बिहार से NDA के 39 सांसद लेकिन फंड की राशि खर्च करने में मोदी कैबिनेट के मंत्री ही फिसड्डी

बिहार से NDA के 39 सांसद लेकिन फंड की राशि खर्च करने में मोदी कैबिनेट के मंत्री ही फिसड्डी

PATNA : 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को बिहार में भारी जीत हासिल हुई थी। बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 39 पर एनडीए ने कब्जा जमाया था। इसमें सबसे ज्यादा सांसद है बीजेपी के चुने गए। लेकिन अब इन्हीं सांसदों का जो लेखा-जोखा सामने आया है वह वाकई हैरान करने वाला है ।


सांसद निधि के तौर पर हर साल मिलने वाली राशि में से खर्च का औसत बिहार के सांसदों के मामले में बेहद कम रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि मोदी कैबिनेट में बिहार से जो लोकसभा सांसद शामिल हैं। वह इसमें सबसे निचले पायदान पर नजर आ रहे हैं बात केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की करें या फिर अश्विनी कुमार चौबे कि इन सभी में अपने सांसद फंड का इस्तेमाल बेहद कम किया। अश्विनी कुमार चौबे बक्सर से लोकसभा सांसद हैं उन्होंने अपने पांच करोड़ के एमपी फंड में से अब तक 3 करोड़ 25लाख रुपए खर्च नहीं किए हैं।


यही हाल गिरिराज सिंह का है गिरिराज सिंह ने 5 करोड़ के सांसद निधि से 3 करोड़ 28 लाख रुपए खर्च नहीं किए हैं। केंद्रीय कैबिनेट में शामिल बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय उजियारपुर से सांसद हैं लेकिन उन्होंने अपने 5 करोड़ के एमपी फंड से अब तक ₹2 करोड़ा 44 लाख खर्च नहीं किए हैं। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष और पश्चिम चंपारण से सांसद डॉ. संजय जयसवाल की स्थिति बेहद खराब है डॉ. संजय जायसवाल को ढाई करोड़ रुपए की राशि फंड के तहत मिली थी जो अब तक जैसी की तैसी पड़ी हुई है।


बिहार में अपने सांसद फंड से सबसे कम राशि खर्च करने वाले सुपौल के सांसद दिलेश्वर कामत है उन्हें ₹ 5 करोड़ का फंड मिला है जिसमें से चार करोड़ 34 लाख रुपए अभी भी खर्च होना बाकी है। केंद्र में मंत्री रहे पटना साहिब के सांसद रविशंकर प्रसाद ने ढाई करोड़ रुपए के फंड में से अब तक चवन्नी भी खर्च नहीं किया है। पाटलिपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव का भी यही हाल है मुंगेर से सांसद और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने पांच करोड़ के फंड में से अब तक तीन करोड़ 49 लाख रुपए खर्च नहीं किया है। 


लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के अध्यक्ष और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने ढाई करोड़ के फंड में से एक करोड़ 83 लाख रुपए अब तक खर्च नहीं किए हैं। हालांकि बेहतर प्रदर्शन करने वालों में नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार हैं जिन्होंने 5 करोड़ के फंड में से 4 करोड़ 28 लाख खर्च कर चुके है। केवल 72 लाख रुपये ही बचे हैं। वही सांसद फंड का सबसे ज्यादा इस्तेमाल बीजेपी के ही मुजफ्फरपुर से सांसद अजय निषाद ने किया है। अजय निषाद के 5 करोड़ के फंड में से केवल ₹एक लाख बचा हुआ है।


 सासाराम के सांसद छेदी पासवान के 5 करोड़ की फंड में से केवल 40 लाख रुपए से से जबकि हाजीपुर से सांसद पशुपति कुमार पारस मैं 5 करोड़ के फंड में से केवल 17 लाख  रुपए खर्च नहीं किए हैं केंद्रीय मंत्री राज कुमार सिंह जो आरा से सांसद हैं उनको ढाई करोड़ रुपए सांसद से मिले थे जो अब तक खर्च नहीं हुए हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह जो पूर्वी चंपारण से सांसद हैं उन्होंने 5 करोड़ में से अब तक 1 करोड़ ₹1 लाख खर्च नहीं किए हैं। अररिया के सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने 5 करोड़ में से केवल 2 करोड़ दो लाख रुपये खर्च नहीं किए हैं।


केंद्रीय राशि खर्च नहीं करने वाले सांसदों में केंद्रीय सरकार में मंत्रियों की तादाद सबसे ज्यादा है। वित्तीय वर्ष 2019 बीच में केंद्र सरकार ने सांसद निधि के तहत सात करोड़ 5 करोड़ और ढाई करोड़ पर अलग-अलग सांसदों को आवंटित किए थे। इनमें से खर्च को लेकर बिहार के 95 फ़ीसदी सांसद उदासीन रहे हैं जाहिर है सांसद निधि की राशि खर्च नहीं किए जाने को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इन सांसदों से रिपोर्ट कार्ड मांग सकते हैं प्रधानमंत्री मोदी एक तरफ जहां विकास को सरकार का सबसे बड़ा आधार मानते हैं तो वहीं दूसरी तरफ बिहार के सांसदों की सूची आने वाले चुनाव को लेकर खतरे की घंटी बजा सकती है।