लुधियाना में सीतामढ़ी की बेटी की दर्दनाक मौत, शादी के दबाव में आकर केमिकल टैंक में कूदकर दी जान सीतामढ़ी में एटीएम बदलकर ठगी करने वाला गिरोह बेनकाब, तीन साइबर फ्रॉड गिरफ्तार चुनाव से पूर्व मोतिहारी में बड़ी कार्रवाई: मुखिया पति कमरुद्दीन मियां के घर से हथियार और लग्जरी गाड़ियां बरामद Bihar Police News: बिहार के इस जिले में पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल, तीन नए थानाध्यक्षों की हुई तैनाती; दो लाइन हाजिर Bihar News: बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज पहुंचीं गयाजी, विष्णुपद मंदिर में मां सुषमा स्वराज का किया पिंडदान Bihar News: बीजेपी सांसद बांसुरी स्वराज पहुंचीं गयाजी, विष्णुपद मंदिर में मां सुषमा स्वराज का किया पिंडदान Bihar Police Modernization: आधुनिक हथियारों से लैस होगी बिहार पुलिस, केंद्र सरकार ने जारी किए इतने करोड़; अपराधियों की अब खैर नहीं Bihar Police Modernization: आधुनिक हथियारों से लैस होगी बिहार पुलिस, केंद्र सरकार ने जारी किए इतने करोड़; अपराधियों की अब खैर नहीं बिहार में बकरी के लिए चली गोली, युवक की मौत, सौतेले भाई ने दिया घटना को अंजाम हम नहीं सुधरेंगे, राहुल-तेजस्वी ने खाई कसम, एक बार फिर प्रधानमंत्री और उनके माता जी का किया अपमान: नित्यानंद
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 18 Jul 2025 04:25:26 PM IST
धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़! - फ़ोटो GOOGLE
UP: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने पैतृक गांव इटावा के सैफई में केदारनाथ धाम की तर्ज पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया है, जिसे लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस मंदिर के निर्माण को लेकर उत्तराखंड चारधाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने तीव्र आपत्ति दर्ज कराई है और इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ बताते हुए कानूनी उल्लंघन करार दिया है और कार्रवाई की मांग की है।
महापंचायत के महासचिव बृजेश सती ने कहा कि यह मंदिर न केवल केदारनाथ धाम की भौतिक प्रतिकृति जैसा है, बल्कि इसका नाम और गर्भगृह में स्थित शिवलिंग की संरचना भी मूल केदारनाथ धाम की तरह ही बनाई गई है। केदारनाथ के तर्ज पर अपने अखिलेश यादव ने अपने पैतृक गांव में मंदिर बनवाया जो उत्तराखंड सरकार द्वारा पारित नियमों का उल्लंघन है। ऐसा काम करने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित कर यह स्पष्ट निर्देश दिए थे कि चारधाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के नाम, स्वरूप और धार्मिक पहचान का उपयोग किसी भी राज्य में उनकी प्रतिकृति या ट्रस्ट के रूप में नहीं किया जा सकता। इस प्रस्ताव के अनुसार, ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
महापंचायत ने यह भी कहा कि इससे पहले दिल्ली और तेलंगाना में भी केदारनाथ जैसे मंदिर बनाए गए, लेकिन वहां भी किसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं की गई। अब उत्तर प्रदेश के सैफई में भव्य रूप से केदारनाथ की तर्ज पर मंदिर बनकर लगभग तैयार हो चुका है और इस मंदिर का प्रचार प्रसार भी अब होने लगा है, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
इस पूरे प्रकरण के विरोध में चारधाम तीर्थ पुरोहितों ने गुरुवार को उत्तराखंड के सभी चार धामों में प्रतीकात्मक विरोध दर्ज किया। उन्होंने मांग की कि उत्तराखंड सरकार तुरंत इस मामले में संज्ञान लेकर उचित कानूनी कार्रवाई करे, ताकि पवित्र धामों की धार्मिक गरिमा और विशिष्टता बनी रह सके।
महापंचायत का कहना है कि केदारनाथ केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि हजारों वर्षों की परंपरा, तप और आस्था का प्रतीक है। इसके नाम और स्वरूप का इस तरह से राजनीतिक या निजी पहचान के लिए प्रयोग करना, पूरे हिंदू समाज की सांस्कृतिक अस्मिता को ठेस पहुंचाता है।
यूपी के सैफई में बने इस मंदिर को लेकर अब विवाद खड़ा हो गया है। जिसने एक बार फिर बहस छेड़ दी है कि धार्मिक स्थलों की प्रतिकृति बनाना कितना उचित है?, विशेषकर जब उनसे गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक भावनाएं जुड़ी हों। क्या धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल सीमित होना चाहिए या वह सामाजिक श्रद्धा की अभिव्यक्ति का माध्यम हैं? यह प्रश्न अब केवल धार्मिक नहीं, राजनीतिक और कानूनी बहस का विषय भी बनता जा रहा है। अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले में आगे क्या कुछ निकलकर सामने आता है।