PATNA : जमुई में महागठबंधन की एक चुनावी सभा के दौरान आरजेडी कार्यकर्ताओं ने लोजपा (रामविलास) के चीफ चिराग पासवान को भद्दी-भद्दी गालियां दी थी। इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इस घटना को लेकर चिराग पासवान ने तेजस्वी यादव को आईना दिखाया है और लंबा-चौड़ा पत्र लिखकर गाली-गलौज करने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
तेजस्वी को लिखे पत्र में चिराग ने लिखा कि “प्रिय श्री तेजस्वी यादव जी, देश भर में चल रहे लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर इन दिनों आप काफी व्यस्त होंगे। आशा करता हूं कि आप और आपके परिवारजन सभी स्वस्थ होंगे। मैं ऐसी बातों को सार्वजनिक करने का पक्षधर कभी नहीं रहा, लेकिन कुछ बातें जनता के बीच भी आनी जरुरी हैं। मैंने सदैव आपको अपना छोटा भाई माना और आपके और अपने परिवार में कभी फर्क नहीं समझा। आदरणीय श्रीमती राबड़ी देवी जी एवं श्री लालू प्रसाद यादव जी को हमेशा माता-पिता तुल्य माना। आपके संज्ञान में एक बात लाना चाहता हूं कि विगत कुछ दिनों पहले जब जमुई में आप एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे तभी कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा मुझे और मेरे परिवार को लेकर आपके सामने ही अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया। इतना ही नहीं, गाली-गलौज जैसी भाषा का प्रयोग भी किया गया, जो बेहद निंदनीय है”।
चिराग ने आगे लिखा, “मुझे दुःख तब हुआ जब आपकी आंखों के सामने घटित इस घटना पर आप खामोश रहे। दुःख मुझे तब और ज्यादा हुआ जब आपकी पार्टी की प्रत्याशी जो खुद एक महिला होते हुए इस घटना को नजरंदाज करती रही। मंच के ठीक सामने पहली पंक्ति में खड़े लोग चिल्ला-चिल्लाकर मुझे और मेरी माँ को गाली दे रहे थे और आप खामोशी से खड़े थे। उस वक्त मंच पर इतना भी शोर नहीं था कि आपके कान में वो बातें नहीं आई हो। मंच पर आप खड़े थे और आपके ठीक नीचे कुछ फासले पर यह अपशब्द कहे जा रहे थे। मेरे ही नहीं किसी और के भी परिवार के बारे में ऐसी भाषा का प्रयोग या ऐसी भाषा का प्रोत्साहन अनुचित है। इस मामले में नेताओं की खामोशी असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देती है। जनप्रतिनिधि होने के नाते हम सबको मर्यादा का परिचय देना चाहिए ताकि जो लोग हमें अपना आदर्श मानते है वो भविष्य में मर्यादित आचरण करें”।
उन्होंने लिखा कि, “मैंने कभी आदरणीय श्रीमती राबड़ी देवी जी और अपनी माँ में कोई फर्क नहीं समझा। ऐसे में मुझे आपसे ये उम्मीद नहीं थी। मैं मानता हूँ कि राजनीतिक दलों के विचार अलग हो सकते हैं, मतभेद हो सकते हैं लेकिन वैमनस्य होना उचित नहीं है। किसी की माँ के बारे में ऐसी अभद्र भाषा मेरे लिए कल्पना से परे है। आपकी पार्टी के समर्थकों द्वारा की गई इस हरकत से 90 के दशक की जंगलराज की यादें ताजा हो गई है। उस दौर में माँ-बेटियों का घरों से निकलना भी दूभर था। महिलाओं को अपमानित और प्रताड़ित किया जाता था। आज इस घटना के बाद एक पुत्र होने के नाते मेरे लिए अपनी माँ के बारे में ऐसा शब्द सुनना कितना पीड़ादायक है, इसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। मैं चाहता हूँ की आप अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को कड़ा संदेश दें ताकि आइंदा मेरे साथ ही नहीं बल्कि बिहार में रह रही किसी भी माँ-बहन के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जा सके”।
चिराग लिखते हैं कि, “मैंने अपने पिता से रिश्तों की पहचान करना सीखा है। राजनीतिक रिश्तों के साथ पारिवारिक रिश्ते भी जरूरी होते हैं। अंत में, मैं आपसे सिर्फ इतना ही कहूँगा कि मैं अपनी माँ और बहनों को जैसा प्यार और सम्मान देता आया हूँ वैसा प्यार और सम्मान मैंने मीसा दीदी व अन्य बहनों एवं आदरणीय राबड़ी देवी जी को भी दिया है लेकिन शायद वो प्यार और सम्मान सिर्फ मेरे तरफ से था। इस बात का दुःख मुझे और मेरे परिवार को आज हुआ है। मैं आशा करता हूँ कि मेरी माताजी का अपमान करने वालों पर आप तत्काल कार्रवाई करेंगे”।