PATNA : लोकसभा चुनाव को लेकर तारीखों का एलान हो गया है। इसके साथ ही देश समेत राज्यों की तमाम छोटी -बड़ी राजनीतिक पार्टी अपने रणनीति बनाने में लगी हुई है। ऐसे में बिहार एनडीए के अंदर सीटों का बंटवारा कर दिया गया है। इस सीट बंटवारे के फोर्मुले में पशुपति पारस की पार्टी को एक भी सीट नहीं दिया गया है। इसके बाद पशुपति पारस ने सावर्जनिक तौर खुद की नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि - उनकी पार्टी के साथ उचित नहीं हुआ है। उसके बाद अब पारस ने एक और कदम बढ़ाया है। अब इन्होंने खुद को "मोदी का परिवार" से अलग कर लिया है। हालांकि, इन्होंने खुद को अभी तक आधिकारिक रूप से एनडीए से अलग नहीं किया है।
दरअसल, कुछ समय पहले तक खुद को मोदी का परिवार बतानेवाले पशुपति पारस आखिरकार उस परिवार से अलग हो गए है। पशुपति पारस ने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल के बायो से "मोदी का परिवार" हटा दिया है। इसके साथ ही उन्होंने लगभग यह साफ कर दिया है कि अब वह एनडीए का हिस्सा नहीं है। लेकिन, अभीतक आधिकारिक तौर पर उन्होंने कोई बयान या पोस्ट नहीं किया है जिससे यह साफ़ हो सकें की वो अब एनडीए के साथ हैं या उन्होंने अपना रास्ता अलग तय करने का फैसला कर लिया है।
उन्होंने यह फैसला उस समय लिया है जब बिहार एनडीए में लोकसभा चुनाव को लेकर हुए सीट बंटवारे में उनकी पार्टी को कोई भी महत्त्व नहीं दिया गया, जबकि उनके भतीजे जो अपनी पार्ट में मात्र एक सांसद हैं उन्हें 5 सीटें दी गई है। सबसे बड़ी बात है कि पारस की सीट भी काट कर चिराग को दे दी गई है और इस सीट को लेकर पारस और चिराग में काफी अनबन वाली हालत भी देखने को मिला था। हालांकि, उन्होंने अपने लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात जरूर कही है। ऐसे में अब देखना है कि चिराग कबतक एनडीए के साथ बने रहते हैं और अगला कदम क्या उठाते हैं।
वहीं, पशुपति पारस ने खुद को मोदी के परिवार से अलग होकर यह संकेत तो जरूर दे दिया है कि अब अधिक दिन तक वो एनडीए के साथ नहीं रहेंगे और जल्द ही अपने अलग कदम का एलान करेंगे।लेकिन, यदि पारस बीच चुनाव में कोई खेल करते हैं तो फिर भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। इतना ही नहीं सबसे बड़ा नुकसान चिराग हो सकता है। हालांकि, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पारस के साथ नहीं रहने से भी भाजपा को अधिक नुकसान नहीं होने वाला है। वैसे पारस ने खुद को मोदी के पारिवार के साथ उस समय जोड़ा था जब लालू ने यह सवाल किया था कि मोदी का परिवार हैं कहां ?
मालूम हो कि ,पटना में जनविश्वास महारैली के दौरान लालू प्रसाद ने जब मोदी के परिवार पर सवाल उठाए थे, जब भाजपा नेताओं के साथ पशुपति पारस और उनकी पार्टी के सांसदों ने भी खुद को मोदी का परिवार बताया था। साथ ही नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी आस्था भी जाहिर की थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में जिस तरह से पशुपति की पार्टी रालोजपा को एनडीए से दरकिनार किया गया उसके बाद यह निश्चित माना जा रहा था कि पशुपति पारस और उनकी पार्टी मोदी के परिवार का हिस्सा नहीं रहेंगे। अब एक्स पर उन्होंने अपने नाम के साथ मोदी के परिवार का टैग हटा दिया है।