो गये. सुशील मोदी ने कहा कि 2014 में जब नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो ललन सिंह फिर सक्रिय हुए. उन्होंने गायब कर दिये कागजातों को फिर से उपलब्ध कराया. तभी ये सारा मामला सामने आ पाया है.
सुशील मोदी ने कहा कि आज भले ही ललन सिंह और नीतीश कुमार पर अलग ही भाषा बोल रहे हों लेकिन हकीकत यही है कि उनके कारण ही इतना सारा खुलासा हो पाया है. अब तेजस्वी यादव को फंसाये जाने का झूठा ढोंग छोड़ कर इन सवालों का जवाब देना चाहिये. लालू परिवार को बताना चाहिये कि कैसे वह बिहार का सबसे बडा जमींदार परिवार बन गया. सुशील मोदी ने कहा कि लालू परिवार ने बिहार और केंद्र की सत्ता में आने के बाद करीब सवा दो सौ कीमती प्लॉट अपने नाम रजिस्ट्री करवाये हैं. अरबों की ये अकूत संपत्ति ही लालू परिवार के सच को उजागर करने के लिए काफी है.