बिहार में BJP के पूर्व मंत्री के मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द: बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया, सैकडों छात्रों का भविष्य अधर में

बिहार में BJP के पूर्व मंत्री के मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द: बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा गया, सैकडों छात्रों का भविष्य अधर में

PATNA: बिहार में बीजेपी के नेता औऱ पूर्व मंत्री द्वारा संचालित प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी गयी है. देश भर में मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने वाली संस्था नेशनल मेडिकल कमीशन यानि NMC ने इस बाबत पत्र जारी कर दिया है. इस निजी मेडिकल कॉलेज में इस साल बहुत मोटी रकम लेकर 150 छात्रों का नामांकन किया गया था, जिनका भविष्य बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है.


इस कॉलेज की रद्द हुई मान्यता

नेशनल मेडिकल काउंसिल ने मुजफ्फरपुर के तुर्की में स्थित राधा देवी जागेश्वरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी है. इस बाबत बिहार सरकार को पत्र लिख कर जानकारी दी गयी है. नेशनल मेडिकल काउंसिल के पत्र में कहा गया है कि इस मेडिकल कॉलेज में छात्रों को पढ़ाने की जो मंजूरी दी गयी थी उसे तत्काल प्रभाव से रद्द किया जा रहा है. वहीं साल 2021-22 में जिन छात्रों का एडमिशन लिया गया था उसे भी कैंसिल किया जा रहा है.


पूर्व मंत्री का है ये कॉलेज

बता दें कि मुजफ्फरपुर का राधा देवी जागेश्वरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा हैं. पिछले साल ही इस मेडिकल कॉलेज को नेशनल मेडिकल काउंसिल ने मान्यता दिया था. जिसके बाद वहां 150 छात्रों का एडमिशन लिया गया था. अब तमाम छात्रों का भविष्य बर्बादी की कगार पर पहुंच गया है.


एक छात्र ने खर्च किये थे 17 लाख रूपये

इस मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए छात्रों ने बेहद मोटी रकम खर्च की थी. क़ॉलेज ने एक साल की पढ़ाई के लिए 14 लाख रूपये लिये थे. वहीं हॉस्टल के लिए सलाना ढाई लाख रूपये लिये गये थे. 150 छात्रों ने 17 लाख रूपये से भी ज्यादा पैसे देकर इस कॉलेज में एडमिशन लिया था. उन सबों का भविष्य अधर में लटक गया है.


बड़ी गडबड़ियां पकडी गयी थीं

दरअसल नेशनल मेडिकल काउंसिल की टीम ने इस कॉलेज का औचक निरीक्षण किया था. इसमें बडे पैमाने पर गड़बड़ियां पकड़ी गयी थी. औचक निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कॉलेज ने जिन डॉक्टरों के अपने संस्थान में काम करने की जानकारी दी थी उनमें से 85 प्रतिशत डॉक्टर वहां मौजूद नहीं थे. 13 ऐसे विभाग थे जहां एक भी डॉक्टर नहीं था. मेडिकल कॉलेज में 90 प्रतिशत रेजीडेंट औऱ ट्यूटर गायब थे. इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जितने रोगियों का इलाज होने की जानकारी दी गयी थी, उससे काफी कम संख्या में रोगी मौजूद थे.


कॉलेज प्रबंधन ने दी थी लचर सफाई

नेशनल मेडिकल काउंसिल ने अपने पत्र में लिखा है कि जब इन गडबडियों के बारे में कॉलेज प्रबंधन से जवाब मांगा तो अजीबोगरीब जवाब मिला. कॉलेज के प्रिंसिपल ने लिखित जानकारी दी कि कॉलेज जिस ट्रस्ट के अधीन चलता है उसके प्रेसीडेंट की मां का निधन हो गया था. इसलिए डॉक्टर से लेकर रेजीडेंट अंतिम संस्कार में शामिल होने चले गये थे. वहीं ट्रैफिक जाम, खेती औऱ शादी-ब्याह का समय होने के कारण अस्पताल में रोगी नहीं आ रहे थे. 


आयोग ने इस जवाब को लचर करार देते हुआ इसे रिजेक्ट कर दिया. इसके बाद राधा देवी जागेश्वरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल की मान्यता रद्द करने का फैसला लिया गया. नेशनल मेडिकल काउंसिल ने बिहार सरकार के साथ साथ आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर कॉलेज की मान्यता रद्द होने की जानकारी दे दी है.