DESK : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी का आज सौवां जन्मदिन है। पीएम मोदी इस मौके पर अपनी मां हीराबेन मोदी का आशीर्वाद लेने गांधीनगर पहुंचे हैं। अपने भाई पंकज मोदी के आवास पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने तकरीबन आधे घंटे तक अपनी मां से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अपनी मां के पांव भी धोए और उनसे मिठाई भी खाई। अपनी मां के सौवें जन्मदिन पर पीएम मोदी बेहद भावुक नजर आए हैं।
पीएम मोदी आज गुजरात दौरे पर हैं। इस मौके पर वह वडनगर भी जाएंगे। वडनगर के हाटकेश्वर मंदिर में एक पूजा का आयोजन किया गया है, जिसमें प्रधानमंत्री को शामिल होना है। इसके अलावा पीएम मोदी पावागढ़ में मां काली के मंदिर में ध्वजारोहण समारोह में भी शामिल होंगे। इसके पहले प्रधानमंत्री मोदी 11 मार्च को अपनी मां हीराबेन मोदी से मिलने अहमदाबाद पहुंचे थे। उस वक्त पीएम मोदी दो दिनों के गुजरात दौरे पर थे। पीएम मोदी वडोदरा भी जाने वाले हैं। वडोदरा में वह 4 लाख लोगों को संबोधित करने वाले हैं। इस मौके पर वह कई सरकारी योजनाओं की शुरुआत करने वाले हैं। अपनी मां हीराबेन मोदी के सौवें जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक खास ब्लॉग भी लिखा है।
अपनी मां को लेकर लिखे ब्लॉग में पीएम मोदी ने जो भाव प्रकट किया है, उसका कुछ अंश ऐसे हैं...
मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है। जीवन की ये वो भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है। दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है। और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है। आज मैं अपनी खुशी, अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं। मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। यानि उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वो भी 100 वर्ष के हो गए होते। यानि 2022 एक ऐसा वर्ष है जब मेरी मां का जन्मशताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है और इसी साल मेरे पिताजी का जन्मशताब्दी वर्ष पूर्ण हुआ है।
पिछले ही हफ्ते मेरे भतीजे ने गांधीनगर से मां के कुछ वीडियो भेजे हैं। घर पर सोसायटी के कुछ नौजवान लड़के आए हैं, पिताजी की तस्वीर कुर्सी पर रखी है, भजन कीर्तन चल रहा है और मां मगन होकर भजन गा रही हैं, मंजीरा बजा रही हैं। मां आज भी वैसी ही हैं। शरीर की ऊर्जा भले कम हो गई है लेकिन मन की ऊर्जा यथावत है। वैसे हमारे यहां जन्मदिन मनाने की कोई परंपरा नहीं रही है। लेकिन परिवार में जो नई पीढ़ी के बच्चे हैं उन्होंने पिताजी के जन्मशती वर्ष में इस बार 100 पेड़ लगाए हैं। आज मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है, मेरे व्यक्तित्व में जो कुछ भी अच्छा है, वो मां और पिताजी की ही देन है। आज जब मैं यहां दिल्ली में बैठा हूं, तो कितना कुछ पुराना याद आ रहा है।