चारा घोटाला मामला में CBI कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, 52 को मिली तीन साल की सजा; 35 हुए बरी

चारा घोटाला मामला में CBI कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला, 52 को मिली तीन साल की सजा; 35 हुए बरी

RANCHI : चारा घोटला मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है। आज डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी मामले में सीबीआई की विशेष अदालत में सुनाया।  इस मामले में आज आरोपियों को न्यायाधीश विशाल श्रीवास्तव की कोर्ट में पेश किया गया। जसिके बाद 124 आरोपियों में से 52 आपूर्तिकर्ता दोषी करार दिए गए। जबकि 35 लोगों को सीबीआई की विशेष कोर्ट ने बरी कर दिया। अबतक इस मामले में सीबीआई ने कोर्ट के समक्ष अब तक 500 से ज्यादा गवाहों को पेश किया गया है। 


दरअसल, चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने 35 लोगों को बरी कर दिया। इसमें एनुल हक, राजेंद्र पांडेय, राम सेवक साहू, दीनानाथ सहाय, साकेत, हरीश खन्ना, कैलाश मनी कश्यप बरी, बलदेव साहू, सिद्धार्थ कुमार, निर्मला प्रसाद, अनीता कुमारी, एकराम, मो हुसैन, सनाउल हक, सैरु निशा, चंचला सिन्हा, ज्योति कक्कड़, सरस्वती देवी, रामावतार सिन्हा, रीमा बड़ाईक और मधु पाठक का नाम शामिल है।


इसके आलावा सुनील कुमार सिन्हा, अजय कुमार सिंह, जगदीश प्रसाद, नंद किशोर सिंह, राजीव कुमार, नरेश प्रसाद, रविन्द्र प्रसाद, रविन्द्र कुमार मेहरा, अजय वर्मा, डॉ हीरालाल और डॉ बिनोद कुमार को 3 साल की सजा सुनाई गयी है। इसके साथ ही डॉ..केएम प्रसाद, रामा संकर सिंह, अरुण कुमार वर्मा , गौरी प्रसाद , शरद कुमार,अशोक कुमार यादव, राम नंदन सिंह, अजय कुमार सिंह, राजेंद्र कुमार सिंह, सुरेश दुबे, मदन कुमार पाठक और  गुलशन लाल आजमानी को दोषी करार दिया गया। यह मामला 29 साल पुराना है इस मामले में  36 करोड़ 59 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है। झारखंड सीबीआई का यह अंतिम मामला है, जिसमें सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक रवि शंकर ने पैरवी की है।


आपको बताते चलें कि, इससे पहले इस मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने 24 जुलाई को सभी पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद फैसले की तिथि निर्धारित की थी. फैसले की तिथि पर उक्त सभी आरोपियों को सशरीर उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया था। इस मामले में सीबीआई की ओर से 594 गवाहों को प्रस्तुत किया गया है। डोरंडा कोषागार से यह अवैध निकासी वर्ष 1990-91 एवं 1994-95 के दौरान फर्जी आवंटन पत्र के आधार पर की गयी थी।