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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 28 May 2025 03:08:28 PM IST
क्या है लिव-इन रिलेशनशिप और PDA कानून की नजर से - फ़ोटो Google
Indian law on public romance : आजकल समाज में युवाओं के बीच वेस्टर्न कल्चर का खुमार अपने चरम पर है, लिव-इन रिलेशनशिप और सार्वजनिक स्थानों पर प्रेम का इज़हार (PDA – पब्लिक डिस्प्ले ऑफ अफेक्शन) तेजी से सामान्य होता जा रहा है। हालाँकि भारतीय समाज आज भी इन दोनों बातों को सहजता से स्वीकार नहीं करता, लेकिन कानून का रुख इन मामलों में स्पष्ट है।
लिव-इन रिलेशनशिप, यानी बिना शादी के दो वयस्कों का साथ रहना, भारत में अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों ने कई मामलों में यह स्पष्ट किया है कि यदि दोनों व्यक्ति बालिग हैं और आपसी सहमति से एक साथ रहना चाहते हैं, तो यह उनके मौलिक अधिकारों के तहत आता है।हालंकि समाज इसे स्वीकार नही करता है | सुप्रीम कोर्ट ने लता सिंह बनाम राज्य (2006) केस में कहा कि दो बालिग अगर अपनी मर्ज़ी से साथ रहना चाहते हैं, तो इसमें कोई गैरकानूनी बात नहीं है।
बता दे कि Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 के तहत लिव-इन में रह रही महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा, भरण-पोषण और अन्य कानूनी अधिकार मिलते हैं। अगर लिव-इन से कोई बच्चा जन्म लेता है, तो वह वैध माना जाएगा और उसे पिता की संपत्ति में अधिकार का दावेदार माना जाता है . कई मामलों में कोर्ट ने लिव-इन कपल्स को पुलिस सुरक्षा देने का आदेश भी दिया है। PDA (पब्लिक डिस्प्ले ऑफ अफेक्शन कानून की बात करें तो भारत में PDA को लेकर कोई विशेष कानून नहीं है, लेकिन भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294 लागू की जा सकती है यदि कोई व्यवहार "अश्लील" माना जाए।हालाँकि अश्लीलता को डिफाइन करने का कोई मापदंड नही है |
यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर ऐसा कार्य करता है जिसे देखकर कोई अन्य व्यक्ति अपमानित महसूस करता है, तो वह अपराध की श्रेणी में आ सकता है। हालाँकि यह धारा अत्यधिक व्याख्या पर आधारित है और हर केस में अलग-अलग परिस्थितियों पर लागू होती है। आपको बता दे कि रिचर्ड गिअर ने एक कार्यकर्म में -शिल्पा शेट्टी को सार्वजनिक तौर पर चूम किया था ,इस मामले में उनके खिलाफ वारंट भी जारी किया गया था . इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि कोई व्यवहार शालीनता की सीमा में है, तो वह अपराध नहीं है। किस ऑफ लव जैसे विरोध प्रदर्शन यह दर्शाते हैं कि युवा वर्ग PDA को एक सामान्य मानवीय व्यवहार मानता है, न कि अपराध।
हालाँकि कानून लिव-इन रिलेशनशिप और सीमित PDA को अपराध नहीं मानता, फिर भी भारतीय समाज का एक बड़ा हिस्सा इसे स्वीकार नहीं करता। सार्वजनिक स्थानों पर जोड़ों को देख कर कई बार स्थानीय लोग आपत्ति जताते हैं, और कभी-कभी पुलिस भी हस्तक्षेप करती है। भारत में लिव-इन रिलेशनशिप कानूनी रूप से मान्य है और इसमें रह रहे व्यक्तियों को कई प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं। PDA पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है, जब तक वह शालीनता की सीमा में हो। लेकिन सामाजिक दृष्टिकोण अब भी इन विषयों पर रूढ़िवादी और कठोर रुख अपनाया जाता है । हालाँकि युवा पीढ़ी के बदलते विचार और कोर्ट के निर्णय इस मानसिकता में धीरे-धीरे बदलाव ला रहे हैं।
इस लेख में प्रस्तुत जानकारी भारतीय संविधान, मान्य कानूनों और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध अदालती निर्णयों पर आधारित है। यह लेख केवल सूचना देने के उद्देश्य से प्रकाशित किया गया है और इसे किसी प्रकार की कानूनी सलाह या प्रोत्साहन के रूप में न समझा जाए। लेख में वर्णित विषय भारतीय समाज में संवेदनशील माने जाते हैं और समाज के विभिन्न वर्गों की सोच इससे अलग हो सकती है।