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गया लोकसभा सीट से जीतनराम मांझी होंगे NDA के उम्मीदवार, RJD से होगा सीधा मुकाबला

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 21 Mar 2024 12:42:38 PM IST

गया लोकसभा सीट से जीतनराम मांझी होंगे NDA के उम्मीदवार, RJD से होगा सीधा मुकाबला

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PATNA: एनडीए में सीटों के बंटवारे के बाद अब उम्मीदवारों का एलान भी शुरू हो गया है। गया की सीट हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा को मिली है। ऐसे में हम की तरफ से गया संसदीय सीट के लिए उम्मीदवार का आज औपचारिक एलान कर दिया गया। गया सीट से पूर्व सीएम जीतन राम मांझी एनडीए के साझा उम्मीदवार होंगे। मांझी का सीधा मुलाबला आरजेडी के साथ होगा।


दरअसल, एनडीए में सीटों के बंटवारे में जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा को एक सीट मिली है। मांझी की मांग पर बीजेपी ने गया की सीट हम को दी। यह पहले से तय माना जा रहा था कि जीतन राम मांझी इस सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। गुरुवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन ने मांझी के नाम पर मुहर लगा दी और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा ने गया सीट से उम्मीदवार के तौर पर जीतन राम मांझी के नाम का एलान कर दिया।


उधर, महागठबंधन में सीट बंटवारे से पहले ही आरजेडी ने गया लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री और आरजेडी विधायक कुमार सर्वजीत को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। बुधवार की देर रात लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने कुमार सर्वजीत को पार्टी का सिंबल सौंप दिया। कुमार सर्वजीत दलित समाज से आते हैं। वहीं जीतन राम मांझी भी दलित हैं और मुसहर समाज से आते हैं। गया सीट पर एनडीए की तरफ से हम के मांझी और महागठबंधन की तरफ से आरजेडी के कुमार सर्वजीत के बीच सीधी टक्कर होगी। 


बिहार में 40 लोकसभा सीटो में गया लोकसभा सीट का धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अपनी एक अगल पहचान है। गया ज्ञान एवं मोक्ष भूमि से विश्व विख्यात है। गया हिन्दू व बौद्ध धर्म का संगम स्थल भी माना जाता है। रामायण व महाभारत में भी गयाजी का जिक्र है। देश के कोने-कोने सहित विदेशो से भी हर साल लाखों की संख्या में लोग अपने पितरों को मुक्ति व मोक्ष की कामना को लेकर गयाजी में पिंडदान करने आते हैं। कहा जाता है कि पूरे भारत मे गयाजी ही एक मात्र स्थान है जहां पूरे साल श्राद्ध किया जाता है।


पौराणिक कथाओं के अनुसार खुद भगवान राम ने भी गया कि महिमा का वर्णन किया है। इसी गयाजी की धरती पर माता सीता ने फल्गु नदी के तट पर बालू का पिंड राजा दशरथ को दिया था। ऐसी मान्यता है कि उनके पिंड के बाद ही राजा दशरथ को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी।गयाजी का वर्णन महाभारत में भी वर्णित है कहा जाता है कि महाभारत युद्ध के बाद धर्मराज युधिष्ठिर भी महाभारत में मारे गए अपने सभी परिवारों का पिंडदान किया था।तो वही इसके अलावा गया को ज्ञान की भूमि भी कहा जाता है।


इसका तातपर्य है कि गया के बोधगया में पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे सिद्धार्थ गौतम को कड़ी तपस्या के पश्चात ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। पूरी दुनिया में जितने भी देश के बौद्ध धर्मावलंबी है वो भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए एक बार बोधगया जरूर पहुंचते हैं। वहीं भौगोलिक दृष्टिकोण से गया तीन ओर से छोटी व पथरीली पहाड़ियों से घिरा हुआ है जिसका नाम मंगला गौरी,श्रृंग स्थान,रामशिला और ब्रह्मायोनि है तो वही पूर्व में मोक्षदायिनी फल्गु नदी बहती है।


जनसंख्या की बात करे तो 2011 के जनगणना के अनुसार शहर की आबादी लगभग 463,454 है जबकि जिले की आबादी 4379383 है। बता दें कि गया जिला में कुल मतदाताओं की संख्या 3037947 है, जिसमें पुरुष-1578310 एवं महिला- 1459582 व अन्य 55 है। गया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें गया नगर, बोधगया, बेलागंज, बाराचट्टी, शेरघाटी और वजीरगंज शामिल हैं। वर्तमान मे 6 विधानसभा सीट में दो सीट पर भाजपा तो तीन सीट पर राजद, वही एक सीट पर हिंदुस्तान आवाम मोर्चा का कब्जा है। जातीय और सामाजिक समीकरण की बात करे तो यह सीट दलित व महादलित बहुल क्षेत्र है क्योंकि गया लोकसभा क्षेत्र में केवल मांझी समाज के 2.5 लाख वोट है तो वही दलित-महादलित में आने वाले सभी जातियों की बात करे तो उनकी संख्या 5 लाख से अधिक है। वही यादव समाज की 2.5 लाख,भूमिहार व राजपूत 2.5 लाख वैश्य 2 लाख तो मुस्लिम 1.80 लाख है।


