DESK : कोर्ट में एसीपी ने जज के सामने 2 उंगलियों से सैल्यूट किया तो वो भड़क गए। जज ने सवाल उठाया तो एसीपी ने सफाई देते हुए कहा, मैंने तीन तरीके से सैल्यूट करने के बारे में ही सीखा है। इस सवाब से जज संतुष्ट नहीं हुए तो एसीपी ने कहा, उनकी शर्ट टाइट थी, इसलिए वो ठीक से सैल्यूट नहीं कर पाए। अब इस मामले में जज ने पुलिस कमिश्नर से एसीपी के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।
दरअसल, एसीपी नवीन शर्मा अपनी टीम के साथ धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी अनिल को अदालत में पेश करने पहुंचे थे। आरोपी को अदालत में पेश करने के बाद जब वह जाने लगे तो उन्होंने दो अंगुलियों से जज को सैल्यूट किया। अदालत ने जब एसीपी से इस तरह सैल्यूट करने के तरीके के सीखने के बारे में सवाल किया तो उन्होंने बताया कि उन्होंने तीन तरीके से सैल्यूट करने के बारे में सीखा है।
अदालत के सवाल पर एसीपी ने कहा कि- उनकी शर्ट टाइट थी, जिसके चलते वह ठीक से सैल्यूट नहीं कर पाए। इसके बाद अदालत ने पंजाब पुलिस रूल्स 1934 का हवाला देते हुए कहा कि प्रत्येक पुलिस अधिकारी वर्दी में किसी अदालत में प्रवेश करते समय, जब ऐसी अदालत चल रही हो, अदालत को सैल्यूट करेगा, भले ही उस समय ऐसी अदालत में अध्यक्षता करने वाले न्यायिक अधिकारियों की रैंक या स्थिति कुछ भी हो।
मालूम हो कि, पुलिस मैनुअल के हिसाब से भी सैल्यूट करने के भी कई तरीके हैं। अगर शारीरिक अक्षमता के कारण दाएं हाथ से सैल्यूट नहीं कर सकते हैं तो बाएं हाथ का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं, किसी अंत्येष्टि क्रिया में शामिल होने वाले अफसर और जवान शव की ओर दाहिने या बाएं देखकर सैल्यूट करेंगे। वरिष्ठ अफसर सैल्यूट करेगा. अगर कोई पुलिस अफसर बिना शस्त्र के घोड़े पर सवार है तो वो दाहिने हाथ से सैल्यूट करेगा।
आमतौर पर सामने की ओर से सैल्यूट करते वक्त दाहिना हाथ सीधा रखा जाता है। इसे तब तक उठाया जाता है जब तक कि हाथ आड़ा नहीं हो जाता है। इस दौरान ध्यान रखा जाता है कि हथेली सामने की ओर हो,उंगुलियां सीधी हों और अंगूठा तर्जनी के पास सेट हो. ऊपरी हाथ को स्थिर रखा जाता ह। हाथऔर कलाई सीधी होनी चाहिए और कोहनी को तब तक मोड़ा जाता है जब तक कि दाहिने हाथ की तर्जनीका अगला हिस्सा दाहिनी आंख से एक इंच ऊपर न हो जाए।