1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 04 Sep 2025 09:57:30 AM IST
सिन गुड्स - फ़ोटो GOOGLE
GST on Sin Goods: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार रात को 'नेक्स्ट जेनरेशन' GST रिफॉर्म्स (GST 2.0) की घोषणा की, जिसका उद्देश्य टैक्स सिस्टम को सरल बनाना और राजस्व संग्रहण को बेहतर बनाना है। इस नए सिस्टम के तहत आम जनता को राहत देने की कोशिश की गई है, लेकिन जो लोग सिगरेट, पान मसाला, गुटखा और अन्य सिन गुड्स का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें अब पहले से ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
दरअसल, अब GST स्लैब 5% और 18% में सीमित कर दिया गया है। लग्जरी सामान और सिन गुड्स पर सीधा 40% टैक्स लागू किया गया है। पहले लागू होने वाला कंपनसेशन सेस अब खत्म कर इसे टैक्स स्ट्रक्चर में ही शामिल कर लिया गया है। GST लागू होने के बाद राज्यों को राजस्व में नुकसान हो रहा था, जिसकी भरपाई के लिए 2017 से कंपनसेशन सेस लगाया गया था। यह सेस पहले 2022 तक के लिए निर्धारित था, लेकिन कोविड-19 के बाद केंद्र सरकार द्वारा 2.69 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेने के कारण इसे 2026 तक बढ़ाया गया। अब सरकार ने इसे टैक्स ढांचे में शामिल कर दिया है।
अब सिन गुड्स पर एक्स-फैक्ट्री कीमत की बजाय रिटेल प्राइस (MRP) पर 40% GST वसूला जाएगा। यानी किसी भी उत्पाद की अंतिम बिक्री मूल्य पर टैक्स लगेगा, जिससे कीमतों में सीधा इजाफा होगा। पहले 256 रुपये में मिलने वाला सिगरेट का पैकेट अब नए टैक्स के बाद 280 रुपये में मिलेगा, यानी 24 रुपये की सीधी बढ़ोतरी।
40% GST स्लैब में शामिल उत्पाद
पान मसाला
सिगरेट, गुटखा, चबाने वाला तंबाकू
अनप्रोसेस्ड तंबाकू और तंबाकू अपशिष्ट
सिगार, चुरूट, सिगारिलो
वातित शर्करा युक्त पेय (शुगर ड्रिंक्स)
कार्बोनेटेड पेय
फलों के रस वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स
ऑनलाइन जुआ और गेमिंग
कैफीन युक्त एनर्जी ड्रिंक्स
लग्जरी कारें और फास्ट फूड आइटम्स
टैक्स एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह कदम सरकार की "स्मार्ट टैक्सिंग स्ट्रैटेजी" का हिस्सा है, जिससे एक ओर हेल्थ कंसर्न वाले प्रोडक्ट्स को डिस्करेज किया जाएगा और दूसरी ओर राजस्व में वृद्धि होगी। साथ ही, ऑनलाइन गेमिंग पर टैक्स लगाकर युवाओं को इसके दुष्प्रभाव से बचाने की कोशिश की जा रही है।
GST 2.0 के तहत साधारण और पारदर्शी टैक्स सिस्टम की ओर बढ़ाया गया यह कदम, जहां आम उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आया है, वहीं सिन प्रोडक्ट्स का सेवन करने वालों की जेब पर भारी पड़ेगा। सरकार का यह रिफॉर्म न सिर्फ राजस्व बढ़ाने बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर करने की दिशा में एक सशक्त प्रयास माना जा रहा है।