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1st Bihar Published by: Updated Mon, 30 May 2022 08:11:30 AM IST
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PATNA: राज्यसभा चुनाव के बहाने रविवार यानि 29 मई को बिहार की सियासत में जो कुछ हुआ, उसका संदेश साफ है. बिहार में नीतीश कुमार की अगुआई में चल रही NDA सरकार की उलटी गिनती शुरू हो गयी है. रविवार को नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच जो शह-मात का खेल हुआ वह बेहद दिलचस्प था. आखिरकार बीजेपी ने बहुत क्लीयर मैसेज दिया-नीतीश की पॉलिटिक्स के सामने अब ज्यादा झुकने का सवाल ही नहीं है, नीतीश जैसी चाल चलेंगे उन्हें वैसी ही भाषा में जवाब दिया जायेगा. बीजेपी ने नीतीश को जवाब देने की ही ठान रखी थी तभी शंभू शरण पटेल जैसे अनाम से नेता को राज्यसभा का टिकट थमा दिया गया.
शंभू शरण पटेल को उम्मीदवार बनाने के मायने
रविवार की शाम जब बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान किया तो दूसरे दलों के नेताओं की बात तो छोड़िये, खुद भाजपा के नेता ही हैरान रह गये. हाल ये था कि बीजेपी के ज्यादातर बड़े नेता शंभू शरण पटेल को जानते तक नहीं थे. बिहार बीजेपी की प्रदेश कमेटी ने राज्यसभा चुनाव के लिए संभावित उम्मीदवारों की लंबी-चौड़ी सूची आलाकमान को भेजी थी, उसमें कहीं शंभू शऱण पटेल का नाम ही नहीं था.
जाहिर है जब पार्टी के उम्मीदवारों की सूची आयी तब हैरान हुए भाजपा नेताओं ने शंभू शऱण पटेल के बारे में पता करना शुरू किया. पता चला कि शंभू पटेल कुछ साल पहले तक जेडीयू के एक छोटे-मोटे नेता थे. छोटी-मोटी ठेकेदारी के लिए जेडीयू के ही एक मंत्री पर आरोप लगाया था तो जदयू ने उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. उसके बाद वे बीजेपी में शामिल हो गये थे. भाजपा में न कोई महत्वपूर्ण जिम्मेवारी मिली और ना ही ऐसा काम किया कि पार्टी के नेता-कार्यकर्ता शंभू पटेल को जान जायें. लेकिन बीजेपी के लिए पूरी जिंदगी खपाने वाले मुंह देखते रह गये औऱ पार्टी ने शंभू पटेल को राज्यसभा भेज दिया.
बीजेपी ने नीतीश को दिया है जवाब
आपके जेहन में भी सवाल उठ रहा होगा कि शंभू पटेल को बीजेपी ने राज्यसभा क्यों भेजा. जवाब पूरी तरह साफ है. बीजेपी ने नीतीश की पॉलिटिक्स को जवाब दिया है. हम आपको विस्तार से समझाते हैं. शंभू पटेल का सरनेम देखकर उनकी जाति निर्धारित करने वालों को शायद उनकी पूरी जानकारी नहीं है. शंभू पटेल धानुक तबके से आते हैं. कहने को धानुक कुर्मी की उपजाति मानी जाती है लेकिन दोनों की आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों में काफी अतंर रहा है. धानुक बिहार में अति पिछड़ी जाति में शामिल हैं जबकि कुर्मी पिछड़ी जाति में बीजेपी ने नीतीश के मर्म पर चोट मारने की कोशिश की है.
भाजपा के एक नेता ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही नीतीश कुमार जो कर रहे हैं उसे पार्टी ने बहुत बर्दाश्त किया. लेकिन अब पार्टी आलाकमान समझ चुका है कि नीतीश कुमार के इरादे क्या हैं. लिहाजा उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जा रहा है. नीतीश कुमार बीजेपी की मेहरबानी से मुख्यमंत्री बनने के बाद भी भाजपा को ही डैमेज करने में लगे हैं, पार्टी उनका जवाब देगी. भाजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने धानुक समाज के एक नेता को राज्यसभा भेजा है. जाहिर है धानुक समाज देखेगा कि उनके वोट के सहारे राज करने वालों ने क्या किया और बीजेपी ने उन्हें कितना सम्मान दिया.
