एडवांटेज केयर के डायलॉग सीरीज में ‘महिला और स्वास्थ्य‘ पर चर्चा, डॉ. रंजना बोलीं- परिवार और सरकार औरतों की स्वास्थ्य की जिम्मेवारी लें

एडवांटेज केयर के डायलॉग सीरीज में ‘महिला और स्वास्थ्य‘ पर चर्चा, डॉ. रंजना बोलीं- परिवार और सरकार औरतों की स्वास्थ्य की जिम्मेवारी लें

PATNA : रविवार को एडवांटेज केयर के डायलॉग सीरीज में ‘महिला और स्वास्थ्य‘ पर आयोजित की गई। यह कार्यक्रम दोपहर 12 बजे से डेढ़ बजे तक चला। इस कार्यक्रम में ‘महिला और स्वास्थ्य‘ से जुड़ी विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। सेंटर फॉर सोशल रिसर्च की निदेशक और वीमेन पावर कनेक्ट की अध्यक्ष डॉ. रंजना कुमारी ने कहा कि परिवार और सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य की जिम्मेवारी लें। वो मानसिक परेशानी में हैं। उनका मानसिक तनाव दोगुना हो गया है।


डॉ. रंजना एडवांटेज केयर के वर्चुअल डायलॉग सीरीज के तीसरे एपिसोड में रविवार को बोल रही थीं। ‘महिला और स्वास्थ्य‘ विषय पर आयोजित इस चर्चा में उन्होंने कहा कि उन्हें आम दिनों के अपेक्षा महिलाओं के तीन गुना फोन आ रहे हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी माना है कि सिर्फ तीन माह में महिला हिंसा की घटना लगभग दोगुनी बढ़ गई है। नीति आयोग ने भी कहा कि महिला पुरुषों से नौ गुना अधिक काम के बोझ के तले दबी हैं। औरतें अपने साथ हो रही हिंसा का रिपोर्ट नहीं करवा पा रही है। जब उनके साथ ज्यादती बहुत ज्यादा बढ़ जा रही है तब वो सामने आ रही हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी माना है कि महामारी के अंदर एक और महामारी चल रही है।


डॉ. रंजना ने कहा कि आर्थिक दबाव काफी बढ़ गया है। नौकरी चली गई हैं तो महिलाओं पर हिंसा भी बढ़ गई है। बाल विवाह की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोतरी हुई है। महिला अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे रही हैं। वो इसे नजरअंदाज कर रही हैं। महिलाओं का पुरुषों की अपेक्षा 10 प्रतिशत कम कोरोना का टीकाकरण हुआ है। ऐसे में जब मर्द टीका लगवाने आएं तो स्वास्थ्य कर्मी उन्हें घर की महिलाओं और बेटियों को भी टीकाकरण के लिए लाने के लिए कहें।


महिला को उसका रोजगार दे दीजिए - मीनाक्षी गुप्ता
गूंज संस्था की सह-संस्थापक मीनाक्षी गुप्ता ने कहा कि विकास के इस दौड़ में हमारे शहर आगे बढ़े हैं। लेकिन गांव पीछे रहे गए। इस तरह बड़ी आबादी पीछे रह गई है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। वहां पर्याप्त निवेश नहीं हुआ। इस महामारी ने एक बड़ी आबादी को गरीबी के दायरे में धकेल दिया है। एक महिला को उसका रोजगार दे दीजिए, वो अपना निर्णय खुद ले लेंगी। वो खुद अपनी च्वाइस तय कर लेंगी। इस महामारी ने महिलाओं के परेशानी को उभार दिया है। महामारी की वजह से उल्टा पलायन हुआ है। इससे महिलाओं का रोजगार छिन गया है। वो किसानी या अन्य कामों में मजदूरी कर कमा लेती थीं। लेकिन अब बाहर से आए पुरुष वो काम कर रहे हैं। माहवारी को लेकर वो तो पहले ही परेशानी झेलती थी। वह परेशानी अब और बढ़ गई है। महिला की स्वास्थ्य समस्या नजरअंदाज की जा रही हैं। इसका उन पर गहरा असर पड़ रहा है।



महिला महामारी में दोगुनी मानसिक परेशानी में - डाॅ. मनीषा सिंह
महावीर कैंसर संस्थान की एसोसिएट डायरेक्टर व मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग (पटना) की अध्यक्ष डॉ. मनीषा सिंह ने कहा कि इस महामारी ने महिलाओं की मानसिक तनाव दोगुना कर दिया है। कोविड के दौरान कैंसर से ग्रसित महिलाएं कीमोथेरेपी कराने के लिए नहीं आती थी। इसलिए की वो पति या बच्चे के साथ जाएंगी तो कहीं उन्हें भी कोविड न हो जाए। जबकि हम जानते हैं कि कोविड से 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग उबर जाते हैं। लेकिन इस चक्कर में महिला खुद को खो दे रही हैं। क्योंकि कैंसर यदि  चतुर्थ स्टेज में पहुंच गया तो मरीज को बचाना मुश्किल है। इसलिए मेरी सलाह है कि महिलाएं अपनी प्राथमिकता तय करें। फिर देखें कि वो कौन सा काम कर सकती हैं। जो नहीं कर सकती हैं, विनय के साथ ‘न‘ कह दें। स्वास्थ्य समस्या होने पर डॉक्टर से मिलें। उसे नजरअंदाज न करें। सिर्फ टेलीमेडिसिन के सहारे न रहें। क्योंकि कैंसर के शुरुआत में कोई लक्षण नहीं होता है। वो कोई दिक्कत नहीं करता है।