अगर बात करे कि गया लोकसभा क्षेत्र की मुद्दे व समस्याओं की तो गया लोकसभा क्षेत्र में पेयजल और खेती के लिए सिंचाई सबसे बड़ी समस्या है। वही किसानों को अपने फसल बेचने के लिए बाजार की समस्या है। किसानों को खेती के लिए वर्षा जल पर निर्भर रहना पड़ता है। सिंचाई का कोई पर्याप्त साधन नही है। कुछ किसान मोटरपम्प के सहारे थोड़ी बहुत खेती कर पाते हैं। वही पर्यटन के क्षेत्र में जितना विकास होना चाहिए था वह नही हो सका है। क्योंकि गया लोकसभा क्षेत्र में दो बड़े धर्मिक स्थल है पहला विष्णुपद मन्दिर है तो वही दूसरा महाबोधि मंदिर है जो एक धार्मिक धरोहर है जिसका राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान है, उस दृस्टि कोन से पर्यटन के क्षेत्र में भी उतना विकास नही हुआ है, जितना होना चाहिए था। गया मे एक भी सुपर स्पेशियालिटी हॉस्पिटल नहीं रहने के कारण बेहतर स्वास्थ्य सुविधा से वंचित है, यहां के लोग, बेहतर इलाज के लिये पटना या तो रांची जाना पड़ता है।


गया लोकसभा सीट पर परंपरागत रूप से जिस पार्टी की दबदबा है तो वो है एनडीए गठबंधन की क्योंकि, पिछले तीन बार से इस सीट पर एनडीए गठबंधन के ही उम्मीदवार की जीत हुई है। 2009,2014 के चुनाव में बीजेपी से हरी मांझी तो वही 2019 के चुनाव में जेडीयू से विजय कुमार मांझी को जीत हासिल हुई थी। इस बार के लोकसभा चुनाव की बात करें तो एनडीए से जीतन राम मांझी और महागठबंधन से आरजेडी के कुमार सर्वजीत का सीधा मुकाबला होगा। जीतन राम मांझी राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं। जीतन राम मांझी के संतोष सुमन को एनडीए में मंत्री बने हुए हैं, जीतन राम मांझी का गया संसदीय क्षेत्र व उनके पैतृक जिला भी है। वहीं महागठबंधन की बात करे तो राजद कोटे से रहे पूर्व मंत्री और वर्तमान बोधगया विधायक कुमार सर्वजीत लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। कुमार सर्वजीत पूर्व सांसद डॉ राजेश कुमार का बेटे हैं। वे बोधगया विधानसभा से तीन बार विधायक रह चुके हैं, इसके साथ ही राजद कोटे से कृषि मंत्री व पर्यटन मंत्री कार्यभार भी सभाल चुके हैं। इनकी छवी साफ सुथरी रही है।


वहीं आजादी के बाद गया लोकसभा सीट की हम बात करे तो 1957 व 1962 में इंडियन नेशनल कांग्रेस से ब्रजेश्वर प्रसाद ने जीत हासिल की थी,1967 में भी इंडियन नेशनल कांग्रेस से रामधनी दास ने जीत दर्ज की थी,1971 में ईश्वर चौधरी भारतीय जन संघ से चुनाव जीते थे और 1977 में भी ईश्वर चौधरी ने जनता पार्टी से चुनाव में जीत दर्ज किए थे। उसके बाद 1980 व 1984 में फिर से इंडियन नेशनल कांग्रेस से राम स्वरूप राम ने जीत हासिल की थी। तो वही 1989 में ईश्वर चौधरी ने जनता दल से चुनाव जीते,उसके बाद 1991 में राजेश कुमार तो 1996 में भगवती देवी ने जनता दल से अपनी जीत दर्ज की थी। वही 1998 में भारतीय जनता पार्टी से पहली बार कृष्णा कुमार चौधरी ने जीत हासिल की उसके बाद 1999 में भारतीय जनता पार्टी से रामजी मांझी ने चुनाव जीता, तो 2004 में आरजेडी से राजेश कुमार मांझी ने चुनाव जीता। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी से हरि मांझी दो बार 2009 व 2014 में चुनाव जीते तो 2019 में जेडीयू से विजय कुमार मांझी चुनाव जीते हैं। 2019 की चुनाव में विजय मांझी को 467007 वोट मिले थे तो वही महागठबंधन की ओर से हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी को 314581 वोट मिले थे।वही 2014 की लोकसभा चुनाव में बीजेपी से हरी मांझी को 326230 वोट मिले थे,दूसरे स्थान पर आरजेडी उम्मीदवार रामजी मांझी को 210726 वोट मिले तो वही जेडीयू उम्मीदवार के रूप में तीसरे स्थान पर रहे जीतन राम मांझी को 131828 वोट मिले थे।