PATNA : कोरोना महामारी और लॉकडाउन ने बिहार के सरकारी खजाने पर भी असर दिखाना शुरू कर दिया है. बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहां है कि बिहार अन्य राज्यों के साथ साथ भीषण वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है. सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि आर्थिक सुस्ती और वर्तमान लॉकडाउन के दौर में नए राजस्व संग्रह पर ग्रहण लगा दिया है ऐसे में राज्य की सरकार है वित्तीय संकट से गुजर रही है.
बिहार के मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि बिहार भी वित्तीय संकट से गुजर रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के पास त्राहिमाम संदेश भेजा है राज्य सरकार ने केंद्र से एफआरबीएम एक्ट के तहत जीएसडीपी के 3 फ़ीसदी की ऋण सीमा को बढ़ाकर 4 फ़ीसदी करने की मांग की है इसके साथ ही बिहार सरकार ने पहली बार आरबीआई से राज्य के सिंकिंग फंड की राशि से पुराने किश्त के भुगतान की मांग की है.
मोदी ने कहा कि आर्थिक सुस्ती के कारण पिछले वर्ष 2019-20 में केन्द्रीय करों के कम संग्रह होने के कारण बिहार को केन्द्रीय करों की हिस्सेदारी में प्रस्तावित राशि से 25 हजार करोड़ कम प्राप्त हुआ। बल्कि यह 2018-19 से भी 10 हजार करोड़ कम रहा.
मोदी ने कहा कि 2009 में राज्य सरकार ने सिंकिंग फंड का गठन किया था जिसमें प्रतिवर्ष लोकऋण व अन्य बकाया दायित्व के 0.5 प्रतिशत की राशि निवेश किया जाता है। इस कोष में अभी 7,683.02 करोड़ जमा है, जिसमें मूलधन 5740.12 करोड़ व उसकी ब्याज राशि 1,942.90 करोड़ है। आरबीआई से उसी फंड से पुराने ऋण के मूलधन के इस साल की किस्त़ की वापसी की की मांग की गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में केन्द्र सरकार ने बिहार को जीएसडीपी के 3 प्रतिशत के तहत 26,419 करोड़ रु. ऋण उगाही की अनुमति दी है जिससे 21,188.42 करोड़ रु. का कर्ज बाजार से लिया जा सकता है। अगर जीएसडीपी के 4 प्रतिशत तक ऋण लेने की अनुमति मिलती है तो बिहार अतिरिक्त 6,461 करोड़ का कर्ज ले सकता है।