1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 22 Jul 2025 08:43:56 AM IST
प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google
Police Encounter: बिहार के चर्चित चंदन मिश्रा हत्याकांड में भोजपुर जिले के बिहिया-कटेया पथ पर मंगलवार की सुबह करीब 5:45 बजे पुलिस-एसटीएफ और अपराधियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में दो अपराधी बलवंत कुमार (22 वर्ष, लीलाधरपुर परसिया, बक्सर) और रविरंजन सिंह (20 वर्ष, चकरही, बिहिया, भोजपुर) घायल हो गए हैं। बलवंत को हाथ और पैर में गोली लगी, जबकि रविरंजन की जांघ में गोली लगी। दोनों को सुबह 6:25 बजे बिहिया अस्पताल लाया गया, जहां से उन्हें बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया गया है। मुठभेड़ में तीन अन्य अपराधियों को भी गिरफ्तार किया गया है।

पटना के पारस अस्पताल में 17 जुलाई को गैंगस्टर चंदन मिश्रा की हत्या के बाद यह मुठभेड़ पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई का हिस्सा है। इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड पुरुलिया जेल में बंद शेरू सिंह (उर्फ ओंकारनाथ सिंह) बताया जा रहा है, जिसने 10 लाख रुपये की सुपारी देकर हत्या की साजिश रची थी। मुख्य शूटर तौसीफ उर्फ बादशाह सहित आठ लोगों को पहले ही कोलकाता से गिरफ्तार किया जा चुका है और तौसीफ को 21 जुलाई को पटना लाकर 72 घंटे की पुलिस रिमांड पर लिया गया है।

बलवंत की भूमिका और शेरू का कनेक्शन
जांच में पता चला कि बलवंत कुमार ने हत्याकांड में शूटरों को 10 पिस्टल उपलब्ध कराए और उन्हें पारस अस्पताल तक पहुंचाया। वह शेरू सिंह के सीधे संपर्क में था और उसी के इशारे पर काम कर रहा था। सूत्रों के अनुसार शेरू ने चंदन के एक करीबी को अपने पाले में मिलाकर उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी थी। तौसीफ को पारस अस्पताल की पूरी जानकारी थी, जिसके कारण उसे इस साजिश में शामिल किया गया। शेरू ने प्रत्येक शूटर को 5 लाख रुपये देने का वादा किया था।
चंदन मिश्रा बक्सर के सोनबरसा गांव का निवासी, एक कुख्यात अपराधी था, जिसके खिलाफ हत्या, रंगदारी, लूट और अपहरण जैसे 24 से अधिक मामले दर्ज थे। 2011 में राजेंद्र केसरी हत्याकांड में उसे आजीवन कारावास की सजा मिली थी। वह बेऊर जेल में सजा काट रहा था और स्वास्थ्य कारणों से पैरोल पर बाहर आया था। 17 जुलाई को पांच शूटरों ने पारस अस्पताल के कमरा नंबर 209 में घुसकर 36 राउंड फायरिंग कर उसकी हत्या कर दी थी। इस वारदात में चंदन के अटेंडेंट दुर्गेश कुमार के पैर में भी गोली लगी थी।
शेरू और चंदन की दुश्मनी
चंदन मिश्रा और शेरू सिंह कभी घनिष्ठ मित्र थे, जिन्होंने 2009 में क्रिकेट खेलते समय अनिल सिंह की हत्या सहित कई आपराधिक वारदातों को साथ मिलकर अंजाम दिया था। 2011 में राजेंद्र केसरी और हैदर अली हत्याकांड में भी दोनों का नाम आया था। हालांकि, बाद में वर्चस्व की जंग और भागलपुर जेल में हुई मारपीट के बाद उनकी दोस्ती दुश्मनी में बदल गई। शेरू ने पुरुलिया जेल से इस हत्या की साजिश रची, जिसमें तौसीफ, बलवंत, आकिब मालिक, सोनू और कालू उर्फ मुस्तकीम शामिल थे।
बिहार पुलिस और एसटीएफ ने कोलकाता के न्यू टाउन और आनंदपुर से तौसीफ सहित नौ लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। तौसीफ ने हत्या के बाद दाढ़ी कटवाकर और अपनी बहन के मोबाइल का इस्तेमाल कर लोकेशन छिपाने की कोशिश की थी। अब बिहिया मुठभेड़ में बलवंत और रविरंजन के घायल होने के बाद पुलिस अन्य फरार आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही है। अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि शूटर आसानी से अंदर घुसकर वारदात को अंजाम दे सके। इधर शास्त्रीनगर थाने के एक दरोगा, दो ASI और दो सिपाहियों को ड्यूटी में लापरवाही के लिए निलंबित किया गया है।