TCH एदुसर्व ने किया ऐलान: BPSC TRE-4.0, CTET और STET के लिए नए बैच की शुरुआत, सीमित सीटें, जल्द कराए नामांकन गोपालगंज से बड़ी खबर: नहाने के दौरान गंडक नदी में डूबे 3 बच्चे, तलाश जारी Bihar Co Suspend: 'मंत्री' को गलत जानकारी देना CO को पड़ा महंगा, दो अधिकारी सस्पेंड CHAPRA: शहीद इम्तियाज को श्रद्धांजलि देने घर पहुंचे VIP के प्रतिनिधिमंडल, परिजनों से मिलकर हरसंभव मदद का दिया भरोसा BIHAR: जहानाबाद जेल में तैनात महिला सिपाही ने की आत्महत्या, कटिहार की रहने वाली थी शिवानी, एक महीने में यह तीसरी घटना Bihar News: 30 मई को बिहार दौरे पर नरेंद्र मोदी, इस एयरपोर्ट का करेंगे उद्घाटन; सासाराम में बड़ी जनसभा में होंगे शामिल Bihar News: अब गांव-गांव पहुंचेगी बैंकिंग सेवा, बिहार सरकार खोलेगी 144 नई शाखाएं; होगा रोजगार का श्रृजन BIHAR: राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शहीद इम्तियाज को दी श्रद्धांजलि, राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान को किया नमन Life Style: गर्मी में सेहत का असली साथी है बेल का शरबत, ये 5 फायदे जानकर रह जाएंगे हैरान Punganur cow: दुनिया की सबसे छोटी पुंगनूर गाय की खूबियाँ सुनकर उड़ जाएंगे होश, ऋषि-मुनि भी इस गाय को पालते थे!
1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Wed, 08 May 2024 11:55:41 AM IST
- फ़ोटो
PATNA : पहले तीन चरण में बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों में से 14 सीटों पर मतदान की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद चौथे चरण का मतदान अब दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है। चौथे चरण के मतदान में बिहार की जिन पांच सीटों पर आगामी 13 मई को मतदान होना है, उन सभी पांच सीटों पर इंडिया गठबंधन के घटक दलों के प्रत्याशियों का मुकाबला एनडीए के उन धुरंधरों से होगा, जिन्होंने पिछले दस वर्षों से बिहार की राजनीति को प्रभावित किया है।
दरअसल, चौथे चरण में बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह की प्रतिष्ठा बेगूसराय में, उजियारपुर में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल दो कद्दावर मंत्रियों अशोक चौधरी की बेटी और महेश्वर हजारी के बेटे समस्तीपुर (सु) लोकसभा क्षेत्र में एक-दूसरे के आमने-सामने होंगे। उधर, मुंगेर संसदीय क्षेत्र में जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी कहे जाने वाले राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह के भाग्य का फैसला भी इसी चौथे चरण के मतदान में होना है। इतना ही नहीं, चौथे चरण में ही दरभंगा से बीजेपी के निवर्तमान सांसद गोपाल जी ठाकुर की प्रतिष्ठा भी दांव पर होगी। चलिए, हम आपको बताते हैं कि चौथे चरण के मतदान को लेकर बिहार की इन पांचों लोकसभा सीट के लिए सजाए गए चुनावी अखाड़े का चुनावी समीकरण कैसा है और कौन सा चुनावी पहलवान अपनी जीत के लिए कौन सा दांव अपना रहा है।
बेगूसराय लोकसभा सीट :
सबसे पहले हम बात करते हैं बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और हिंदुत्व को लेकर अक्सर अपने बयानों से न केवल भारत में बल्कि पाकिस्तानी मीडिया में भी चर्चा में बने रहने वाले केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह की। बता दें कि एक समय बेगूसराय को बिहार का लेनिनग्राद भी कहा जाता था। इस लोकसभा क्षेत्र का एक समय था जब यहां वामदलों का ही बोलबाला था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को चार लाख से भी अधिक वोटों के अंतर से हराने वाले गिरिराज सिंह का इस बार मुकाबला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के ही अवधेश कुमार राय से है। पिछले लोकसभा चुनाव से इस बार बेगूसराय की फिजां बदली हुई है। क्योंकि अवधेश राय को न केवल वामदलों का बल्कि राजद और कांग्रेस का भी साथ मिल रहा है। बेगूसराय में इस बार गिरिराज सिंह को वहां के मतदाताओं के गुस्से का भी सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि मिजाज से वामपंथी इस लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं में हिन्दू-मुस्लिम वाला कोई फैक्टर नहीं दिखाई दे रहा है। लोग गिरिराज से उनके पांच साल के कामकाज का ब्यौरा मांग रहे हैं। उधर, सीपीआई के अवधेश राय के बारे में बताया जाता है कि उनकी इस क्षेत्र के मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है। कट्टर हिंदुत्व वाला चेहरा ही इस बार बेगूसराय में गिरिराज सिंह पर कहीं भारी न पड़ जाए। अवधेश राय जाति से यादव हैं और बेगूसराय में लालू के एमवाई समीकरण के साथ-साथ जातीय गोलबंदी गिरिराज सिंह की राह में एक बड़ी बाधा हो सकती है।
उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र :
उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र भी बिहार की हॉटसीट में शुमार है। यहां बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद दूसरे नम्बर के नेता माने जाने वाले केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के डिप्टी कहे जाने वाले केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय का सीधा मुकाबला आरजेडी के आलोक मेहता से है। उजियारपुर में कोइरी और यादव मतदाताओं की संख्या करीब तीन लाख बताई जाती है। ऐसे में एक तरफ नित्यानंद राय को जहां यादव मतदाताओं पर भरोसा है वहीं आलोक मेहता की नजर लालू मैजिक के तहत यादव के साथ कोइरी मतदाताओं और खासकर मुस्लिम वोटरों पर भी है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और बिहार उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से इस बार कोइरी मतदाता खासे नाराज दिख रहे हैं। इसका कारण है कि सम्राट चौधरी अपनी जाति के एक भी उम्मीदवार को बीजेपी से टिकट दिलाने में सफल नहीं हुए हैं। राज्य के अन्य चुनाव क्षेत्रों की तरह अगर कोइरी मतदाताओं के साथ आलोक मेहता को लालू फैक्टर के तहत यादव मतदाताओं का साथ मिल गया तो नित्यानंद राय की मुश्किलें बढती दिखाई दे रही हैं।
मुंगेर लोकसभा क्षेत्र :
मुंगेर इस लोकसभा चुनाव में न केवल जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी कहे जाने वाले राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह को लेकर चर्चा के केंद्र में है चर्चित बल्कि वेबसीरीज खाकी में जिस अशोक महतो को विलेन के रूप में पेश किया गया है, उनकी पत्नी कुमारी अनीता आरजेडी के टिकट पर ललन सिंह को सीधी चुनौती दे रही हैं। मुंगेर में ललन सिंह की स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ललन सिंह जीत सुनिश्चित करने के लिए आपराधिक मामले में दस साल की कैद की सजा काट रहे बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को मुंगेर में मतदान से ठीक पहले 15 दिनों के फरलो पर जेल से रिहा कराया गया है। बता दें कि यह वही अनंत सिंह हैं जिनकी पत्नी नीलम देवी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ललन सिंह के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर मुंगेर से चुनाव लड़ी थी। जिसमें उन्हें ललन सिंह के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार मुंगेर का चुनावी मौसम बदला हुआ है। अनंत सिंह के पत्नी ने वर्ष 2022 का बिहार विधानसभा उप चुनाव आरजेडी के टिकट पर मोकामा से लड़ा था और जीत दर्ज की थी। लेकिन पिछले दिनों नीलम देवी ने पाला बदलकर जेडीयू का दामन थाम लिया है और जेल से रिहा अपने पति अनंत सिंह के साथ ललन सिंह के लिए मुंगेर के चुनाव क्षेत्र में पसीना बहा रही हैं। बता दें कि भूमिहार बहुल मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में ललन सिंह को पिछड़ी जातियों खासकर यादव, कोइरी, गंगौत के साथ मुस्लिम मतदाताओं से निपटना होगा। क्योंकि अशोक महतो खुद कोइरी समाज से आते हैं और उनकी पत्नी कुमारी अनीता गंगौत जाति से आती हैं। अगर मुंगेर में पिछड़ी जातियों की गोलबंदी हुई तो कहना गलत नहीं होगा कि ललन सिंह की राह मुश्किल हो सकती है।
समस्तीपुर (सु) लोकसभा क्षेत्र :
समस्तीपुर (सु) लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी या कहें एनडीए की ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा दांव पर है। क्योंकि नीतीश मंत्रिमंडल ही नहीं उनकी पार्टी जेडीयू के दो कद्दावर मंत्री अशोक चौधरी की बेटी शाम्भवी चौधरी और महेश्वर हजारी के बेटे सन्नी हजारी आमने-सामने हैं। अशोक चौधरी की बेटी शाम्भवी चौधरी जहां एनडीए के घटक दल चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रा) के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं, वहीं सन्नी हजारी इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने वाली कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। यहां सबसे बुरी स्थिति तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की है। क्योंकि मुख्यमंत्री फिलहाल अपने मंत्री महेश्वर हजारी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने की स्थिति में नजर नहीं आ रहे हैं। अपने दो मंत्रियों के अहम की लड़ाई में नुकसान नीतीश कुमार का ही होगा। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद समस्तीपुर में चुनावी सभा को संबोधित कर चुके हैं लेकिन समस्तीपुर में ऊंट किस करवट बैठेगा, कहना मुश्किल है।
दरभंगा लोकसभा क्षेत्र :
दरभंगा बिहार का वह चुनावी मैदान है जो पिछले कई चुनावों से बीजेपी के मजबूत किले के रूप में रहा है। दरभंगा लोकसभा क्षेत्र से कभी विश्वकप क्रिकेट विजेता भारतीय टीम के खिलाडी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भगवत झा आजाद के पुत्र कीर्ति झा आजाद का चुनाव क्षेत्र रहा है। वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव कीर्ति आजाद ने बीजेपी के टिकट पर लड़ा था और जीत दर्ज की थी। लेकिन वर्ष 2019 के चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काटकर गोपाल जी ठाकुर को मैदान में उतारा था, जिसमें गोपल जी ठाकुर ने राजद के उमीदवार पर जीत भी मिली थी। लेकिन इस बार गोपाल जी ठाकुर को आरजेडी के विधायक ललित यादव से है। जाहिर है, इस बार दरभंगा में जातीय गोलबंदी, खासकर पिछड़ी जातियों और मुस्लिम मतदाताओं की काफी मुखर तौर पर दिख रही है। इसके अलावा बीजेपी सांसद गोपाल जी ठाकुर को लेकर वहां के मतदाताओं में नाराजगी भी साफ़ दिख रही है। ऐसे में अगर दरभंगा में जातीय गोलबंदी मजबूत हुई तो गोपाल जी ठाकुर के लिए संसद का रास्ता मुश्किल होगा।
पटना से फर्स्ट बिहार के लिए राजीव रंजन की रिपोर्ट..