PATNA : देश में अगले साल लोकसभा का चुनाव होना है। इस चुनाव को लेकर देश समेत राज्य की तमाम पार्टी अपनी - अपनी रणनीति बनाने में जूती हुई है। इस दफे मुकाबले के बात तो भाजपा के खिलाफ 20 से अधिक दलों की गठबंधन वाली इंडिया होगी। वैसे तो यह लोग एकसाथ है लेकिन बात जब विधानसभा चुनाव की आती है तो ये लोग अलग -अलग नजर आते हैं। ऐसे में समय दर समय थोड़ी मनमुटाव की भी खबरें निकल कर सामने आती रहती है। हालांकि, बाद में कुछ बड़े नेता की दखलअंदाजी से सबकुछ ठीक ठाक हो जाता है। ऐसे में इस गठबंधन में शामिल तीन मुख्य दलों से बिहार भाजपा की लड़ाई होने वाली है। ऐसे में भाजपा ने अभी से अपनी तैयारी शुरू कार दी है ताकि उन्हें अंतिम समय में अधिक कठनाई नहीं उठानी पड़े। इसको लेकर भाजपा ने प्लान बी को रेडी कर लिया है।
दरअसल, बिहार भाजपा ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी तेज कर दी है। बिहार भाजपा ने संसदीय क्षेत्र प्रभारियों को बदलने के बाद अब जिला प्रभारियों एवं जिला संयोजकों को बदल दिया है। इसको लेकर प्रदेश नेतृत्व की ओर से सभी 45 संगठनात्मक जिला प्रभारी एवं 40 संसदीय क्षेत्र संयोजक को बदलने के लिए सूची तैयार की गई है।
जानकारी के अनुसार, भाजपा इस बार अपने पुराने भरोसेमंद और मंझे हुए साथी को बड़ा ओहदा देने के विचार में हैं। बिहार भाजपा सम्राट से पहले की टीम में रहे कई प्रदेश पदाधिकारी और कई प्रदेश उपाध्यक्ष से लेकर महामंत्री एवं प्रदेश प्रवक्ता और शेष वरिष्ठों के सांगठनिक अनुभव वाले लोगों का लाभ लेने के लिए नए सिरे से चुनावी बिसात बिछाने की तैयारी कर रही है।
बिहार भाजपा यह बदलाव भी कई स्तर से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर करने की तैयारी है। संसदीय क्षेत्रवार पार्टी के जनप्रतिनिधियों, पदाधिकारियों, वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से फीड बैक लेने के बाद सभी बदलाव पर पार्टी काम कर रही है। चुनाव से पहले यह बदलाव करने के पीछे नेतृत्व की मंशा जमीनी स्तर पर संगठन को नए सिरे से सक्रिय करने की है।
वैसे तो बिहार के 40 सीटों पर सहयोगी दलों की भी भूमिका होगी। लेकिन, जीत का ताना-बाना भाजपा ही बुनेगी। इसको लेकर पिछले कई भाजपा संसदीय कोर ग्रुप की बैठक में भी रणनीतिकार पर मंथन हो चुकी है। प्रदेश नेतृत्व संसदीय क्षेत्रों के जिला अध्यक्ष, जिला महामंत्री, विधायक व विधान पार्षद से रायशुमारी कर चुका है। पार्टी नेताओं को स्पष्ट कर दिया गया है कि सीटें चाहें जिसके खाते में जाएं, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के तहत तमाम रणनीति का दारोमदार भाजपा पर ही होगा।