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1st Bihar Published by: 3 Updated Mon, 26 Aug 2019 05:47:55 PM IST
 
                    
                    
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DESK : भागलपुर अस्पताल के कैदी वार्ड से फरार हुआ कुख्यात विकास झा अभी पुलिस की पहुंच से बाहर है। विकास झा की गिरफ्तारी के लिए एसएसपी आशीष भारती ने जिस स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया है उसे अब तक सफलता हाथ नहीं लगी है। हालांकि एसटीएफ की नजर बिहार के अलावे झारखंड, उड़ीसा और नेपाल पर बनी हुई है। https://youtu.be/PambcI3Ch8w पांचवीं बार पुलिस के हाथ से निकल भागा विकास झा विकास झा के फरार होने के बाद पुलिस को इस बात का अंदाजा लग चुका है कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कैदी वार्ड से विकास झा के फरार होने में पुलिसकर्मियों के अलावे पॉलिटिकल और कांट्रेक्टर कनेक्शन ने भी काम किया। भागलपुर पुलिस इस पूरी साजिश के मास्टरमाइंड को पहचान चुकी है लेकिन वह अभी पुलिस के गिरफ्त से बाहर है। जेल से फरार होने में विकास झा शुरू से ही माहिर रहा है। वह पुलिस हिरासत और रिमांड होम से पहले भी 4 दफे फरार हो चुका है। विकास झा इसके पहले मुजफ्फरपुर रिमांड होम से भागने में सफल रहा था और सीतामढ़ी पुलिस को भी वह दो बार चकमा देकर फरार हुआ है। पुलिस की गिरफ्त से निकल भागने में विकास झा को पांचवीं बार सफलता मिली है। गैंगवार तेज होने की आशंका पुलिस के लिए विकास झा को गिरफ्तार करना तो बड़ी चुनौती है ही लेकिन इसके साथ-साथ सबसे बड़ी परेशानी इस बात को लेकर है कि विकास झा के जेल से बाहर आने के बाद गैंगवार तेज हो सकता है। दरअसल विकास झा की अदावत मुकेश पाठक गिरोह से है। उत्तर बिहार के कुख्यात संतोष झा ने नॉर्थ बिहार लिबरेशन आर्मी का गठन किया था। एक साल पहले 28 अगस्त को संतोष झा की हत्या न्यायालय में पेशी के दौरान मुकेश पाठक के सहयोगियों ने कर दी थी। यह माना जाता है कि मुकेश पाठक नॉर्थ बिहार लिबरेशन आर्मी का मुखिया बनना चाहता है। मुकेश पाठक के इस कदम से विकास झा गुस्से में है और वह किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है। आपको बता दें की संतोष झा ने जिस नॉर्थ बिहार लिबरेशन आर्मी का गठन किया था उसका उत्तर बिहार के 5 जिलों में ख़ौफ रहा है। इस आर्मी के निशाने पर निर्माण कार्य से जुड़ी कंपनियां रहीं। सीतामढ़ी के बेलसंड और दरभंगा में इस गिरोह ने निर्माण कंपनियों के इंजीनियर और कर्मचारियों की हत्या की। बिहार पुलिस के लिए यह गिरोह इसलिए भी सर दर्द बना रहा क्योंकि इसके ज्यादातर सदस्य बिहार में अपराध को अंजाम देने के बाद उड़ीसा नेपाल और झारखंड में छिपे बैठे रहे। संतोष झा के मारे जाने के बाद गिरोह पूरी तरह से बिखर चुका है लेकिन टुकड़ों में बंट चुके गैंग के सदस्य एक दूसरे के जान के प्यासे बने हुए हैं। ऐसे में इस बात की आशंका जताई जा रही है कि संतोष झा के मारे जाने के ठीक एक साल बाद विकास झा किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की साजिश में लगा हुआ है।