PATNA: बिहार में जिस तरह से कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद बढ़ रही है उस रफ्तार से ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। ऐसे में बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से 72 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन का कोटा तय करने की मांग की। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। बिहार के लिए कोटा तय होने से ऑक्सीजन की कमी नहीं हो पाएगी।
स्वास्थ्य विभाग के विशेष सचिव मनोज कुमार ने बताया कि राज्य में 14 ऑक्सीजन प्लांट हैं। इनमें एयर जेनरेशन से 32 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता है। इनमें क्रायोजेनिक मशीन भी लगी हुई हैं जिससे 72 मीट्रिक टन लिक्टिड ऑक्सीजन का उत्पादन हो सकता है। वही 104 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पादन बिहार में प्रतिदिन हो सकता है। कोरोना से सबसे अधिक प्रभावित 12 राज्यों में बिहार नहीं था इसलिए यहां लिक्विड ऑक्सीजन का कोटा तय नहीं था। राज्य सरकार की केंद्र सरकार के साथ हुई बैठक में इन मांगों को रखा गया है। फिलहाल बिहार में बोकारो, जमशेदपुर और राउरकेला से लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है।
देश में मेडिकल ऑक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए रेलवे द्वारा शुरू की गई ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन बुधवार को भरे हुए ऑक्सीजन टैंकर लेकर रवाना होगी। इसके पहले मुंबई और आसपास के क्षेत्रों से खाली टैंकर लेकर ऑक्सीजन एक्सप्रेस सोमवार को विशाखापट्टनम के लिए रवाना हुई थी। अन्य राज्यों में भी जरूरत के अनुसार ऑक्सीजन के खाली टैंकरों को ले जाने और भरे हुए टैंकर लाने के लिए भी ऑक्सीजन एक्सप्रेस की तैयारी हो रही है। बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से 72 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन का कोटा तय करने की मांग की। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। बिहार के लिए कोटा तय होने से ऑक्सीजन की कमी नहीं हो पाएगी।