Ashok Leyland Bihar : क्या बिहार में लगने जा रही है अशोक लेलैंड की फैक्ट्री? कंपनी ने खुद बताई सच्चाई

बिहार में एनडीए की प्रचंड बहुमत से सरकार बनने के बाद राज्य में उद्योग और रोजगार को लेकर नई उम्मीदें जगी हैं। सरकार ने अगले पांच वर्षों में एक करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देने का लक्ष्य रखा है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 22 Dec 2025 03:22:08 PM IST

Ashok Leyland Bihar : क्या बिहार में लगने जा रही है अशोक लेलैंड की फैक्ट्री? कंपनी ने खुद बताई सच्चाई

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बिहार में एनडीए की प्रचंड बहुमत से सरकार बनने के बाद प्रदेश में विकास, उद्योग और रोजगार को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि अगले पांच वर्षों यानी 2025 से 2030 के बीच राज्य के एक करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। इसी क्रम में जब हाल ही में यह खबर सामने आई कि बिहार में देश की प्रमुख कमर्शियल वाहन निर्माता कंपनी अशोक लेलैंड अपनी फैक्ट्री लगाने जा रही है, तो राज्य में खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन यह खुशी ज्यादा देर टिक नहीं सकी, क्योंकि कंपनी ने खुद इस खबर का खंडन कर दिया है।


दरअसल, कुछ दिनों पहले अखबारों और सोशल मीडिया पर तेजी से यह खबर वायरल हुई कि बिहार में बस और ट्रक निर्माण के लिए अशोक लेलैंड की विनिर्माण इकाई स्थापित होने जा रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कई पोस्ट में दावा किया गया कि मुजफ्फरपुर, भागलपुर और गया जैसे जिलों में कंपनी की ओर से सर्वेक्षण किया जा रहा है। इन पोस्ट्स में यह भी कहा गया कि फैक्ट्री लगने से लगभग 8,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे, जिससे बिहार के युवाओं को बड़ा लाभ मिलेगा।


खबर में यह भी दावा किया गया था कि आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के बाद अब अशोक लेलैंड बिहार में अपनी नई यूनिट लगाने की तैयारी में है। इसके जरिए बिहार से झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम और पूर्वी उत्तर प्रदेश के बाजारों में बस और ट्रक की आपूर्ति की जाएगी। इतना ही नहीं, नेपाल और भूटान जैसे पड़ोसी देशों में भी बिहार से ही वाहनों की सप्लाई होने की बात कही गई थी। इन दावों के सामने आते ही बिहार के उद्योग जगत और आम लोगों में उत्साह देखने को मिला।


हालांकि, जैसे ही यह खबर कंपनी के अधिकारियों तक पहुंची, अशोक लेलैंड ने तुरंत इस पर प्रतिक्रिया दी और इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया। कंपनी की ओर से 19 दिसंबर 2025 को एक्स पर आधिकारिक बयान जारी कर कहा गया,


“बिहार में विनिर्माण इकाई स्थापित करने की खबरें पूरी तरह से अटकलबाजी पर आधारित हैं। इस संबंध में हमने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। हमारी नीति के अनुसार इस तरह की सभी सूचनाएं केवल हमारे आधिकारिक माध्यमों से ही दी जाती हैं।”


कंपनी के इस बयान के बाद साफ हो गया कि फिलहाल बिहार में अशोक लेलैंड की फैक्ट्री लगाने को लेकर कोई ठोस योजना या निर्णय नहीं हुआ है। ऐसे में जो खबरें सर्वेक्षण, स्थान चयन और हजारों रोजगार सृजन के दावे कर रही थीं, वे महज अफवाह साबित हुईं।


इस खबर के सामने आने के बाद बिहार में जिस तरह की उम्मीदें जगी थीं, उसका एक बड़ा कारण ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स से जुड़ा फायदा भी था। अभी स्थिति यह है कि बिहार में बस और ट्रक खरीदने के लिए लोगों को नोएडा, फरीदाबाद या अन्य औद्योगिक क्षेत्रों का रुख करना पड़ता है। वहां से पटना या अन्य जिलों तक वाहन लाने में 70 हजार रुपये से अधिक का अतिरिक्त खर्च आता है। यदि बिहार में ही फैक्ट्री लगती, तो यह खर्च काफी हद तक बच सकता था और वाहनों की कीमत भी कम हो सकती थी।


यही वजह है कि जैसे ही फैक्ट्री की खबर आई, बिहार के लोगों में खुशी थी। युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद जगी, ट्रांसपोर्ट सेक्टर से जुड़े कारोबारियों को राहत की आस दिखी और राज्य में औद्योगिक विकास की नई तस्वीर उभरती नजर आई। लेकिन कंपनी के खंडन के बाद यह उम्मीदें फिलहाल टूटती दिख रही हैं।


बिहार में अशोक लेलैंड की फैक्ट्री लगने की खबर फिलहाल महज अटकल साबित हुई है। कंपनी ने साफ कर दिया है कि इस संबंध में कोई फैसला नहीं हुआ है। ऐसे में रोजगार और उद्योग से जुड़ी उम्मीदें अभी सरकार की नीतियों और भविष्य के निवेश प्रस्तावों पर टिकी हुई हैं।