DELHI: छपरा में जहरीली शराब से मौत के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। जहरीली शराब पीने से अब तक 57 लोगों की जान जा चुकी है जबकि अब भी दर्जनों लोग जीवन और मौत से जूझ रहे हैं। मंगलवार से शुरू हुआ मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक साथ इतने लोगों की मौत के बाद बिहार का सियासी पारा चरम पर पहुंच चुका है। बिहार विधानसभा से लेकर पार्लियामेंट में इसकी गूंज सुनाई दे रही है। बीजेपी सांसद और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने बिहार सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सुशील मोदी ने कहा है कि नीतीश सरकार मौत के आंकड़ों को छिपा रही है और पुलिस का डर दिखाकर छपरा से शवों को दूसरे जिलों में लेजाकर दफनाया जा रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री के उस बयान को लेकर भी हमला बोला जिसमें सीएम ने कहा था कि जो पिएगा वो मरेगा।
सुशील मोदी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस तरह का बयान देकर बिहार को शर्मसार करने का काम कर रहे हैं। छपरा में जहरीली शराब से मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। सुशील मोदी ने कहा कि छपरा में अबतक 100 से अधिक लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हो चुकी है लेकिन सरकार के अनुसार 15 से 20 लोगों की ही मौत हुई है। नीतीश कुमार की सरकार आंकड़ों को छिपा रही है। बड़ी संख्या में लोग पुलिस के डर से दूसरे जिलों में जाकर मरने वाले लोगों के शवों को दफना रहे हैं। करीब दो दर्जन से अधिक लोगों के आंखों की रोशनी चली गई है बावजूद इसके सरकार कह रही है कि जो पिएगा वो मरेगा।
सुशील मोदी ने कहा कि जो पिएगा वो जेल जाएगा वाली बात को समझ में आती है लेकिन ये तो दलित और पिछड़ा विरोधी सरकार है। चार लाख लोगों को जेलों के अंदर बंद कर दिया, शराब के सप्लायर गिरफ्तार नहीं हो रहे हैं और अब सरकार की तरफ से बयान आया है कि पुलिस गरीब गुरबों को तंग नहीं करेगी। पासी समाज के लोग जिनका यही रोजगार था वे लोग तो बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं।शराबबंदी के कारण बिहार को 30 हजार करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ 30 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ तो वहीं दूसरी तरफ जहरीली शराब पीकरएक हजार लोग पूरे बिहार के अंदर मर गए। वहीं तीसरी ओर चार लाख से अधिक लोग जेल चले गए।ऐसे में नीतीश कुमार को विचार करना चाहिए कि कैसे शराब नीति को ठीक ढंग से लागू किया जाए। बीजेपी शराबबंदी के पक्ष में है और सरकार के इस फैसले के साथ खड़ी है लेकिन 30 हजार करोड़ के नुकसान के बाद अगर एक हजार लोग मर जाएं और गरीबों को जेल जाना पड़े, तो ऐसे में सरकार को शराब नीति की समीक्षा करने की जरूरत है।