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Bihar News: भ्रष्टाचार पर बड़ी कार्रवाई, पूर्व AIG की करोड़ों की संपत्ति होगी जब्त

Bihar News: बिहार सरकार के उत्पाद एवं निबंधन विभाग में पदस्थापित रहे पूर्व सहायक महानिरीक्षक (AIG) के खिलाफ निगरानी न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है. अब अवैध संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया है.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 27 Jun 2025 07:43:38 AM IST

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बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE

Bihar News: बिहार सरकार के उत्पाद एवं निबंधन विभाग में पदस्थापित रहे पूर्व सहायक महानिरीक्षक (AIG) अजय कृष्ण मिश्रा के खिलाफ निगरानी न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है। न्यायालय ने मिश्रा, उनकी पत्नी मीना मिश्रा, बेटे और बेटी के नाम पर अर्जित ₹2.81 करोड़ की अवैध संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया है।


गुरुवार को निगरानी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश ब्रजेश कुमार पाठक ने यह आदेश पारित किया। मामले में राज्य सतर्कता अन्वेषण ब्यूरो (SVU) द्वारा वर्ष 2014 में आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया था। तब से जांच प्रक्रिया जारी थी।


राज्य सरकार के एक उच्च पदस्थ अधिकारी रहते हुए अजय कृष्ण मिश्रा ने अपने कार्यकाल के दौरान आय से कई गुना अधिक संपत्ति अर्जित की। उन्होंने दरभंगा से लेकर दिल्ली, पटना, मुंबई, गाजियाबाद और बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों में दुकानें, फ्लैट, भवन और जमीनें खरीदीं। इतना ही नहीं, बैंक खातों और डाकघर योजनाओं में लाखों की राशि का निवेश भी किया गया।


बता दें कि जिन संपत्तियों को जब्त किया जाएगा उनमें गाजियाबाद के एक फ्लैट, पटना के गोरियाटोली में अपार्टमेंट की कीमती दुकान, आर्य समाज रोड में फ्लैट, राजीवनगर रोड-25 में फ्लैट, गर्दनीबाग में जमीन, दरभंगा के नयाटोला में बिल्डिंग, तीन कट्ठा जमीन, दो कट्ठा अलग जमीन, सगुना मोड़ (पटना) में एक फ्लैट, बेंगलुरु में एक फ्लैट, मुंबई में एक फ्लैट और बैंक/डाकघर में लाखों रुपये की एफडी और जमा राशि भी जमा किया गया है। 



विशेष न्यायाधीश ने आदेश में स्पष्ट किया कि मिश्रा और उनके परिवार के सदस्यों को एक माह के भीतर उक्त अवैध संपत्ति संबंधित जिलाधिकारियों (DM) के माध्यम से सरकार को सौंपनी होगी। अगर ऐसा नहीं किया गया तो संपत्ति राज्य सरकार द्वारा कुर्क की जाएगी। विशेष लोक अभियोजक राजेश कुमार ने जानकारी दी कि इस प्रकार की संपत्ति अर्जन, भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत दंडनीय है और इसका उद्देश्य अवैध तरीके से अर्जित संपत्तियों को राज्य के खजाने में वापस लाना है।


यह फैसला बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कानूनी कार्रवाई माना जा रहा है। इससे यह संदेश भी गया है कि चाहे अधिकारी कितना भी बड़ा हो, अगर उसने पद का दुरुपयोग कर संपत्ति बनाई है, तो कानून उसे नहीं बख्शेगा। निगरानी कोर्ट के इस आदेश से सरकारी तंत्र में जवाबदेही की भावना को बल मिला है।