दरअसल यही वो कारण है जिसके कारण शंभू पटेल राज्यसभा पहुंचने वाले हैं. बीजेपी ने नीतीश का हिसाब किताब बराबर करने के लिए बहुत दिमाग लगाया. उसके बाद उनके मूल वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की गयी है. भाजपा जानती है कि कुर्मी जाति के किसी नेता को राज्यसभा भेजने से नीतीश को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था. लिहाजा धानुक समाज के नेता को राज्यसभा भेजा गया. कुर्मी-धानुक के इसी खेल में शंभू शरण पटेल बाजी मार गये क्योंकि भाजपा में धानुक समाज का कोई दूसरा प्रमुख चेहरा नहीं था जिसे राज्यसभा भेजा जा सके. कुर्मी धानुक के इसी खेल के कारण राजीव रंजन से लेकर प्रेम रंजन पटेल जैसे भाजपा के प्रमुख कुर्मी नेता राज्यसभा का टिकट पाने से वंचित रह गये.
देर शाम तक चला शह-मात का खेल
राज्यसभा चुनाव में बीजेपी-जेडीयू के बीच शह-मात के खेल का नजारा समझिये. जेडीयू शाम चार बजे प्रेस कांफ्रेंस कर अपने उम्मीदवार के नाम का एलान करने वाला था. नीतीश ने उम्मीदवार का नाम तय कर रखा था. नामांकन करने के लिए खीरू महतो को रांची से पटना बुला लिया गया था. आरसीपी सिंह का पत्ता कट चुका था. लेकिन रविवार की शाम चार बजे मीडियाकर्मियों को पार्टी ऑफिस बुलाकर भी जेडीयू के नेताओं ने अपने उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया. जेडीयू के सूत्रों ने बताया कि नीतीश कुमार औऱ उनकी कोर टीम को ये पता चला था कि रविवार की दोपहर तक बीजेपी अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान कर देगी. तभी जेडीयू ने 4 बजे का वक्त रखा था. लेकिन बीजेपी ने देर कर दी.
जेडीयू को बीजेपी से डर
रविवार को बीजेपी ने जब शाम के पांच बजे तक अपने उम्मीदवारों के नाम का एलान नहीं किया तो पार्टी ऑफिस में अपने उम्मीदवार के नाम का एलान करने गये जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह बेचैनी में सीएम हाउस निकल लिये. मीडियाकर्मियों ने पूछा तो ललन सिंह ने कहा कि उन्हें ही नहीं पता कि जेडीयू ने किसे उम्मीदवार बनाया है. जेडीयू नेताओं को डर था कि जिस आरसीपी सिंह का पत्ता वे काटने जा रहे हैं कहीं बीजेपी उन्हें ही तो उम्मीदवार नहीं बना देगी. लिहाजा नीतीश की कोर टीम ने य़े रणनीति बनायी थी कि हर हाल में बीजेपी के उम्मीदवार घोषित होने के बाद अपने पत्ते खोले जायें ताकि किसी सूरत में आरसीपी सिंह राज्यसभा नहीं पहुंच पाये. सरकार चला रही दो पार्टियों के बीच शह-मात का ये खेल वाकई दिलचस्प था.
अब कितने दिन चलेगी एनडीए सरकार
सियासी जानकार इस सवाल का जवाब तलाशने में लगे हैं कि अब नीतीश की अगुआई में एनडीए की सरकार कितने दिन चलेगी. बीजेपी के नेता जो कहानी कह रहे हैं उससे साफ है कि भाजपा आलाकमान को नीतीश के इरादों की जानकारी मिल गयी है. आम लोग भी समझ रहे हैं कि आखिरकार 2020 से अब तक हर रोज नीतीश को बूढ़ा, थका हुआ, चोर दरवाजे से सरकार बनाने वाला करार देने वाले तेजस्वी यादव की जुबान क्यों बंद है. दूसरी ओर राजद यानि लालू परिवार के कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर सियासत की हर सीढी चढ़ने वाले नीतीश और उनके सिपाहसलार तेजस्वी और लालू परिवार को लेकर खामोशी क्यों ओढ़ कर बैठे हैं. नीतीश-तेजस्वी की मुलाकातें औऱ उसके बाद के घटनाक्रम जगजाहिर है.
सियासत में फर्क ये आय़ा है कि बीजेपी अब नीतीश की मनुहार करने के बजाय जवाब देने में लग गयी है. लालू फैमिली के ठिकानों पर सीबीआई के छापे इसी रणनीति का हिस्सा बताये जा रहे हैं. सियासी जानकार तो ये भी कह रहे हैं कि सीबीआई की रेड नहीं हुई होती तो नीतीश कुछ दूसरा करामात कर चुके होते. वैसे बीजेपी की रणनीति ये है कि वह नीतीश की सारी रणनीति जानकर भी उनसे समर्थन वापस नहीं लेगी. वह नीतीश के साथ रहकर ही उनकी हर चाल का जवाब देगी. ऐसे में सियासत किस करवट बैठती है ये देखना दिलचस्प होगा.