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DESK : कांग्रेस के अंदर अब अध्यक्ष बनाने को लेकर खलबली मचती हुई दिख रही है। एक तरफ अशोक गहलोत का है तो दूसरी ओर शशि थरूर। कांग्रेस चुनाव में शशि थरूर को पटखनी देने के लिए गांधी परिवार के वफादार माने जाने वाले अशोक गहलोत मैदान में होंगे। कांग्रेस के इतिहास में शायद यह पहली बार होगा कि जब गैर गांधी परिवार के बाहर का सदस्य कांग्रेस के चुनावी मैदान में होगा। बीजेपी के सबसे बड़े आरोपों को झेल रही कांग्रेस इस बार पिंड छुड़ाने की तैयारी में है कि कांग्रेस परिवार की पार्टी है। पिछले 70 सालों से जो बीजेपी कांग्रेस को बताती है, उससे एक बार में ही छुटकारा पाने की राहुल गांधी की इस मुहिम पर अब बड़ा सवाल उठते दिख रहा है कि क्या कांग्रेस गैर गांधी परिवार का हो पाएगा?
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए एक तरफ जहां कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के प्रति अपनी वफादारी दिखा रहे हैं तो दूसरी तरफ पार्टी के अंदर अब किसी नए चेहरे की तलाश भी जारी है। लेकिन अब यह बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर गांधी परिवार के अलावा कौन ऐसा चेहरा होगा। इसमें कई नाम शामिल हैं। कांग्रेस के वफादार रहे शशि थरूर एक खेमे में दिख रहे हैं तो दूसरा खेमा अशोक गहलोत का है। शशि थरूर पार्टी के सांसद है तो अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हैं। राजस्थान के अंदर अशोक गहलोत और पार्टी के दूसरे नेताओं के बीच कई बार तकरार साफ दिखी है। यही वजह है कि अशोक गहलोत को पार्टी मुख्यमंत्री की कुर्सी से अलग कर कांग्रेस में बड़ी जिम्मेवारी देने की सोच रही है। साथ ही यह स्पष्ट कर दें कि कांग्रेस राजस्थान में मजबूत होगी तो देश के अंदर जो तमाम सवाल झेल रही थी उस से भी छुटकारा मिल जाएगा, लेकिन अशोक गहलोत के नाम पर तमाम कांग्रेसी एक मत हो पाएंगे यह बड़ा सवाल अब भी उठ रहा है। ऐसे में हाल के दिनों में थरूर का बयान सीधे तौर पर बता रहा है कि वह भी कांग्रेस के लिए हो रहे चुनावी मैदान में किस्मत आजमा सकते हैं। शशि थरूर के एंट्री से ही कांग्रेस के अंदर की सियासत गरमा गई है और चुनाव रोचक होते हुए दिख रहा है।
शशि थरूर ने कांग्रेस के चुनावी मैदान में उतरने के लिए बयानबाजी शुरू शुरू कर दिया है। ऐसे में कांग्रेस की तरफ से बचाव के लिए अब जयराम रमेश ने मोर्चा संभाल लिया है। गांधी परिवार के समर्थन में जयराम रमेश ने कई ऐसे बयान दिए हैं जो शशि थरूर के लिए तो मुश्किल हो सकता है। अब कांग्रेस के अंदर कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि अन्य लोग भी चुनाव के मैदान में आ सकते हैं। इस बात के संकेत दे दिए गए हैं। चुनाव लड़ने के लिए किसी को किसी से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। इस बयान के बाद अब यह साफ हो गया है कि थरूर ने सोनिया से हुई मुलाकात के बाद कांग्रेस नेताओं की आंखों में धूल झोंकने की जो कोशिश की थी वह एक तरफ से फेल साबित हो गई।
आपको बता दें, राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं। उन्हें मनाने की कोशिश लगातार जारी है। कांग्रेस की ज्यादातर प्रदेश कमेटियों ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार, यूपी आदि राज्यों में प्रदेश प्रतिनिधियों की बैठक में "राहुल लाओ" का प्रस्ताव पास किया गया।