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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 08 Jun 2025 02:55:58 PM IST
जांच में जुटी पुलिस - फ़ोटो google
UP NEWS: बकरीद यानी ईद-उल-अजहा को मुसलमान पर्व के तौर पर मनाते हैं। इस दिन अल्लाह की राह में जानवरों की कुर्बानी देते हैं। बकरों की कुर्बानी देने के बाद उसे परिवार के सदस्यों के साथ मिल बैठकर खाते है। लेकिन उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले से बकरीद के दिन ऐसी घटना सामने आई जिसने सबकों हैरान करके रख दिया है।
यहां एक बुजुर्ग ने बकरे की जगह खुद की ही कुर्बानी दे दी। इस घटना से इलाके में हड़कंप मच गया। घटना की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लिया और उसे पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज आगे की कार्रवाई शुरू की। मृतक की पहचान 65 वर्षीय ईसमुहम्मद अंसारी के रूप में हुई है जो मजदूरी कर अपने परिवार का भरन पोषण करते थे। बकरीद के दिन जहां मुसलमानों के घर पर बकरी की कुर्बानी दी जा रही थी तभी उसी समय 65 साल के ईसमुहम्मद अंसारी ने खुद की गर्दन पर गड़ासा चला दिया और खुदकुशी कर ली।
बताया जाता है कि जब सुबह में नमाज़ अदा करने के बाद वो घर लौटे और कुर्बानी की तैयारियों में लग गए। तभी कुछ देर बाद अचानक घर से भुजाली निकाल लिया और खुद के गर्दन पर वार कर दिया। इस घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गयी। पर्व के दिन घर में मातम का माहौल बन गया। घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और मामले की छानबीन शुरू की। पुलिस ने मौके से एस सुसाइड नोट भी बरामद किया है।
सुसाइड नोट को पढ़कर हर कोई हैरान है. 65 साल के ईसमुहम्मद अंसारी के सुसाइड नोट में लिखा था कि "इंसान बकरे को अपने बेटे की तरह पालता है और फिर उसकी कुर्बानी कर देता है। वह भी एक जीव है। उसमें भी जिन्दगी है। मैं अपनी कुर्बानी खुद अल्लाह और उसके रसूल के नाम पर दे रहा हूं। किसी ने मुझे नहीं मारा। मेरी कब्र बकरे के खूंटे के पास बनाई जाए और वहीं मुझे दफनाया जाए।"
हालांकि मृतक की पत्नी हाजरा खातून ने बताया कि उनके पति मानसिक रूप से परेशान थे। अक्सर वो आज़मगढ़ की दरगाह पर जाया करते थे। ईसमुहम्मद पर भूत-प्रेत या किसी 'साया' का असर था। जिस दिन उन्होंने आत्महत्या की उस दिन सुबह में वे अकेले झोपड़ी में बंद होकर धूपबत्ती जलाकर तंत्र-मंत्र कर रहे थे। पुलिस घटना की सभी बिन्दुओ की जांच कर रही है।
मृतक के भतीजे शमीम अंसारी ने बताया कि ईद की सुबह चाचा मस्जिद में मिले थे और बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रहे थे। “उन्हें किसी से कोई विवाद नहीं था। वो खुश नजर आ रहे थे। हमें क्या पता था कि वो खुद की ही कुर्बानी कर देंगे। ईसमुहम्मद के इस कदम के बाद इलाके में कई तरह की बातें हो रही है। कोई इसे धार्मिक आस्था से जुड़ा कदम बता रहा हैं, तो कुछ लोग इसे मानसिक बीमारी या कट्टर धार्मिक सोच बता रहा है। पत्नी तो तंत्र-मंत्र की बात कर रही हैं। फिलहाल इस पूरे मामले से पर्दा बहुत जल्द उठेगा ऐसा दावा पुलिस कर रही है। पुलिस इस घटना को हरेक एंगल से जांच रही है ताकि जल्द से जल्द इस मामले का खुलासा हो सके।
बता दें कि इस्लाम के पवित्र महीने जिल्हिज्जा में दसवीं तारीख को ईद-उल-अजहा मनाई जाती है, जिसे कुर्बानी की ईद के नाम से भी जाना जाता है। इसका विशेष महत्व होता है। इस पर्व का मूल उद्देश्य हजरत इब्राहीम की उस अद्भुत परीक्षा को याद करना है, जब अल्लाह ने उन्हें अपने प्रिय बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी के लिए आज्ञा दी थी। जब इब्राहीम ने अपने बेटे की कुर्बानी के लिए तैयारी की तब अल्लाह ने उनकी ईमानदारी और त्याग को देखते हुए बेटे की जगह एक दुम्बा (भेड़) को कुर्बान करने का आदेश दिया। तब से इस पर्व को हर वर्ष मनाया जाने लगा।