क्रीमीलेयर पर सवाल उठता देख मंत्री श्याम रजक ने PM मोदी को लिखा पत्र, रिजर्वेशन को 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

क्रीमीलेयर पर सवाल उठता देख मंत्री श्याम रजक ने PM मोदी को लिखा पत्र, रिजर्वेशन को 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

PATNA : कोरोना वायरस के बीच एक बार फिर से आरक्षण का दिन निकल आया है. आरक्षण के मुद्दे पर क्रीमीलेयर का सवाल उठते ही नीतीश सरकार के मंत्री और जेडीयू नेता श्याम रजक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. मंत्री श्याम रजक की तरफ से प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में मांग की गई है कि आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाये. बिहार सरकार के उद्योग मंत्री श्याम रजक अखिल भारतीय धोबी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, इसलिए उन्होंने इसी नाते प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है.


मंत्री श्याम रजक ने प्रधानमंत्री के अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पत्र लिखा है. श्याम रजक ने इस मामले पर बीएसपी अध्यक्ष मायावती, लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन को भी पत्र लिखकर इस मामले में समर्थन मांगा है.


मंत्री श्याम रजक ने कहा कि एससी/एसटी आरक्षण के विषय एवं क्रीमीलेयर का प्रश्न उठा कर कटुता उत्पन्न कर समाज के दलित वर्ग को कुंठित एवं समाज तोड़ने की साजिश की जा रही है. आज जब पूरा विश्व कोरोना संकट से गुजर रहा है तथा पूरा भारत आपके निर्देशों का पालन कर रहा है. ऐसे में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के आरक्षण के विषय पर उत्पन्न कटुता से समाज के महादलित वर्ग के लोग अपने को कुंठित महसूस कर रहे हैं. इसी संदर्भ में संविधान के अनुच्छेद 15  खंड 3 में यह प्रावधान किया गया है की अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए संविधान में विशेष अवसर दिया जायेगा.


बिहार सरकार के मंत्री ने आगे कहा कि संविधान के लागू होने के 70 वर्ष के बाद भी आज हिंदू समाज में जातिगत व्यवस्था है इसी जातिगत व्यवस्था के कारण छूत और अछूत की व्यवहार व्याप्त है.  शहरी क्षेत्र में या पढ़ाई-लिखाई में प्रगति हो जाने के कारण इस व्यवस्था में कमी आई है परंतु देहाती क्षेत्रों में अभी भी यह व्यवस्था व्याप्त है. इसी क्रम में भारत के संविधान के प्रावधान के अनुसार अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों को विशेष अवसर के अंतर्गत आरक्षण का प्रावधान किया गया है. आरक्षण का आधार नौकरी पाना या आर्थिक उन्नति करना नहीं है और यह कोई रोजगार पाने का साधन भी नहीं है.