पटना में 24 पाकिस्तानी महिलाओं की लिस्ट जारी, तीन ने ली भारतीय नागरिकता 40 साल दरगाह की सेवा के बाद श्यामलाल की घर वापसी, पहलगाम आतंकी हमले से हुआ हृदय परिवर्तन Bihar News: सदर अस्पताल में मिला 25 वर्षीय युवक का शव, प्रेमिका के परिवार वालों पर हत्या का आरोप आतंकवादी हमले के खिलाफ पटना में महागठबंधन का कैंडल मार्च, तेजस्वी यादव-मुकेश सहनी सहित कई नेता रहे मौजूद Road Accident: भारतीय सेना के जवान की सड़क हादसे में मौत, पिता के निधन के बाद छुट्टी पर आए थे घर गोपालगंज में 4 दिन से लापता युवती की लाश बगीचे से बरामद, हत्या के विरोध में परिजनों ने किया सड़क जाम हंगामा CSKvsSRH: 10वें स्थान को लेकर CSK और SRH में रोचक जंग के बीच चेन्नई को मिले भविष्य के 2 सुपरस्टार BIHAR NEWS: विनोद सिंह गुंजियाल बने बिहार के नये मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी, 2007 बैच के हैं IAS अधिकारी महागठबंधन में महाघमासान होना तय! RJD से दबने को तैयार नहीं कांग्रेस, को-ओर्डिनेशन कमेटी में दिखा दिया अपना जोर Pahalgam Terror Attack: रूस की अपने नागरिकों को सलाह, “पाकिस्तान की यात्रा न करें”, भारत-पाक के बीच तनाव से पूरी दुनिया अलर्ट
1st Bihar Published by: Updated Wed, 25 Sep 2019 09:00:04 PM IST
- फ़ोटो
PATNA: बिहार पुलिस का एक और कारनामा सामने आया है. जिस केस में 14 साल पहले कोर्ट ने बरी किया था. उसी केस में पुलिस ने दोबारा गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया. अवैध हिरासत के खिलाफ हाईकोर्ट आये पीड़ित ने 25 लाख रुपए का मुआवजा मांगा है. कोर्ट ने पुलिस महकमे से जवाब मांगा है.
27 सिंतबर को फिर होगी सुनवाई
न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार सिंह की एकलपीठ ने मो. शमीम उर्फ तस्लीम की आपराधिक रिट याचिका को सुन उक्त आदेश दिए. मामले की अगली सुनवाई 27 सितंबर के लिए रखी गई है.सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील राजकुमार ने कोर्ट को बताया की 2002 में किशनगंज जिले के बहादुरगंज थाना कांड संख्या 73/2002 जो एक हत्याकांड के सिलसिले में दर्ज हुआ था. उसमें याचिकाकर्ता को अभियुक्त बनाया गया था। 2003 में उसके खिलाफ सत्र न्यायालय में ट्रायल शुरू हुआ. 2005 में निचली अदालत ने याचिकाकर्ता को उक्त कांड के सिलसिले में बरी कर दिया. करीब 14 साल बाद पुलिस ने उक्त बहादुरगंज थाना कांड के सिलसिले याचिकाकर्ता को फिर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. शमीम को 28 जनवरी 2019 को पुलिस ने दोबारा बहादुरगंज थाना कांड 73 /2002 के सिलसिले में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेजा गया. 7 जून 2019 को तृतीय अवर सत्र न्यायाधीश किशनगंज की अदालत ने शमीम को इस आधार पर जमानत दे दी कि उस थाना कांड के सिलसिले में वह अदालत से पहले ही बरी किया जा चुका है. इस तरह शमीम करीब साढ़े पांच महीने अवैध रूप से जेल में रहने इस कारण शमीम की तरफ से उसके वकील ने 25 लाख रुपये की मुआवजा राज्य सरकार से दिलवाने की गुहार हाई कोर्ट में लगाई.
कोर्ट ने बताया अत्यंत गंभीर मामला
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार सिंह की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई करते पुलिस की कार्यशैली पर हैरानी जताते हुए इसे अत्यंत गम्भीर करार दिया. हाईकोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि जब पुलिस ने शमीम को एक ही मामले में बरी होने के बावजूद दोबारा गिरफ्तार किया तब न्यायिक हिरासत में भेजने से पहले निचली अदालत ने इतनी बड़ी गलती को कैसे नहीं पकड़ी. हाईकोर्ट ने किशनगंज की निचली अदालत को भी पक्षकार बनाने का निर्देश याचिकाकर्ता को देते हुए राज्य के पुलिस महकमे से भी जवाब मांगा तलब किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी.