PATNA : पटना हाईकोर्ट ने राज्य के 12 विश्वविद्यालयों में 4638 असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली के विज्ञापन को रद्द कर दिया है और नये सिरे से बहाली के लिए सरकार को आदेश दिया है। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए अपना फैसला को सुरक्षित रखा लिया था। अब आज कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के 2020 के विज्ञापन को रद्द कर दिया है और नये सिरे से विज्ञापन निकलाने का आदेश दिया है।
दरअसल, चुनौती देने वाली याचिका पर निर्णय देते हुए बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा 2020 में प्रकाशित विज्ञापन को रद्द कर दिया है। इससे पहले जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा ने डा. अमोद प्रबोध व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 10जनवरी, 2023 को अपना निर्णय सुरक्षित रखा था। जिसके बाद आज यह फैसला सुनाया गया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने नए सिरे से विज्ञापन निकाल कर इन पदों पर बहाली के लिए आरक्षण के प्रावधानों के अनुरूप प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को दिया है। हालांकि,कोर्ट ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि कुछ विषयों,अरबी,फ़ारसी व अन्य में अस्टिटेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति पर कोई प्रभाव नहीं होगा। इनकी संख्या लगभग 150 है।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता पी के शाही ने बताया था कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया।इसमें राज्य के सभी बारह विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों में 4638असिस्टेंट प्रोफेसरों के नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित हुआ।उन्होंने बताया कि प्रावधानों के अनुसार आरक्षण की सीमा पचास फीसदी से अधिक नहीं हो सकती है।
लेकिन 4638असिस्टेंट प्रोफेसरों के पद पर बहाली के लिए 1223 पद ही सामान्य श्रेणी के लिए रखे गए।ये आरक्षण की पचास फीसदी की सीमा से कहीं अधिक हैं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस तरह इस विज्ञापन संवैधानिक प्रक्रिया का खुला उल्लंघन हुआ है।इससे बहुत सारे योग्य उम्मीदवारों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। इसके बाद अब कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है।
आपको बताते चलें कि,कोर्ट ने इस मामलें पर 20 दिसंबर, 2022 को सुनवाई करते हुए बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग को अगले आदेश तक किसी भी उम्मीदवार को नियुक्ति पत्र जारी नहीं करने का आदेश दिया था।इस मामलें में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता पी के शाही, अधिवक्ता सत्यम शिवम सुंदरम और अधिवक्ता सुमन कुमार ने कोर्ट के समक्ष पक्षों को प्रस्तुत किया था।