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1st Bihar Published by: Updated Sat, 11 Apr 2020 10:02:00 PM IST
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PATNA :सीएम नीतीश कुमार ने सूबे के सभी जिलों के डीएम को ये सख्त निर्देश जारी किया है कि ने रबी फसलों की कटनी की खुद से मॉनिटिरिंग करें। किसानों और मजदूरों को किसी तरह की परेशानी न हो। लेकिन बिहार के किसानों के लिए उन्नत तकनीक से खेती करना ही इन दिनों परेशानी का सबब बन गया है। किसानों के पास आधुनिक तकनीक युक्त कंबाइड हार्वेस्टर तो है लेकिन वे चलाना नहीं जानते। सरकार की पहल पर पर किसानों ने पंजाब-हरियाणा से जानकार किसानों को बुलाया लेकिन कोरोना संकट के बीच इन किसानों को कोरेंटाइन कर दिया गया जिससे एक बार फिर गेहूं की कटनी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।इस बीच बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव बिहार के किसानों के हित में खड़े हो गये हैं।
बिहार सरकार ने किसानों के हित में फैसला लेते हुए बिहार के 750 किसानों को कर्फ्यू पास जारी किया था ताकि बिहार के किसान पंजाब और हरियाणा जाकर कंबाइंड हार्वेस्टर के जानकर किसानों ( कंबाइड हार्वेस्टर के चालक और तकनीशियन) को बिहार ला सकें ताकि गेहूं की कटाई की जा सके।लेकिन इस बीच बिहार सरकार ने सारा कफ्यू पास कैंसिल कर दिया और पंजाब, हरियाण और यूपी के आए किसानों को 14 दिनों के क्वारेंटाइन करने के निर्देश दे दिया। अब इस पूरे मामले में बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव ने सरकार को सवालों के घेरे में लिया है।
सांसद रामकृपाल यादव ने कहा कि बिहार के सैकड़ों किसानों ने जिनके पास उन्नत तकनीक से खेती करने के संसाधन मौजूद हैं लेकिन ने इसका इस्तेमाल करना नहीं जानते वे लाखों खर्च कर पंजाब-हरियाणा से किसानों को खुद लेकर आए । लेकिन अब सरकारों ने उन बाहर से बिहार पहुंचे उन किसानों को कोरेंटाइन कर दिया है। जिससे किसानों की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। वे चाहकर भी गेहूं की कटनी नहीं कर पा रहें। सासंद ने कहा कि नियमों के मुताबिक बाहर से आए लोगों को 14 दिनों का कोरेंटाइन जरूरी है लेकिन इस दौरान किसानों को जो आर्थिक मार पड़ेगी उसका क्या होगा। सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचना पड़ेगा। उन्होनें इस पूरे मसले पर सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी से पहल करने की मांग की है।
पिछले दिनों में सरकार से प्राप्त हुए अनुदान से बिहार के किसानों ने बड़ी संख्या में कम्बाइंड हार्वेस्टर खरीद तो लिए मगर यहां उसके चालक और तकनीशियन नहीं होने की वजह से ये तकनीक किसानों के लिए सफेद हाथी ही साबित हो रहे हैं और अब लाखों खर्च कर के भी वे कोराना की मार झेलने को मजबूर हैं। ऐसे में सरकार को उनपर ध्यान देने की जरूरत है।