PATNA : बिहार के किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है तो डिग्री मिलने के बाद सूबे के ग्रामीण क्षेत्र में नौकरी करनी ही होगी. बिहार सरकार ने ये नियम बना दिया है. राज्य कैबिनेट ने भी इसकी मंजूरी दे दी है.
कैबिनेट ने दी मंजूरी
मंगलवार को हुई नीतीश कैबिनेट की बैठक में बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से MBBS की डिग्री लेने वालों को अनिवार्य तौर पर ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात करने का फैसला लिया गया. यानि जो भी बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई करेंगे उन्हें पढाई पूरी करने के बाद निश्चित तौर पर ग्रामीण इलाकों में तय समय तक नौकरी करनी होगी. हालांकि ये अस्थायी पद होगा. MBBS पास करने वालों को संविदा के आधार पर नौकरी करनी होगी. सरकार ने इसके लिए 2580 पद स्वीकृत किये हैं.
डॉक्टरों की कमी को देखते हुए फैसला
दरअसल बिहार सरकार डॉक्टरों की भारी कमी झेल रही है. सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में नौकरी करने के लिए तैयार डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं. लिहाजा भारी तादाद में डॉक्टरों के पद खाली पड़े हैं. कोरोना के दौर में डॉक्टरों की भारी कमी से बिहार सरकार को भारी फजीहत झेलनी पड़ रही है.
स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बिहार के सरकारी मेडकल कॉलेजों में पढने वालों का लगभग पूरा खर्च बिहार सरकार उठाती है. लेकिन जब उन्हें डिग्री मिल जाती है तो वे सरकारी नौकरी के बजाय या तो प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं .या फिर दूसरे राज्यों में चले जाते हैं. निजी मेडिकल क़ॉलेजों की भारी भरकम फीस के बजाय लगभग फ्री में अगर कोई मेडिकल की डिग्री ले रहा है तो उसे बिहार के ग्रामीण इलाकों में एक साल के लिए ही सही नौकरी करनी ही होगी. सरकार इसके लिए मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन लेते वक्त ही छात्रों से शपथ पत्र भरवाएगी.