Bihar Corruption: 1st Bihar के खुलासे से हड़कंप...डिप्टी CM ने जांच के दिए आदेश, सरकारी खजाने से करोड़ों की अवैध निकासी पर कुंडली मार कर बैठने वाले E.E. होंगे सस्पेंड

Bihar Corruption: 1st Bihar के खुलासे से हड़कंप...डिप्टी CM ने जांच के दिए आदेश, सरकारी खजाने से करोड़ों की अवैध निकासी पर कुंडली मार कर बैठने वाले E.E. होंगे सस्पेंड

Bihar Corruption: बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय सिन्हा के विभाग में इंजीनियरों ने खजाना लुटवा दिया. कई फर्जी पत्रों के माध्यम से सरकारी खजाना लुटवाया गया. यूं कहें कि चारा घोटाले की तर्ज पर पथ निर्माण विभाग के एक प्रमंडल से करोड़ों-करोड़ की अवैध निकासी हुई है. पूर्व कार्यपालक अभियंताओं ने सरकारी खजाना लुटवाया, वर्तमान कार्यपालक अभियंता ने पूरे खेल का खुलासा किया. अब वर्तमान कार्यपालक अभियंता बड़े घोटाले को पचाने में जुटे हैं. ऐसा लग रहा मानो वर्तमान कार्यपालक अभियंता ने भी घोटाले रूपी गंगा में हाथ धो लिया हो. 1ST BIHAR/JHARKHAND ने 25 दिसंबर को पूरे मामले का खुलासा किया. इसके बाद पथ निर्माण विभाग में हड़कंप मच गया है. डिप्टी सीएम ने जांच के आदेश दिए हैं.

दोषी इंजीनियरों के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई- डिप्टी सीएम 

डिप्टी सीएम सह विभागीय मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने बताया कि संबंधित कार्यपालक अभियंता से स्पष्टीकरण की मांग की जा रही है. पूछा जायेगा कि किस परिस्थिति में इतने बड़े घोटाले को दबाकर रखा गया ? जांच रिपोर्ट आने के बाद इस बड़े खेल में संलिप्त जो भी इंजीनियर या ठेकेदार होंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जायेगी. डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने कहा कि वे किसी को छोड़ने वाले नहीं हैं. पूरे खेल का खुलासा करेंगे और सख्त कार्रवाई करेंगे. 

पथ प्रमंडल गया-1 ने सरकारी खजाना लुटवाया ! 

पथ निर्माण विभाग के पथ प्रमंडल सं-1 गया में करोड़ों-करोड़ का घोटाला हुआ है. बताया जा रहा है कि 25 करोड़ से अधिक का फर्जीवाड़ा किया गया है. फर्जीवाड़े का खुलासा भी हो गया. आंतरिक खुलासा खुद गया के कार्यपालक अभियंता ने ही कराया, पर अब दबाकर बैठे हैं. दरअसल, इस बड़े घोटाले का आंतरिक खुलासा पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता के पत्र से ही हुआ. पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता ने 6 अगस्त 24 को पत्र सं.1257 के माध्यम से पाकुड़ (झारखंड) के खनन अफसर को पत्र लिखा. जिसमें इनके कार्यालय (खनन कार्यालय पाकुड) से जारी कुल 6 पत्रों को सत्यापित करने को कहा. पत्र सं-312/M,06.04.2015, 370/M 24.04.2015,408/M 14.05.15, 379/M 02.05.2015, 398/M 13.05.2015 एवं 13.05.2015 DATE 13.05.2015 को सत्यापित करने को कहा गया है कि यह चिट्ठी आपके कार्यालय से जारी हुआ है या नहीं ? पथ प्रमंडल गया के कार्यपालक अभियंता ने बजाप्ता अपने एक सहायक अभियंता निशांत राज को इस काम के लिए प्राधिकृत किया था.  

पाकुड के खनन अधिकारी ने 8 अगस्त 2024 को ही दिया था जवाब

पथ प्रमंडल-1 गया के कार्यपालक अभियंता के पत्र संख्या 1257 के आलोक में जिला खनन पदाधिकारी पाकुड़ (झारखंड) ने 8 अगस्त 2024 को जवाब भेजा। जिसमें जानकारी दी गई है कि उपरोक्त सभी पत्र कार्यपालक अभियंता पथ प्रमंडल -1 गया को निर्गत नहीं है। पाकुड के खनन पदाधिकारी ने स्पष्ट कर दिया कि जिस 6 पत्रों के बारे में उल्लेख किया गया है, वह उनके कार्यालय से जारी नहीं है, यानि उपरोक्त सभी पत्र फर्जी हैं। 

Extra कैरेज कॉस्ट के रूप में करोड़ों का हुआ भुगतान 

बता दें, आरोप है कि फर्जी पत्र लगवाकर पथ प्रमंडल-1 गया ने किसी ### कंस्ट्रक्शन कंपनी को करोड़ों रु (extra कैरेज कॉस्ट) का भुगतान किया है। इस बड़े फर्जीवाड़े की शिकायत मुख्यमंत्री सचिवालय में भी की गई है. E.E. गया और पाकुड़ के खनन अफसर के बीच हुए पत्राचार का दोनों पत्र हमारे पास  मेरे पास है। ऐसा लग रहा की पूरी मिलीभगत से यह खेल किया गया है। इस तरह से सड़क निर्माण में लगने वाले पत्थर को झारखंड से लाने का फर्जी पत्र स्वीकार कर पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता ने निर्माण कंपनी को Extra कैरेज कॉस्ट का भुगतान किया. 

मामले को दबाकर बैठे हैं कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा 

खुलासे के बाद पथ प्रमंडल गया-1 के कार्यपालक अभियंता रितेश सिन्हा मामले को दबाकर चुप्पी साधे बैठे हैं. हमने उनसे भी पूछा तो उनके पास जवाब नहीं था, वे बचते दिख रहे थे.बचने के लिए फोन अपने सहायक अभियंता को थमा दिया.सहायक अभियंता ने कहा कि यह मामला कार्यपालक अभियंता के क्षेत्राधिकार में है. यानि जवाब न देकर पूरे मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है. वहीं पथ निर्माण विभाग गया अंचल के अधीक्षण अभियंता भी पूरे खेल को जान रहे हैं. हमने उनसे भी पूछा, वे भी इस मसले पर चुप हो गए. उनसे पूछा गया कि इस मामले पर क्या कार्रवाई होगी ? इस सवाल का जवाब उनके पास नहीं था. ऐसा लग रहा था कि वे भी इस पूरे खेल में शामिल हों. सरकारी खजाना लुट के इस खेल में E.E. और S.E. की भी भूमिका संदिग्ध दिख रही है। जानकार बताते हैं कि पाकुड़ खनन कार्यालय को चिट्ठी लिखने का मकसद ही ठेकेदार से करोड़ों का डील करना था।