भारत के इस शहर में भिखारियों की कमाई हर महीने 2 लाख रूपये: दारू-बिरयानी लेकर लौटते हैं घर, ऑटो से आते हैं भीख मांगने

भारत के इस शहर में भिखारियों की कमाई हर महीने 2 लाख रूपये: दारू-बिरयानी लेकर लौटते हैं घर, ऑटो से आते हैं भीख मांगने

DESK: भारत में एक ऐसा भी शहर है जहां भिखारियों का रैकेट चल रहा है. इस रैकेट में शामिल भिखारियों की कमाई जानकर आप हैरान रह जायेंगे. वे हर महीने डेढ़ से दो लाख रूपये काम कर रहे हैं. ऑटो से भीख मांगने आते हैं और रात में दारू-बिरयानी के साथ घर लौटते हैं। 


भिखारियों का ये रैकेट हैदराबाद में चल रहा है। हैदराबाद पुलिस ने भीख मांगने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने रैकेट के पर्दाफाश के साथ 23 भिखारियों को इससे बाहरनिकालने का दावा किया है. पुलिस की पूछताछ में पता चला कि ट्रैफिक सिग्नल पर पर भीख मांगने वाले कुछ परिवारों की कमाई हर महीने 2 लाख रुपये है. पुलिस ने भीख मांगने वाले कुछ परिवारों से पूछताछ की. इन परिवारों की पहचान भिखारियों का रैकेट चलाने वाले की गिरफ्तारी के बाद हुई. पुलिस कह रही है कि भिखारियों का रैकेट हैदराबाद के साथ साथ उपनगर साइबराबाद और राचकोंडा में काम कर रहा था और ट्रैफिक जंक्शनों पर कब्जा कर भीख मांगते हैं।


हैदराबाद पुलिस के अधिकारी ने बताया कि पति, पत्नी, 4-5 बच्चों और बुजुर्गों का पूरा परिवार एक ट्रैफिक सिग्नल या जंक्शन पर कब्जा कर लेता है. वहां किसी दूसरे को भीख मांगने नहीं दिया जाता. एक परिवार हर रोज 4,000 रुपये से 7,000 रुपये तक कमा लेता है. पुलिस के मुताबिक भिखारियों के क्षेत्र बंटे हुए हैं. अगर आपस में कोई विवाद होता है तो बुजुर्ग उस मामले को निपटाते हैं. भिखारियों के ग्रुप के बीच ट्रैफिक सिग्नल प्वाइंट के साथ साथ टाइमिंग का बंटवारा होता है. 


सूद पर लगाते हैं पैसा

पुलिस के मुताबिक भीख मांगने वाला परिवार सुबह में 9-10 बजे ऑटो रिक्शा से अपने अड्डे पर पहुंचता है. पूरे दिन ट्रैफिक सिग्नल प्वाइंट पर जमे रहते हैं. पूरे दिन भीख मांगने के बाद शाम को ऑटो रिक्शा से ही अपने घर लौटते हैं. पुलिस ने अपने छानबीन में पाया कि भीख मांगने वाले कुछ परिवार को सूद पर पैसा देने का कारोबार भी कर रहे हैं. दिन भर भीख मांगने के बाद जब  वे बिरयानी पैक कराते हैं और पीने के लिए शराब लेकर घर जाते हैं. 


माफियाओं ने बनाया गिरोह

भीख मांगने वालों की कमाई देखकर भिखमंगों का गिरोह भी तैयार हो गया. पुलिस के मुताबिक इस धंधे में कमाई को देखकर कुछ लोगों ने संगठित माफिया के तौर पर काम करना शुरू कर दिया. वे शारीरिक रूप से दिव्यांगों, बच्चों, बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं को बुलाकर भीख मांगने का काम करा रहे हैं. माफिया भीख मांगने वालों से शाम में पूरा पैसा ले लेता है. उन्हें मेहनताना के तौर पर रोज 200 रूपये दिये जाते हैं. 


पुलिस ने भिखारियों के सरगना को पकड़ा

हैदराबाद पुलिस ने भिखारियों के गिरोह के सरगना को पकड़ लिया है. पुलिस ने मुताबिक वह कर्नाटक के गुलबर्गा के फतेहनगर का रहने वाला अनिल पवार है. पुलिस ने कहा है कि इस गिरोह में कई दूसरे लोग भी शामिल हैं. उनमें कर्नाटक के गुलबर्गा के रहने वाले रामू, रघु, धर्मेंद्र समेत कई अन्य अभी फरार हैं. पुलिस ने छानबनी में पाया कि अनिल पवार और उसका गिरोह ने शहर के ट्रैफिक चौराहों पर नेटवर्क फैला रखा था. ये गिरोह भीख इकट्ठा करने के लिए गरीब महिलाओं, नाबालिग बच्चों, विधवाओं और शारीरिक रूप से विकलांगों का शोषण कर रहे थे.


ड्रग्स देकर मंगवाते थे भीख

पुलिस ने बताया कि अनिल पवार बच्चों को नशीला पदार्थ देता था. ड्रग्स लेने के बाद ये बच्चे राहगीरों से सहानुभूति पाकर उनसे भीख मांगते थे. पुलिस ने भिखारियों को अलग-अलग जगहों पर जाने के लिए रखे गये 8 बाइक को जब्त किया है.