PATNA: लोकतांत्रिक जनता दल के संरक्षक पूर्व सांसद शरद यादव ने कोरोना संकट में देश के आर्थिक स्थिति मजदूर और बेरोजगारी दूर ने का टिप्स केंद्र सरकार को दिया है.
चीन के बाजार पर कब्जा करे भारत
शरद ने कहा कि कहा कि वर्तमान दुनिया का कोई भी देश ऐसा नहीं है जैसे अमेरिका यूरोपीय संघ और जापान सहित एक या दूसरी चीज़ के लिए चीन पर निर्भर नहीं है. यह तीनों चीन के सबसे बड़े व्यापार में भागीदार हैं. हालांकि दुनिया जानलेवा बीमारी कोरोना वायरस से ग्रस्त है और ज्यादातर सभी देश बहुत ही कठिन और दुखद दौर से गुजर रहे हैं. फिर भी मैं भारत के लिए चीन के बाजार को हथियाने का एक अवसर देखता हूं. विभिन्न उत्पादों का उत्पादन करने वाले चीन में स्थापित प्रमुख दिग्गजों को भारत में स्थानांतरित करने के लिए आश्वस्त किया जा सकता है क्योंकि हमारे पास पर्याप्त और उचित कार्यबल उपलब्ध हैं. वर्तमान में भारत और चीन के बीच 60 अरब डॉलर से अधिक के व्यापार में अंतर है. हमारा देश उन वस्तुओं की उत्पादन इकाइयों को स्थापित करने की क्षमता रखता है जो हम चीन से आयात कर रहे हैं. भारत प्लांट और मशीनरी और अन्य वस्तुओं का आयात करना जारी रख सकता है, जिनकी हमें उत्पादन के लिए आवश्यकता होगी और जिनका हम उत्पादन करने में पूरी तरह असमर्थ होंगे. यह न केवल हमारे GDP को बढ़ाएगा बल्कि देश की बेरोजगारी की प्रमुख समस्या को भी हल करेगा.
शरद ने कहा कि चीन सामान्य परिस्थितियों में जापान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से कारखानों के बंद होने से जापानी निर्माताओं को पर्याप्त समान ना मिलने के कारण फरवरी 2020 जापान ने चीन से आयात लगभग आधा कर दिया था. चीन के प्रमुख व्यापारिक भागीदारों के बीच कोरोना ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित किया और उसके कारण जापान ने अपने रिकॉर्ड आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज का 2.2 बिलियन डॉलर चीन से बाहर निकालने के लिए अलग से रख लिया है. इसी तरह, राष्ट्रपति ट्रम्प ने अमेरिकी कंपनियों के उत्पादन को चीन से बाहर स्थानांतरित करने की मांग भी कर डाली थी. अमेरिकी राष्ट्रपति ने COVID 19 के प्रकोप के पहले से ही चीन के उत्पादों पर 25 से 30 प्रतिशत शुल्क करने की सोच रहे थे क्योंकि अमेरिका ने चीन के साथ व्यापार युद्ध की घोषणा बहुत पहले से ही कर दी थी.
शरद ने कहा कि चीन वर्तमान में दुनिया भर के सभी निर्मित माल का लगभग 25 प्रतिशत बनाता है क्यों कि अन्य देशों में पर्याप्त और सस्ता कार्यबल मिलने में कठिनाई है. अधिकांश प्रौद्योगिकी दिग्गज उत्पाद चीन में स्थापित हैं. वर्तमान परिस्थितियों में, भारत पर्याप्त कार्यबल की उपलब्धता के मामले में दुनिया के सभी देशों के मुकाबले फायदे में हैं. यह न केवल हमारे देश में जबरदस्त रूप से रोजगार के विकास को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि दोनों देशों के बीच आयात और निर्यात में व्यापक अंतर को ठीक करने में सहायक साबित होगा. मैं सरकार से आग्रह करना चाहूंगा कि मेरे उपरोक्त सुझाव पर ध्यान देते हुए अमेरिकी, जापानी और यूरोपीय संघ उत्पादन दिग्गज जो चीन में स्थापित हैं उस पर तुरन्त काम करना शुरू कर देना चाहिए जिससे कि पहले यह देश वियतनाम जैसे अन्य देशों में अपनी उत्पादन इकाइयां स्थानांतरित करने के लिए सोच विचार करें. हालांकि भारत सरकार इस समय COVID-19 के प्रकोप से पैदा हुई स्थिति से निपटने में बहुत व्यस्त हो सकती है.