आनंद मोहन की रिहाई के बाद देश में बदला कैदियों को छोड़ने का नियम: अमित शाह ने कहा- राजनीतिक रसूख वालों को भी भुगतनी होगी सजा

आनंद मोहन की रिहाई के बाद देश में बदला कैदियों को छोड़ने का नियम: अमित शाह ने कहा- राजनीतिक रसूख वालों को भी भुगतनी होगी सजा

DELHI: डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाने वाले आनंद मोहन की रिहाई पर पूरे देश में बवाल मच गया था. बिहार सरकार के फैसले पर गंभीर सवाल उठे. अब केंद्र सरकार ने कोर्ट से सजा पाने वाले अपराधियों की रिहाई का नियम बदलने का एलान कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में बिहार में कैदियों की रिहाई का जिक्र करते हुए कहा कि किसी भी सूरत में राजनीतिक रसूख वालों को छोडा नहीं जायेगा. उन्हें भी सजा भुगतनी होगी.


अमित शाह ने किया एलान

लोकसभा में आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ब्रिटिश राज में 1860 में बने IPC यानि भारतीय दंड संहिता , सीआरपीसी यानि दंड प्रक्रिया संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट को समाप्त कर उनके स्थान पर तीन नए विधेयक पेश किया. इन विधेयकों को पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि अंग्रेजों के समय बने कानून गुलामी के प्रतीक थे. इसलिए IPC की जगह पर भारतीय न्याय संहिता, 2023, सीआरपीसी की जगह पर  भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह पर भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 लाया गाया है. अब देश अंग्रेजों के समय बनाये गये कानून के तहत नहीं चलेगा.


राजनीतिक रसूख देखकर सजामाफी नहीं

इसी बिल पर लोकसभा में चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कोर्ट द्वारा दोषी करार दिये गये अपराधियों की सजा माफ करने के नियम का राजनीतिक उपयोग करने के कई मामले सामने आये हैं. अब हमने तय कर दिया है कि अगर किसी की सजा माफ करनी है तो फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल सकते हैं. आजीवन कारावास की सजा को सात साल तक ही माफ कर सकते हैं. सात साल की सजा को तीन साल तक ही माफ कर सकते हैं.


अमित शाह ने कहा कि अभी बिहार में ऐसे कुछ मामले सामने आये हैं. लिहाजा हमने तय किया है कि किसी भी तरह से राजनीतिक रसूख वाले लोगों को छोड़ा नहीं जायेगा. उन्हें भी सजा भुगतनी होगी. उन पर भी वही कानून लागू होगा जो आम लोगों पर होता है.