‘जीविका‘ महिलाओं को बना रहा आत्मनिर्भर - डाॅ. रत्ना अमृत
चर्चा में एएन कॉलेज(पटना) की एसोसिएट प्रोफेसर और एमबीए की इंचार्ज डॉ. रत्ना अमृत ने बिहार में जीविका के कार्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे यह योजना महिलाओं  को आत्मनिर्भर बना रही है। उन्होंने बताया कि कोरोना के पहली लहर में जीविका दीदियों ने 4.88 करोड़ दोहरे लेयर का मास्क बनाए, जिसमें 20 हजार से ज्यादा जीविका दीदीयां शामिल हुईं। इससे 97.7 करोड़ रुपए की कमाई हुई। इसी तरह कोरोना की  दूसरी लहर में जीविका दीदीयों ने 79.35 करोड़ रुपए की मास्क बना चुकी हैं। जीविका से जुड़ी महिलाएं राज्य के सरकारी अस्पतालों में रसोई चला रही हैं। जीविका दीदी लोगों कोरोना टीका लेने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही हैं।


खुद की केयर करना एवं समाज के साथ खड़े रहने की जरूरत है - अफशा अंजुम
इस कार्यक्रम का संचालन अवार्ड विनिंग टी.वी. एंकर एवं माॅडरेटर अफषा अंजुम ने किया। यह डायलाॅग 12.00 बजे से 1.30 बजे तक चला।


दिग्गज खिलाड़ी जुटेंगे अगले रविवार को 
अगले रविवार अर्थात 13 जून को एडवांटेज केयर डायलॉग सीरिज में दिग्गज खिलाड़ी जुटेंगे। इसमें पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर सबा करीम, इरफान पठान, उभरते क्रिकेटर ईशान किशन, भारतीय बास्केटबॉल टीम की कैप्टन आकांक्षा सिंह, एलएक्सएल आइडिया के एमडी व चीफ लर्नर सैयद सुल्तान अहमद और गो स्पोर्ट्स फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक दीप्ति बोपायह शामिल होंगी। चर्चा का विषय रहेगा, खेल पर कोविड का प्रभाव।


इसी वर्ष एडवांटेज केयर की स्थापना हुई है - खुर्शीद अहमद
एडवांटेज ग्रुप के संस्थापक एवं सीईओ खुर्शीद अहमद ने बताया कि एडवांटेज केयर की स्थापना एडवांटेज सपोर्ट के अंतर्गत स्वास्थ्य संबंधी वर्तमान समस्या को देखते हुए इसी वर्ष किया गया है। एडवांटेज ग्रुप ने सीएसआर (कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व) के लिए एडवांटेज सपोर्ट की स्थापना वर्ष 2007 में की थी। प्रसिद्ध सर्जन डॉ. ए.ए. हई एडवांटेज सपोर्ट के अध्यक्ष हैं।खुर्शीद अहमद एडवांटेज सपोर्ट के सचिव हैं।


वहीं ट्रस्टी के रूप में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर सैयद सबा करीम, भारती भवन के प्रकाशक एवं वितरक संजीब बोस, शिक्षाविद प्रो. सैयद नफीस हैदर, वरिष्ठ पत्रकार संजय सलील, डॉ. रंजना कुमारी, चेयरपर्सन ऑफ वीमेन पावर कनेक्ट, शिक्षाविद सैयद सुल्तान अहमद, फैजान अहमद, डॉ. परवेज अख्तर, रिटायर्ड डीआईजी, ओवियन चेलवेन, राजीव रंजन और चंद्रमणि सिंह शामिल हैं।


एडवांटेज ग्रुप 29 साल पुरानी कंपनी है, जो पीआर, विज्ञापन, पब्लिक अफेयर, इवेंट्स, एक्टिवेशन आदि क्षेत्र में सक्रिय है। कोविड महामारी में एडवांटेज केयर ने काफी काम किया। कई लोगों को अस्पताल में बेड दिलवाने में मदद की, ऑक्सीजन की व्यवस्था की। दो एंबुलेंस भी मुफ्त में शहरवासियों को उपलब्ध कराया है, अब तक 20 लोगों ने इस सेवा का लाभ उठाया है। यही नहीं, एडवांटेज केयर अस्पताल में भर्ती मरीज के 4000 परिजनों एवं जरूरतमंदों को खाना खिला चुके हैं और 5000 लोगों को खाना भी मुहैया करा रहा है। एडवांटेज केयर लोगों को कोरोना टीकाकरण के लिए जागरूक बना रही है और अब तक 54 लोगों का टीकाकरण करवा चुकी है।